Posted on 09 Sep, 2021 3:34 pm

कृषि प्रधान अर्थ-व्यवस्था वाला मध्यप्रदेश कृषकों को सक्षम और सम्पन्न बनाने के लिए कृत-संकल्पित है। राज्य सरकार ने लगातार कृषि कल्याणकारी योजनाओं और नवाचारों को बढ़ावा दिया है। किसान हित में ऐतिहासिक निर्णय भी लिए हैं।

म.प्र. में कृषि हितैषी कदमों को निरंतरता

ग्रीष्मकालीन वर्ष 2020-21 एवं विपणन वर्ष 2021-22 के लिये पंजीकृत कृषकों से ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द के उपार्जन के लिये राज्य सहकारी विपणन संघ को अधिकृत किया गया है। इन फसलों का उपार्जन आगामी 15 सितम्बर तक किया जायेगा। अब तक समर्थन मूल्य पर 3 लाख 29 हजार मीट्रिक टन ग्रीष्मकालीन मूंग का उपार्जन किया जा चुका है।

गेहूँ उपार्जन में अग्रणी

गेहूँ उपार्जन में प्रदेश अब अग्रणी राज्य है। किसानों के हित में कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन करते हुए ई-ट्रेडिंग का प्रावधान और किसानों को उपार्जन केन्द्र के साथ ही मंडी के अधिकृत निजी खरीदी केन्द्र और सौदा-पत्रक व्यवस्था से भी फसल बेचने की सुविधा प्रदान की गई।

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना में मध्यप्रदेश भी

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना में ट्रायल के तौर पर जिन 6 राज्यों का चयन किया गया है, उसमें मध्यप्रदेश भी है। प्रदेश के किसान इस योजना से अधिक से अधिक लाभान्वित हो, इसके लिए राज्य सरकार समन्वय और प्रशासनिक सुदृढ़ता से काम कर रही है। योजना से लाभान्वित प्रथम हितग्राही श्री रामभरोस विश्वकर्मा प्रदेश के हरदा जिले का निवासी है।

कृषि अवसंरचना कोष के उपयोग में अग्रणी म.प्र.

कृषि अवसंरचना कोष के लिए प्रदेश को 2020-21 में 7500 करोड़ रूपये का आवंटन प्राप्‍त हुआ है, जिसके उपयोग में प्रदेश देश में प्रथम स्‍थान पर है। किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस कोष के जरिये आधुनिक मंडियों की स्‍थापना, फूड पार्क, शीत गृहों की श्रृंखला स्‍थापित करने के साथ साइलोस एवं वेयर हाउस के निर्माण को मिशन मोड में प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। इससे किसान अपनी उपज को एम.एस.पी. के स्‍थान पर एम.आर.पी. पर बेचने हेतु सक्षम होंगे।

नेशनल एग्रीकल्चर इन्फ्रा फायनेंसिंग फेसिलिटी पोर्टल

नेशनल एग्रीकल्चर इन्फ्रा फायनेंसिंग फेसिलिटी (एआईएफ़) पोर्टल पर बहुत ही कम समय में 2,352 आवेदन आये हैं। इनका लगातार सत्यापन किया जा रहा है और 618 करोड़ का भुगतान भी बैंकों द्वारा कर दिया गया है। इस पोर्टल का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में आधारिक तंत्र को मज़बूत करना है, जिससे देश के बड़े बाज़ारों तक किसानों की पहुँच सुनिश्चित की जा सके।

10 हजार रूपये सालाना सम्मान निधि

प्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में प्रतिवर्ष 6-6 हजार रूपये तो मिल ही रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री किसान-कल्याण सम्मान निधि योजना की शुरूआत कर किसानों को मध्यप्रदेश शासन की ओर से प्रतिवर्ष 4 हजार रूपये दो बराबर किश्तों में दिये जा रहे है। इस प्रकार किसानों को अब कुल 10 हजार रूपये प्रतिवर्ष किसान सम्मान निधि मिल रही है।

सिंचाई क्षमता में वृद्धि को प्राथमिकता

किसानों की आय को बढ़ाने के लिये बेहतर प्रबंधन और सिंचाई परियोजनाओं पर भी प्राथमिकता से कार्य करवाये जा रहे हैं। प्रदेश में अगले 5 वर्षों में 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।

अब डिजिटल कृषि भी

मध्यप्रदेश में डिजिटल एग्रीकल्चर अंतर्गत लगातार काम किया जा रहा है। खेती को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का इस्तेमाल ही डिजिटल एग्रीकल्चर है।

इस तरह कृषि क्षेत्र में बेहतर योजनाओं, रणनीति, प्रशिक्षण, संवाद और सहभागिता सुनिश्चित करने के राज्य सरकार के प्रयासों का ही सुफल है कि प्रदेश के किसान आत्म-निर्भर और अग्रणी बनकर आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोगी बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश