Posted on 26 Oct, 2017 12:14 pm

भोपाल : गुरूवार, अक्टूबर 26, 2017
 

अनूपपुर जिले के ग्राम सोनियामार के आदिवासी कृषक पवन सिंह के परिवार में आज बलराम ताल की वजह से खुशियाँ हिलोरे ले रही हैं। पहले पवन सिंह दो एकड़ के रकबे में असिंचित फसल लेते थे। खरीफ के मौसम में किसी तरह कोदो की फसल तो हो जाती थी परंतु रबी में रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ता था। परिवार की रोजमर्रा की आवश्यकताओं की पूर्ति भी बमुश्किल ही हो पाती थी।

तभी एक दिन कृषि विभाग के उप संचालक ने पवन सिंह को बलराम तालाब बनाने की जानकारी दी। औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद उन्हें कृषि विभाग से अनुदान मिला। पूरे परिश्रम से उन्होंने बलराम तालाब का निर्माण करवाया। तालाब भरने पर उनकी जिंदगी खुशियों से लबालब हो गई। कठोर परिश्रम के बाद सीमित मात्रा में मात्र कोदो का उत्पादन करने वाला उनका खेत अब द्विफसलीय क्षेत्र में बदल चुका था। पवन सिंह खरीफ में धान की खेती, रबी में गेहूँ के साथ टमाटर, गोभी, बैंगन आदि सब्जियों का भी उत्पादन करने लगे हैं। उन्होंने तालाब की मेढ़ पर अरहर की फसल उगाकर अतिरिक्त आय भी लेना शुरू कर दिया है। सब्जी-भाजी से उन्हें हर साल 30-35 हजार रूपये की आमदनी हो जाती है।

'सब कुछ सपना सा लगता है। कभी मैं दूसरों के खेत में मजदूरी करने जाता था, आज दूसरों को रोजगार देने में समर्थ हो गया हूँ। बलराम ताल न होता तो मैं अपने परिवार की बढ़ती हुई जरूरतों को कैसे पूरा करता। आज एक संतुष्टि है कि अपने परिवार का भरण-पोषण बेहतर तरीके से कर पा रहा हूँ।' यह कहना है किसान पवन सिंह का।

बलराम ताल से न केवल पवन सिंह के खेत में हरियाली और खुशहाली आई, बल्कि गाँव के भू-जल स्तर में भी वृद्धि हुई। इससे पानी की उपलब्धता बढ़ी है और पर्यावरण संतुलन बेहतर हुआ है। अब गर्मी में भी सिंचाई के साथ-साथ पशु-पक्षियों को न केवल पीने का पानी मिल रहा है, बल्कि तालाब के किनारे ठण्डी छाँव भी मिल रही है।

सफलता की कहानी (अनूपपुर)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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