Posted on 28 Nov, 2017 11:58 am

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के बीते 12 सालों के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में न केवल राष्ट्रीय पशु बाघों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है बल्कि वन विभाग की नीलगाय, बारहसिंगा, गौर आदि की स्थानांतरण योजनाओं को दूसरे राज्यों ने भी अपनाया है।

वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि खड़ी फसलों को उजाड़ने वाली नीलगाय पर नियंत्रण के लिये बरसों से प्रयास जारी थे। कई राज्यों ने इनके शिकार की अनुमति भी दी, परंतु मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान इसके पूर्णत: विरुद्ध थे। इसी वर्ष वन विभाग ने नीलगायों को बिना नुकसान पहुँचाए जंगल में छोड़ने में सफलता हासिल की। अब विभिन्न राज्य इस तकनीक को मध्यप्रदेश से हासिल कर रहे हैं। इसके पूर्व राज्य वन विभाग ने मात्र कान्हा में बचे बारहसिंगा को भोपाल में सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है। इसके अलावा गौर और कृष्ण मृग को भी स्थानांतरित करने में सफलता हासिल की है।

पन्ना में तो बाघ समाप्त हो चुके थे। वर्ष 2009 में कान्हा और बांधवगढ़ से लाए गए बाघों से हुई शुरूआत से आज यहाँ लगभग 30 बाघ हो चुके हैं। वन्य-प्राणियों के प्रबंधन, संरक्षण और स्थानांतरण में मध्यप्रदेश के कारण भारत विश्व गुरु बन गया है। देश में पहली बार कान्हा टाइगर रिजर्व के अनाथ बाघ शावकों को वनकर्मियों ने पाला-पोसा, शिकार करना सिखाया और वन में छोड़ा। आज ये सभी आत्म-निर्भर हैं।

डॉ. शेजवार ने बताया कि मध्यप्रदेश देश का अकेला राज्य है, जहाँ टाइगर रिजर्व से होने वाली आमदनी का एक तिहाई हिस्सा क्षेत्रीय और दो तिहाई राष्ट्रीय उद्यान के विकास के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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