Posted on 19 Oct, 2022 3:57 pm

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने बुधवार को म.प्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग में अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) की प्रक्रिया पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का शुभारंभ किया। मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि एआईएचएसई 2021-22 सर्वेक्षण की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ होने जा रही है। पोर्टल पर सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं द्वारा डेटा की प्रविष्टि करना प्रदेश के उच्च शिक्षा के संकेतक (जीईआर) की सही जानकारी के लिए आवश्यक है।

मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि वर्ष 2011 में अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण की शुरूआत की गई थी। यह सर्वेक्षण अत्यन्त आवश्यक था। उच्चतर शिक्षा के आंकडों का कोई भी स्त्रोत देश में उच्चतर शिक्षा की पूरी तस्वीर नहीं दे पा रहा है। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के द्वारा कई मापदंड जैसे शिक्षक छात्र नामांकन, लिंग समानता सूचकांक, परीक्षा परिणाम, वित्त, बुनियादी ढाँचे आदि पर डेटा एकत्रित किया जाता है। साथ ही शिक्षा के संकेतक जैसे सकल नामांकन अनुपात, छात्र-शिक्षक अनुपात आदि की गणना एआईएसएचई से एकत्र किए गए डेटा से की जाती है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के नीति निर्माण के लिए एवं अनुसंधानों में इस डेटा का उपयोग किया जाता है।

गुजरात के एआईएसएचई के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ.आर.के.शाह ने सर्वेक्षण के अनुभवों को साझा करते हुए कहा है कि इस पोर्टल पर आपकी उपस्थिति आपके राज्य के बजट आवंटन में वृद्धि करती है। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2019-20 की रिपोर्ट अनुसार पाँच लाख से अधिक विद्यार्थियों का इनरोलमेंट हुआ है। डॉ.शाह ने कहा है कि एआईएसएचई कोड प्राप्त करने के लिए सभी विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, विभिन्न मंत्रालय के स्थापित संस्थान, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषक कल्याण एवं कृषि विकास, पशु चिकित्सा एवं पशु पालन, संस्कृति एवं अन्य विभागों में आने वाले शिक्षण संस्थानों द्वारा एआईएसएचई पोर्टल पर डेटा की प्रविष्टि की जाती है।

म.प्र. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो.भरत शरण, सचिव म.प्र.नि.वि.वि.विनियामक आयोग प्रो.के.पी.साहू सहित समस्त विश्वविद्यालयों के कुल सचिव और नोडल अधिकारी उपस्थित थे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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