Posted on 23 Dec, 2017 11:14 am

बड़वानी के शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ट द्वारा आज 'रेपिस्ट को केपिटल पनिशमेंट - विल इट वर्क' विषय पर एक संगोष्ठी हुई। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एन.एल. गुप्ता के मार्गदर्शन में हुई। संगोष्ठी में छात्राओं ने अपने विचारों को प्रभावी ढंग से रखा। डॉ. मधुसूदन चौबे ने बलात्कार से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 375 और 376 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने संगोष्ठी में बताया कि यह धाराएँ बलात्कार से संबंधित हैं। डॉ. मधुसूदन ने छात्राओं को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कानून में किये गये नये संशोधन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि बारह वर्ष तक की आयु की लड़की के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार किया जाता है, तो अपराधी या अपराधियों को मृत्यु दंड दिया जायेगा।

बी.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा कामिनी पाटीदार ने संगोष्ठी में जानकारी दी कि बलात्कार के लिए केपिटल पनिशमेंट यानी मृत्यु दंड का प्रावधान करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। छात्रा ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की इस पहल को सराहनीय बताया। संगोष्ठी में एम.ए. की छात्रा गंगा जादव ने कहा कि संशोधन के बाद समाज में बलात्कार जैसे अपराध पर नियंत्रण लग सकेगा। उन्होंने लड़कियों से कहा कि वे किसी की भी ज्यादती को सहन न करें। संगोष्ठी में बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा राधिका शर्मा ने कहा कि अपराधी को मृत्यु दंड देने से पहले ऐसी यातनाएं दी जानी चाहिए कि जिसके बारे में सुनकर लोग सिहर उठें। इन यातनाओं को संचार माध्यमों के जरिये अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जाना चाहिये।

हर रेपिस्ट को मिले मृत्यु-दंड

मास्टर ऑफ लायब्रेरी साइंस और इर्न्फोमेशन टेक्नोलॉजी की शिक्षा प्राप्त कर चुकी सुश्री प्रीति गुलवानिया कहती हैं कि जिस तरह से कम आयु की बच्चियों के साथ बढ़ती बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिये कानूनी संशोधन लाया गया है, उसके दायरे में किसी भी उम्र की महिला के साथ बलात्कार करने वाले अपराधी को मृत्यु-दण्ड दिये जाने को भी शामिल किया जाना चाहिये। ऐसा करने पर समाज में बलात्कार की घटनाओं पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकेगी। संगोष्ठी में बी. ए. प्रथम वर्ष की छात्रा रितु बर्फा कहती हैं कि यह प्रावधन स्वागत योग्य है, पर समाज में ऐसे घिनौने अपराध हो ही नहीं तो कितना अच्छा रहे। समाज और शिक्षा संस्थानों द्वारा नैतिकता का विकास किया जाना चाहिए ताकि व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर ही न हो सके।

जीते जी मर जाती है पीड़िता

बी. ए. अंतिम वर्ष की छात्रा सोनिका पाटीदार ने कहा कि रेप का पीड़िता पर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। वह डिप्रेशन में आ जाती है। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु-दण्ड दिया जाना ही उचित है। बी.ए. प्रथम वर्ष की राजनीति विज्ञान की छात्रा पुष्पा धनगर का कहना है कि जीवन हर व्यक्ति को प्यारा होता है। जब इस अपराध के लिए मृत्यु-दंड दिया जायेगा, तो व्यक्ति अपराध करने से पहले सौ बार सोचेगा। बी.ए. प्रथम वर्ष इतिहास की छात्रा राजनंदिनी खेड़े ने कहा कि नैतिकता और भय ये दो माध्यम हैं, जिनसे आपराधिक गतिविधियां रोकी जा सकती हैं। यदि अपराधी को खुले आम फांसी दी जाये तो दूसरे लोग ऐसा अपराध करने का दुस्साहस नहीं कर पायेंगे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश