Posted on 14 Dec, 2017 8:21 pm

भोपाल : गुरूवार, दिसम्बर 14, 2017
 

बैतूल जिले के ग्राम चोरपांढरा के सरस्वती महिला आजीविका स्व-सहायता समूह एवं धरमपुर के जय माँ काली महिला आजीविका स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गुड़-मूँगफली से बनाई जा रही 'चिक्की' इतनी अधिक लोकप्रिय हो गई है कि प्रायमरी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के साथ बच्चों चिक्की भी पौष्टिक आहार के रूप में दी जाने लगी है।

घोड़ाडोंगरी विकासखण्ड के चोरपांढरा एवं धरमपुर ग्राम के इन दोनों स्व-सहायता समूह को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) द्वारा शुरूआत में शिवपुरी जिले से चिक्की निर्माण का प्रशिक्षण दिलवाया गया। प्रशिक्षण के बाद 12-12 हजार रुपये की राशि रिवाल्विंग फण्ड के रूप में उपलब्ध करवाई गई। चिक्की बनाने के लिए 2 लाख 85 हजार 744 रुपये की राशि इन समूहों को अग्रिम रूप से दी गई। दोनों समूह की महिलाओं की लगन को देखकर एनआरएलएम के जिला परियोजना प्रबंधक ने सर्वशिक्षा अभियान के समन्वयक से सम्पर्क किया और 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन के साथ चिक्की उपलब्ध करवाने की शुरूआत की।

बच्चों के सुपोषण के लिए यह चिक्की अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। अब घोड़ाडोंगरी विकासखण्ड के तकरीबन 251 प्रायमरी स्कूलों में मंगलवार, गुरुवार एवं शनिवार को मध्यान्ह भोजन के साथ चिक्की दी जा रही है। इस कार्य में जुटी प्रत्येक महिला को 5 से 6 हजार रुपये तक की मासिक आमदनी भी होने लगी है।

सफलता की कहानी (बैतूल)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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