Posted on 10 Nov, 2019 3:17 pm


 

नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों  में सुना गया लोकवाणी
जिले में उत्साह के साथ सुना गया रेडियो वार्ता
जिला अधिकारी  सहित आम नागरिकों ने सुना मुख्यमंत्री का रेडियो प्रसारण
लोगों को  राज्यगीत की हुई जानकारी

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज नगरीय विकास का नया दौर पर आधारित मासिक रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी के चौथे प्रसारण में जिले के देवभोग विकासखंड के ग्राम सुपेबेडा में तेल नदी से शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए प्राम्भ की गयी सुपेबेड़ा जल आवर्धन योजना के बारे में जिक्र किया, इससे ग्रामवासी उत्साहित है।  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो प्रसारण लोकवाणी को जिले में उत्साह के साथ सुना गया। आज गरियाबंद के ग्राम नागाबुडा, पारागाँव, फिंगेश्वर के देवरी, मैनपुर के बोइर्गाँव, कुटेना देवभोग के खुटगाँव ,कदलीमुड़ा , डूमरपीटा में लोकवाणी सुननें की विशेष व्यवस्था की गयी थी। कार्यक्रम को अधिकारी-कर्मचारियों व ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों ने भी उत्साह के साथ सुना। कलेक्टर के निर्देश पर सभी पंचायतों, नगरीय निकायों, आश्रम छात्रावास में भी लोकवाणी सुनने की व्यापक व्यवस्था की गई थी।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि शहरों का नियोजित विकास, उत्साह से भरपूर और खुशनुमा वातावरण का निर्माण हमारी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने नगरीय विकास के संबंध में लोगों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नगरीय क्षेत्रों में वर्षा जल संचय और नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने अनेक योजनाओं संचालित है। भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि सतह का पानी रिस-रिसकर जमीन के भीतर जाए। छत्तीसगढ़ को तरिया का, तालाबों का, जलाशयों का, नदियों-नालों का, जलप्रपातों का प्रदेश कहा जाता रहा है। लोकवाणी के जरीए राज्यगीत अरपा पैरी के धार सुनकर लोग काफी प्रभावित हुए।
‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ योजना से शहरों को जोड़ने का कार्य शुरू हो गया है। ‘वी-वायर इंजेक्शन वेल’ के माध्यम से भू-जल की रिचार्जिंग की परियोजना बनाई गई है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से, स्थानीय प्रशासन से, जिला प्रशासन से, स्वयंसेवी संगठनों से अपील की कि पुराने कुओं की साफ-सफाई कराएं। पुराने कुओं को जाली आदि लगाकर सुरक्षित करें ताकि इससे कोई दुर्घटना न हो। उन्होंने कहा कि सुपेबेड़ा में तेलनदी का जल शुद्ध करने के लिए ‘सुपेबेड़ा जल योजना’ शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता अपने आस-पड़ोस की नदियों को साफ रखने में मदद करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह हमारे शरीर में रक्त वाहिकाएं होती हैं उसी तरह शहर की सफाई व्यवस्था नालियों पर निर्भर करती है। जब हम नाली में कचरा डालते हैं तो वहां से पानी बहना बंद हो जाता है। जब पानी नहीं बहता तो गंदे पानी से बदबू, मच्छर, कीड़े-मकोड़े और तरह-तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं। उन्होंने घर या दुकान का कचरा नालियों में नहीं डालने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने इस बार नगरीय निकायों के चुनावों की प्रक्रिया में  किए गए संशोधन के संबंध में बताया कि महापौर या अध्यक्ष के दोनों पद प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की तरह एक्जीक्यूटिव पद हैं। यदि पार्षदों का समर्थन नहीं मिलता तो नगर का विकास ठप्प पड़ जाता है। पार्षद जब अपना मुखिया चुनेंगे तो नगरीय विकास का काम निर्बाध रुप से पूरा होगा। जब 21 साल में कोई पार्षद बन सकता है तो मेयर क्यों नहीं बन सकता। हमें युवाओं को सम्मान देना, युवाओं को जिम्मेदारी देना, युवाओं पर भरोसा करना सीखना होगा।
    मुख्यमंत्री ने लोकवाणी के माध्यम से बताया कि नगरीय निकायांे के तालाबों से मछुवारों को दूर किया गया था। हम चाहते हैं कि मछुवा सहकारी समितियों को ये तालाब दिये जाएं, जिससे तालाबों की देखरेख भी होगी। नियमित सफाई होगी। मछलियां पाली जायेंगी। मछुवारों की आय बढ़ेगी और नगरीय निकायों को राजस्व भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों की वजह से हर क्षेत्र में नये रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। पूरे प्रदेश में नगरीय-निकायों द्वारा निर्मित दुकानों के किराये में कमी की गई है ताकि स्वरोजगारी युवाओं को मदद मिले और वे अन्य लोगों को रोजगार दे सके। हमने जमीन की गाइड लाइन दर में 30 प्रतिशत की कमी की और छोटे भू-खंडांे के क्रय-विक्रय से रोक हटाई जिसके कारण लगभग एक लाख सौदे हुये। एक जमीन बिकने पर दसियों लोगों को लाभ मिलता है। मकान बनता हैं तो बढ़ई, लोहार, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, रेजा, कुली से लेकर दुकानदार तक सबको रोजगार मिलता है। हमने गुमाश्ता लायसेंस के वार्षिक नवीनीकरण में छूट देने जैसे कई कदम उठाए हैं, जिससे कारोबारियों का उत्साह बढ़ा है।
    शिक्षाकर्मियों, सहायक शिक्षक (एल.बी.) को नियमित वेतन, तबादले की सुविधा, स्वच्छता दीदियों के मानदेय में वृद्वि जैसे अनेक कदम उठाए गए हैं। ‘पौनी-पसारी’ छत्तीसगढ़ में एक ऐसी बाजार व्यवस्था है, जिसमें आपसी सद्भाव, सहयोग और समरसता के सामाजिक माहौल में सारी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं। समन्वय की अर्थव्यवस्था हमारी बसाहटों में खुशहाली का आधार थी। आधुनिक बाजार व्यवस्था में यह परम्परा टूट रही थी। इसलिए हमने नगरीय-निकायों में ‘पौनी-पसारी’ बाजार व्यवस्था का संरक्षण तथा संवर्धन करने का निर्णय लिया है। मुझे खुशी है कि इस दीवाली में हमारी माटी के दीयों से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दिल्ली भी रोशन हुई है। हमारे गांवों, बस्तियों में बने पकवानों की खुशबू और मिठास हर घर में पहुंची है। गांव का पैसा गांव में ही, आपस में एक-दूसरे के काम आता है। हमारा प्रयास है कि हर हाथ को उसकी क्षमता के अनुसार रोजगार मिले, नई उद्योग नीति में इसके लिए समुचित प्रावधान किये गए हैं। मुख्यमंत्री ने लोकवाणी के जरिए बताया कि जब हमने सरकार की बागडोर सम्हाली तब प्रदेश में ‘मोर जमीन-मोर मकान योजना’ के तहत सिर्फ 8 हजार मकान बने थे, जबकि 11 महीने में 40 हजार मकान बन गए। हमने ‘राजीव गांधी आश्रय योजना’ का आगाज किया और कानून में संशोधन किया ताकि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले भूमिहीन परिवारों को उनके नाम से पट्टा मिले, नियमितीकरण हो। इस योजना का लाभ एक लाख लोगों को मिलेगा। आबादी पट्टों का वितरण होने लगा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की तीन प्रमुख उपलब्ध्यिों में पहली उपलब्धि कि हमने अपने लक्ष्य के अनुरूप नई उद्योग नीति 2019-2024 जारी कर दी है। दूसरी उपलब्धि छत्तीसगढ़िया कलाकारों की प्रतिभा ने यह साबित कर दिया है कि उनके कार्यक्रम किसी सेलीब्रिटी के मोहताज नहीं और तीसरी उपलब्धि कि छत्तीसगढ़ को अपना राज्यगान मिल गया। छत्तीसगढ़ के महान जनकवि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने जब ‘अरपा-पैरी के धार-महानदी हे अपार....’ गीत की रचना की थी, तब उन्हें पता नहीं था कि यह गीत कैसे-कैसे जन-जन की जुबान में चढ़ेगा और एक दिन ऐसा आएगा कि स्वयं यह गीत राज्य गीत का गौरव पाएगा।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़