Posted on 04 Nov, 2019 7:45 pm

राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज राजभवन में बनाई गई आदर्श गौशाला का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि यह गौशाला देशी नस्लों की गायों के पालन की प्रेरणा का केन्द्र बने, ऐसे प्रयास किये जाएं। राज्यपाल ने निर्देश दिये कि गौशाला में सभी गायों के स्वरूप और दूध में उपलब्ध गुणों का विवरण प्रदर्शित किया जाये। श्री टंडन ने गौपालन से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपने अनुभवों को अधिकारियों के साथ साझा किया।

राज्यपाल ने कहा कि देशी नस्ल की गाय की पर्यावरण अनुकूलता सर्वाधिक है। इनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत अधिक होती है। इनकी प्रजनन अवधि विदेशी नस्लों की अपेक्षा अधिक होती है। राज्यपाल ने विभिन्न गायों की प्रकृति, शारीरिक गुणों, दूध की गुणवत्ता और दूध में मिलने वाले पोषक तत्वों की विभिन्नता के संबंध में अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते देशी गौ-सम्पदा का संरक्षण और संवर्धन नहीं किया गया, तो भविष्य में अनेक समस्याओं का सामना करना पडे़गा, जिनसे आज पश्चिमी देश जूझ रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि आस्ट्रेलिया, अर्जेटिना और ब्राजील जैसे देश ने भारतीय गीर और साहीवाल नस्लों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि गाय के दूध में उपलब्ध धातु की पहचान उसके रंग से की जा सकती है। यही कारण है कि प्राकृतिक चिकित्सा में कई रोगों के उपचार में गाय के रंग के आधार पर दूध का सेवन करने के लिए कहा जाता है। उन्होंने इस पारंपरिक ज्ञान की वैज्ञानिक आधार पर पुष्टि करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता बताई।

इस अवसर पर बताया गया कि आदर्श गौशाला में देशी नस्ल की 8 गायों का वैज्ञानिक विधि से पालन करने की व्यवस्था की गई है। यहाँ गायों के मूत्र और गोबर संकलन के प्रबंध किये गये हैं। गायों को सामान्यत: होने वाली शारीरिक दुर्घटनाओं से बचाव के लिए फर्श पर काऊमेट की व्यवस्था की गई है। गायों को अलग-अलग रखने की आवासीय व्यवस्था के साथ ही साफ-सफाई के प्रबंध भी किये गये। गौशाला में देशी नस्ल की गीर, साहिवाल और मालवी नस्ल की गाय हैं। शीघ्र ही थार पारकर, निमाड़ी, राठी और काकरेज प्रजाति की गायें भी गौशाला में उपलब्ध होंगी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश