Posted on 01 Apr, 2022 4:33 pm

राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में जेंडर बजट में 845 अरब 11 करोड़ 72 लाख 28 हजार रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में जेंडर बजट 27 प्रतिशत था, जिसे बढ़ाकर 34 प्रतिशत किया गया है। जेंडर बजट स्टेमेंट में अब 28 की जगह 33 विभाग शामिल किये गये है। वर्ष 2022-23 में लगभग 403 योजनाओं के लिए जेंडर बजट की व्यवस्था की गई है। इसमें 47 योजनाएँ शत-प्रतिशत महिलाओं को लाभान्वित करने वाली और 356 प्रो-महिला योजनाएँ हैं। प्रदेश यू. एन. वूमेन के सहयोग से जेंडर बजटिंग का कार्य किया जा रहा है।

प्रदेश में इस वर्ष 35 विभागों ने अपनी योजनाओं को जेंडर संबंधित रिपोर्ट में प्रस्तुत किया है। इसमें गृह, वित्त, परिवहन, खेल एवं युवा कल्याण, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, सहकारिता, श्रम, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, नगरीय विकास एवं आवास, स्कूल शिक्षा, विधि एवं विधायी कार्य, पंचायत, जनजातीय कार्य, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, संस्कृति, पर्यटन, पशुपालन एवं डेयरी, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास, महिला बाल विकास, कुटीर एवं ग्रामोद्योग, चिकित्सा शिक्षा, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण, ग्रामीण विकास, उद्यानिकी तथा खाद्य प्र-संस्करण, आयुष, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग शामिल है।

उल्लेखनीय है जेंडर बजटिंग एक सतत प्रक्रिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि विकास के लाभ पुरूषों के बराबर महिलाओं को भी प्राप्त हो। इस वर्ष प्रदेश सरकार ने मत्स्य पालन योजना शुरू करने के लिए 50 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है। इससे मत्स्य पालन क्षेत्र की महिलाओं को लाभ मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017-18 के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वें रिपार्ट के अनुसार मध्यप्रदेश भारत का एक मात्र राज्य था, जिसने 2011-12 की तुलना में 2017-18 में महिला कार्यबल भागीदारी दर में वृद्धि दर्ज की है। वर्ष 2019-20 में 23.4 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2020-21 में महिला श्रमबल की भागीदारी 36 प्रतिशत थी। मध्यप्रेदश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जिसमें पुरूषों और महिलाओं की आबादी क्रमश: 52 प्रतिशत और 48 प्रतिशत है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश