Posted on 27 Jun, 2019 11:55 am

राज्य शासन ने मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम में समुचित संशोधन किये हैं। संशोधन के फलस्वरूप नीट की परीक्षा से चयनित अभ्यर्थियों का राज्य स्तरीय काउंसिलिंग में सीट आवंटन प्रक्रिया में किसी प्रकार का मेरिट हनन नहीं होगा और सीट ब्लॉकिंग की प्रवृत्ति पर अंकुश लग सकेगा।

आयुक्त चिकित्सा शिक्षा से प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम-2018 में किये गये महत्वपूर्ण संशोधन के अनुसार प्रथम/द्वितीय चरण की काउंसिलिंग से प्रवेशित अभ्यर्थी को द्वितीय चरण और मॉप अप चरण में अपग्रेडेशन का अवसर उपलब्ध रहेगा। इससे इन चरणों में अभ्यर्थियों को उनकी पसंद एवं मेरिट के आधार पर आवंटन मिल सकेगा।

अभ्यर्थियों द्वारा सीट ब्लॉकिंग की प्रवृत्ति रोकने के लिये प्रथम चरण की काउंसिलिंग से प्रवेश के बाद प्रवेशित सीट से त्याग-पत्र देने की सुविधा द्वितीय चरण की काउंसिलिंग शुरू होने की घोषित तिथि से 2 दिन पूर्व रखी गई है। अभ्यर्थी द्वारा इसके बाद किसी भी चरण में प्रवेश के उपरांत त्याग-पत्र दिये जाने पर सीट लीविंग बॉण्ड के रूप में भारी आर्थिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। इस नियम के चलते त्याग-पत्र दिये जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।

इसी तरह मॉप अप चरण में आवंटन के बाद प्रवेश न लिये जाने या प्रवेश बाद सीट से त्याग-पत्र दिये जाने की वजह से ये रिक्त सीटें संस्था स्तर पर कराये जाने वाले चरण की काउंसिलिंग (सीएलसी राउण्ड) में शामिल नहीं की जायेंगी। ऐसे अभ्यर्थियों की सूची चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की वेबसाइट और एम.पी. ऑनलाइन पोर्टल पर प्रदर्शित की जायेगी और अन्य राज्यों के संचालनालय चिकित्सा शिक्षा, एमसीआई, डीसीआई, डीजीएचएस भारत सरकार को और अन्य चिकित्सा/दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश न दिये जाने के लिये भेजी जायेगी। मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश 2019-20 में अधिक से अधिक सीटों पर प्रवेश सुनिश्चित करने के लिये अभ्यर्थियों द्वारा पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) किये जाने की प्रक्रिया काउंसिलिंग प्रारंभ होने के पहले और द्वितीय चरण की काउंसिलिंग के बाद मॉप अप चरण से पहले की जायेगी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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