Posted on 26 Jun, 2019 5:15 pm

कर्ज के बोझ तले पिस रहे प्रदेश के किसानों के चेहरे पर आखिरकार मुस्कुराहट आ ही गई। श्री कमल नाथ ने मुख्यमंत्री बनने के दो घंटे के भीतर जय किसान ऋण माफी योजना लागू कर किसानों को कर्ज मुक्त कर दिया। अब प्रदेश में किसान सुखी हैं।

इंदौर जिले की देपालपुर तहसील के ग्राम नेवरी के किसान पवन गेहलोत कृषि ऋण लेकर किसानी करते हैं। कई बार फसल का उचित मूल्य न मिलना, प्राकृतिक कारणों से उत्पादन कम होना आदि समस्याओं से कर्ज बढ़ता गया और आर्थिक स्थिति डगमगा गयी। इस योजना में पवन की एक लाख 99 हजार 800 रुपये की ऋण राशि माफ हुई है। इनके सेवा सहकारी समिति नेवरी के खाते में यह राशि आ गयी है और समिति ने इन्हें ऋण मुक्ति का प्रमाण-पत्र भी दे दिया है।

अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील के ग्राम गोरा के किसान शरीफ खाँ का एक लाख 91 हजार 247 रुपये का ऋण इस योजना में माफ हुआ है। वे खुश हैं और कहते हैं कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने किसानों का दर्द समझा है। रायसेन जिले के ग्राम टिकोदा निवासी हरलाल कोली पर स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया का एक लाख 86 हजार 758 रुपये का फसल ऋण था, जिसे उत्पादन कम होने के कारण वो चुका नहीं पा रहे थे। रायसेन जिले के ही नसरुद्दीनखेड़ा गाँव के किसान बुंदेल सिंह पर स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया का एक लाख 88 हजार 169 रुपये का फसल ऋण था, जो आर्थिक बदहाली के चलते जमा नहीं कर पा रहे थे। रायसेन के ही ग्राम खड़रिया निवासी किसान हल्केराम पर एक लाख 92 हजार 744 रुपये का ऋण बकाया था। इस योजना में ऋण माफ होने से ये किसान चिंतामुक्त होकर अगली फसल की तैयारी में लग गये हैं।

हरदा जिले के ग्राम जमली निवासी किसान चिरोंजीलाल ने सहकारी बैंक से दो लाख रुपये का कर्ज लिया था। उनके खाते में जय किसान फसल ऋण माफी योजना में ऋण राशि जमा हो गयी है और इन्हें संदेश भी मिला है कि आने वाली बोनी के लिये दोबारा ऋण ले सकते हैं। हरदा के ग्राम धनगाँव निवासी किसान रामगोपाल बिशनोई का एक लाख 90 हजार रुपये का कर्ज माफ हुआ। खरगौन जिले के सोनीपुरा के किसान मांगीलाल पाटीदार का दस वर्ष पुराना एक लाख 91 हजार 247 रुपये तथा विनोद पाटीदार का चार वर्ष पुराना 60 हजार रुपये का कृषि ऋण माफ हुआ है।

सभी किसान खुशी के साथ प्रदेश सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं। सभी का कहना है कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ का जवाब नहीं'' ।किसानों से जो वादा किया, उसे पूरा कर साबित कर दिया कि सही मायनों में किसानों की खुशहाली चाहते हैं।

(सफलता की कहानी)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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