Posted on 07 Dec, 2020 6:08 pm

प्रदेश में वन भूमि पर काबिज वनवासियों को उनकी जमीन के हक प्रमाण-पत्र वितरित किये जाने का कार्य निरंतर जारी है। अब तक आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा करीब 2 लाख 60 हजार से अधिक वन भूमि के व्यक्तिगत एवं सामूहिक दावें मान्य किये जा चुके हैं। जिन दावों को पूर्व में निरस्त किया गया है। उनके पुनरीक्षण का कार्य विभाग द्वारा निरंतर किया जा रहा है।

विभाग द्वारा वनवासियों के 2 लाख 38 हजार 405 व्यक्तिगत दावे और 29 हजार 996 सामुदायिक दावे मान्य किये गये हैं। जिन वनवासियों को हक प्रमाण-पत्र मिले है उन्हें राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत मदद भी दी जा रही है। करीब 62 हजार वनवासियों को आवास, 55 हजार वनवासियों को कपिलधारा, 60 हजार वनवासियों को भूमि समतलीकरण और करीब 25 हजार वनवासियों को सिंचाई सुविधा के लिये डीजल एवं विद्युत पम्प उपलब्ध कराये गये हैं।

सामूहिक दावों के मामलों में मध्यप्रदेश देश पर पहले स्थान पर है। वनाधिकार अधिनियम के तहत जिला डिण्डोरी में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह की 7 बसाहटों के हेबीटेट राईट मध्यप्रदेश में सबसे पहले दिये गये हैं। वनाधिकार के क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में तीन स्तरों पर वनाधिकार समितियों का गठन किया गया है। यह समितियाँ ग्राम स्तर, उप खण्ड और जिला स्तर पर काम कर रही हैं। प्रदेश में वनाधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन जनवरी 2008 से प्रारंभ किया गया था। देश भर में सबसे पहले वनाधिकार अधिनियम को मध्यप्रदेश में लागू किया गया। वनाधिकार हक प्रमाण-पत्र धारकों के अभिलेखों के संधारण, नामांतरण एवं बटवारे की प्रक्रिया वन विभाग द्वारा निर्धारित की जा चुकी है। वन विभाग को एक लाख 56 हजार अभिलेख एवं दस्तावेज संधारण के लिये जनजाति कार्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जा चुके हैं।

दावों की समीक्षा के लिये एम.पी. वनमित्र पोर्टल

प्रदेश में सभी स्तर से खारिज किये गये दावों की समीक्षा के लिये एम.पी. वनमित्र पोर्टल का तैयार किया गया है। पोर्टल में वनमित्र एप्लीकेशन के माध्यम से निरस्त दावों की समीक्षा की जा रही है। एम.पी.वनमित्र पोर्टल में पंचायत सचिवों द्वारा प्रोफाईल अपडेट की गई है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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