Posted on 14 Nov, 2017 6:38 pm

भोपाल : मंगलवार, नवम्बर 14, 2017
 

 

नन्हीं परी लब्धि अब सुनने भी लगी है और बोलती भी खूब है। डेढ़ साल पहले ऐसा नहीं था। सभी के लिए साधारण सी दिखने वाली बोल-चाल उसके लिए असाधारण थी।

मंदसौर जिले की मल्हारगढ़ तहसील में है बूढ़ा गाँव। इस गाँव के श्रेणिक जैन की साढ़े तीन साल की बेटी लब्धि न कुछ बोल पाती थी और न ही सुन पाती थी। नियति मानकर उसके पिता अपनी लाचारी और बेबसी से अपनी बेटी की दशा देखकर रोया करते थे, पर कुछ कर नहीं पाते थे क्योंकि उनकी माली हालत ऐसी नहीं थी कि वे किसी बड़े और महंगे अस्पताल में अपनी बेटी का इलाज करा पाते। यह इलाज काफी खर्चीला था।

दिन-रात ईश्वर से प्रार्थना करते-करते जैसे एक दिन ईश्वर ने उनकी सुन ली। स्थानीय चिकित्सक ने उन्हें राज्य शासन की मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना की जानकारी दी। परेशान श्रेणिक ने तुरंत आवेदन दिया। कागजी औपचारिकताओं के बाद लब्धि के इलाज के लिए उन्हें 6 लाख 50 हजार रुपये की राशि मंजूर हो गई।

श्रेणिक जैन ने इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में इस राशि से लब्धि को कॉकलियर इम्पलांट कराया। सफल ऑपरेशन के बाद लब्धि को चिकित्सकों ने 3-4 माह अंडर आब्जर्वेशन रखा। चौथे माह में तो जैसे चमत्कार हुआ। कुछ भी न सुनने-बोलने वाली लब्धि सुनने लगी। सभी की बातें समझकर जवाब भी देने लगी। एक अक्टूबर, 2012 को जन्मी लब्धि अब पूरे 5 साल की हो चुकी है और स्कूल जाती है।

मुख्यमंत्री से भी की बातें

लब्धि की यह उपलब्धि केवल मंदसौर जिले तक ही सीमित नहीं रही। लब्धि ने एक नवम्बर को मध्यप्रदेश विकास यात्रा-2017 के मौके पर जिले के भानपुरा में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का बुके देकर स्वागत किया और उनसे कुछ बातें भी कीं। लब्धि के बारे में जानकर मुख्यमंत्री भाव-विभोर हो गए। लब्धि के पिता इस अभिनव योजना के लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान को धन्यवाद देते नहीं थकते। मुख्यमंत्री ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं के जरिए हजारों जीवन संवारे हैं।

सफलता की कहानी (मंदसौर)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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