Posted on 04 Mar, 2022 6:57 pm

'जय बजरंग बली स्व-सहायता समूह' की सदस्य मधुकुंअर अब आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हो गई हैं। 'मध्यप्रदेश 'ग्रामीण आजीविका मिशन' के जुड़ने के बाद उनके समूह को बैंक से 01 लाख रूपये का ऋण मिला और उन्होंने गणवेश सिलाई का कार्य सहित अन्य कार्य भी प्रारंभ किए। इनसे उन्हें प्रतिमाह 10 से 12 हजार रूपये की आमदनी हो रही है। बैंक सखी के रूप में भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।

नीमच जिले के ग्राम धनेरिया कलां की मधुकुंअर स्व-सहायता समूह में जुड़ने से पहले गृहणी का ही कार्य करती थी। उनके पति वाहन चालक थे। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जैसे-तैसे गुजर-बसर होती थी। आजीविका मिशन से वे स्व-सहायता समूह से जुड़ीं और उन्होंने आर्थिक गतिविधियाँ प्रारंभ कीं। अब उन्हें नियमित रूप से आमदनी होने लगी है। उन्होंने 40 हजार रूपये का ऋण लिया तथा स्वयं थोड़ी राशि मिलाकर किश्तों पर वाहन भी खरीद लिया है। इस वाहन को उनके पति चलाते हैं। अब उनके पति को दूसरों के वाहन नहीं चलाने पड़ते। साथ ही नियमित आमदनी भी होती है।

मधुकुंअर का आजीविका मिशन द्वारा बैंक सखी के रूप में भी चयन कर लिया गया है। अब वे बैंक जाने लगी हैं तथा गाँव की महिलाओं को बैंकों से लेन-देन आदि में सहयोग करने लगी हैं। इससे उनकी गाँव में पहचान बैंक सखी के रूप में हो गई है। अब वे न केवल नियमित आजीविका कमा रही हैं अपितु सम्मान से जीवन-यापन कर रही हैं। उनका परिवार खुशहाल हो गया है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश