Posted on 08 Dec, 2022 7:30 pm

मध्यप्रदेश में 4 लाख 9 हजार स्व-सहायता समूह हैं, जिनसे लगभग 45 लाख 90 हजार गरीब ग्रामीण परिवार जुड़े हुए हैं। इन समूहों को नियमित प्रशिक्षण, बैंकों से ऋण दिलवा कर और आजीविका गतिविधियों से जोड़ कर उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिये निरंतर कार्य किया जा रहा है। इन समूहों की आहरण सीमा में वृद्धि के लिये आरबीआई मानकों का पालन बैंक सुनिश्चित करें।

अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री मलय श्रीवास्तव ने कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और नाबार्ड द्वारा आयोजित स्व-सहायता समूहों की बैंक क्रेडिट लिंकेज प्रगति की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिये।

अपर मुख्य सचिव श्री श्रीवास्तव ने बैंकर्स को निर्देश दिये कि स्व-सहायता समूहों की प्रशिक्षित महिलाओं को बीसी के रूप में कार्य के लिये बैंक प्राथमिकता के आधार पर पद स्थापित करें। राज्य शासन द्वारा सचालित स्व-सहायता योजनाओं में बैंक समय पर ऋण उपलब्ध करायें। इस कार्य की नियमित समीक्षा की जाये।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि स्व-सहायता समूहों को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिये बैंकों से अधिक से अधिक ऋण मिल पाये, इसके लिये आवश्यक है कि उनमें वित्तीय साक्षरता हो। इसके लिये आरसेटी केन्द्रों द्वारा आजीविका मिशन के साथ समन्वय स्थापित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम किये जाएँ।

बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, म.प्र.डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन श्री एल.एम. बेलवाल, मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड श्री निरूपम मेहरोत्रा, महाप्रबंधक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया श्री हेमन्त सोनी, संयोजक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति श्री तरसेम सिंह जीरा शामिल हुए। भारतीय स्टेट बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, म.प्र. ग्रामीण बैंक, मध्यांचल ग्रामीण बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बडौदा, इंडियन बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक के राज्य स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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