Posted on 19 Apr, 2025 1:22 pm

उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में जिस गति से मध्यप्रदेश ने अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है, उससे प्रदेश की उद्यानिकी फसलों के प्रति देश और विदेशों में खासी मांग भी बढ़ रही है। इससे प्रदेश के किसानों को आर्थिक संबल भी मिल रहा है। मध्यप्रदेश उद्यानिकी के साथ खाद्य प्र-संस्करण का मुख्य हब बन कर उभरा है। गत फरवरी माह में भोपाल में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेशकों से उद्यानिकी क्षेत्र में 4 हजार करोड़ रूपये से अधिक का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। यह निवेश प्रस्ताव मध्यप्रदेश के उद्यानिकी क्षेत्री में हुए नवाचारों और बड़े पैमाने पर हो रहे उत्पादन को दर्शाता हैं।

मध्यप्रदेश में गत 5 वर्षों में उद्यानिकी के रकबा में 23.72 प्रतिशत वृद्धि हुई। वर्ष 2019-20 में उद्यानिकी फसलों का रकबा 21.75 लाख लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 26.91 लाख हैक्टेयर हो गया है। मध्यप्रदेश में गत 20 वर्षों में छोटे के साथ बड़ी कृषि-जोत रखने वाले किसान भाइयों ने 'कैश-क्रॉप' के रूप में उद्यानिकी फसलों को लेना शुरू कर दिया है इस कारण उद्यानिकी फसलों (फल, सब्जी, मसाला पुष्प एवं औषधियों) का रकबा 4 लाख 67 हजार हैक्टेयर से 27 लाख 71 हजार हैक्टेयर यानिकी लगभग 500 प्रतिशत की तथा उत्पादन 35 लाख 40 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 417 लाख 89 हजार मीट्रिक टन हो गया। इस तरह उत्पादन में 1000 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश उद्यानिकी के साथ खाद्य प्र-संस्करण का मुख्य हब बन रहा है।

मध्यप्रदेश की जलवायु उद्यानिकी फसलों के लिये अनुकूल होने के साथ सिंचाई सुविधाएँ भी अन्य राज्यों से बेहतर है। प्रदेश का कुल उद्यानिकी रकबा का 5 लाख 54 हजार हैक्टेयर मध्यप्रदेश में उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता 15.02 टन प्रति हैक्टयर है, जो देश की उद्यानिकी फसलों की औसत उत्पादकता 12.19 टन प्रति हैक्टेयर से 23.21 प्रतिशत अधिक है। खाद्यान फसलों की उत्पादकता 2.82 टन प्रति हैक्टेयर की तुलना में उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता 15.02 टन प्रति हैक्टेयर है, जो 5 गुनी से अधिक है।

आने वाले वर्षों में मध्यप्रदेश में उद्यानिकी (बागवानी) प्रदेश के किसान भाइयों की आय का मुख्य घटक बनकर उभरेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो सपने को सकार करने के लिये परियोजनाओं को धरातल पर लाने का प्रयास प्रारंभ किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल "मिले जल हमारा तुम्हारा" के प्रयास पर मध्यप्रदेश में 24 हजार 293 करोड़ की अनुमानित लागतसे केन-बेतवा लिंक परियोजना, 35 हजार करोड़ की लागत से पार्वती-कालीसिंध-चम्बल अन्तर्राज्यीय नदी लिंक परियोजनाओं का कार्य प्रारंभ हो चुका है। ताप्ती नदी बेसिन मेगा रिचार्ज योजना महाराष्ट्र सरकार के साथ प्रारंभ किया जा रहा है। साथ ही वर्ष 2025-26 में 19 वृहद एवं मध्यम तथा 87 लघु सिंचाई परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं। इन परियोजनाओं से प्रदेश के सिंचित रकबे में आशातीत वृद्धि होगी। उद्यानिकी विभाग द्वारा भी किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रयासों के तहत ड्रिप/स्प्रिकंलर संयंत्र करने के लिये अनुदान देकर प्रोत्साहित किया जा रहा हौ। प्रदेश में 22 हजार 167 हितग्राहियों 130 करोड़ रूपये का अनुदान प्रदान कर 26 हजार 355 हैक्टेयर फसलों को बेहतर सिंचाई सुविधा मुहैया कराई गई है। "पर ड्रॉप मोर क्रॉप" योजना के तहत राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत वर्ष 2025-26 के लिये 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इन सभी प्रयासों के परिणाम स्वरूप ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा आगामी 5 वर्षों में उद्यानिकी फसलों का रकबा 26.91 लाख हैक्टेयर से बढ़ाकर 33 लाख 91 हजार हैक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है।

इस लक्ष्य की पूर्ति में उद्यानिकी विभाग के प्रयास सराहनीय है। जिला स्तर की 40 नर्सरियों और ई-नर्सरी को हाईटेक बनाया गया है, पौधे के लिये ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त पड़ी सरकारी जमीनों पर नई नर्सरी पीपीपी मोड पर विकसित करने के निर्देश दिये है।

प्रदेश में इजराइली तकनीकि से 14.74 करोड़ की लागत से 3 सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस, मुरैना में हाई वैल्यू वेजिटेबल, छिंदवाड़ा में नीबू वर्गीय फसलों तथा हरदा में निर्यात उन्मुख (आम और सब्जी) के लिये स्थापित किये जाना है। इसी क्रम में मुरैना में पीपीपी मोड में आलू की समग्र खेती की परियोजना प्रारंभ की गई, इसमें किसानों ने गत 3 वर्षों में आलू की अनेक नई किस्म विकसित की है। ग्वालियर में 13 करोड़ रूपये की लागत से हाईटेक फ्लोरी कल्चर नर्सरी भी बनाई जा रही है।

उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में प्रदेश की स्थिति की बात करें तो मध्यप्रदेश संतरा, मसाले लहसुन, अदरक और धनिया के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। मटर, प्याज, मिर्च, अदरक में दूसरे तथा फूल, औषधियों एवं सुगंधित पौधों के उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में फसलों का रकबा भागीदरी फल 4.61 लाख हैक्टेयर, सब्जी 12.40 लाख हैक्टेयर, मसालें 8.99 लाख हैक्टेयर, पुष्प 14 हजार हैक्टेयर तथा औषधी एवं सुंगधित पौधे 48 हजार हैक्टेयर में पैदा किये जा रहे है।

राज्य सरकार उद्यानिकी फसलों को प्रोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास कर रही है, फसलों को वैश्विक पहचान-GI टैग दिलाने के प्रयास जारी है। प्रदेश के रीवा के सुंदरजा आम और रतलाम के रियावन लहसुन को GI Tag मिल चुका है। प्रदेश की 15 उद्यानिकी फसलें इनमें खरगौन की लालमिर्च, जबलपुर की मटर, बुरहानपुर का केला, सिवनी का सीताफल, नरसिंहपुर (बरमान) का बैंगन, बैतूल का गजरिया आम, रतलाम की बालम ककड़ी, जबलपुर का सिंघाड़ा, इंदौर का जीरा, धार की खुरासानी इमली, इंदौर के मालवी गराडू, देवास के मावाबाटी और सतना की खुरचन को भी वैश्विक पहचान GI दिलाने के प्रयास किया जा रहा है।

उत्पादित फसलों की वैल्यू एडिशन (मूल्य वर्धन) के लिये आवश्यक है कि उत्पादित फसलों की प्रोसेसिंग कर बाजार में भेजा जाये। इससे किसान को भी अच्छे दाम मिल सकेंगे और रोजगार भी उपलब्ध होगा। इसी उद्देश्य से अच्छे दाम पर विक्रय के लिये प्रदेश में 1982 में खाद्य प्र-संस्करण विभाग की स्थापना की गई थी जो पूर्व में कृषि विभाग का हिस्सा था। वर्ष 2005 से उद्यानिकी के साथ है।

प्रदेश में सूक्ष्म खाद्य ईकाइयों और प्र-संस्करण उद्यागों संवर्धन नीति-2014 के क्रम में खाद्य प्र-संस्करण उद्योगों को वित्तिय सहायता प्रदान की जाती है। 25 करोड़ तक की परियोजना में 10 प्रतिशत 2.5 करोड़ रूपये अनुदान दिया जाता है। वर्ष 2018 से 2024-25 तक 85 करोड़ से अधिक राशि की 242 इकाइयाँ स्थापित हुई है। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना (PM FME) योजना में 2021-22 से 2024-25 तक 11597 ईकाइयों की रिकार्ड स्थापना हुई है। इसमें निजी ईकाइयों को अधिकतम 35 प्रतिशत तक क्रेडिट लिंक अनुदान दिया जाता है।

उत्पादित सामग्री को बाजार मुहैया कराने के प्रयास लगातार जारी है। जुलाई 2024 में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा विभागीय समीक्षा बैठक में मध्यप्रदेश में उद्यानिकी खाद्य प्र-संस्करण पर केन्द्रित मेले और वर्कशॉप आयोजित करने, प्रदेश में एक विशेष उद्यानिकी और प्र-संस्करण समिट आयोजित किये जाने पर जोर दिया है जो राज्य सरकार की प्रतिबद्धता के साथ उद्यानिकी के बढ़ते हुए महत्व को सिद्ध करती है। प्रदेश के किसानों की खुशहाली और राज्य का आर्थिक स्वंलम्बन उद्यानिकी में छिपा हुआ है। सरकार और किसान दोनों इस ओर बढ़ रहे हैं। निश्चित ही इसके अच्छे परिणाम आयेंगे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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