Posted on 29 Apr, 2022 6:25 pm

संचालक मध्यप्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस रिसर्च श्री यतीन्द्र सिंह सिसौदिया ने कहा है कि अध्यापन के साथ न्याय करने के लिए अनुसंधान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अध्ययन, अध्यापन और अनुसंधान एक दूसरे के पूरक हैं। रिसर्च का ईको सिस्टम और रिसर्च कल्चर को विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री सिसोदिया अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान द्वारा आयोजित पीएच.डी. कॉलोक्वियम के दूसरे दिन रिसर्च मेथोडोलोजी विषय पर शोध विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।

श्री सिसौदिया ने कहा कि हमारे शैक्षिणिक मानको को सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों को जिम्मेदारी लेनी होगी। छात्रों और संकाय उच्चतम स्तर पर अपने अनुसंधानों की प्रस्तुति दें। उन्होंने कहा कि रिसर्च करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि हमारे पास प्रश्न होने चाहिए, कुछ नया जानने की इक्छा और नए विचारों का सृजन करने के लिए तैयार रहना चाहिए। श्री सिसौदिया ने कहा कि अनुसंधान में आगे बढ़ने के लिए मानसिक तौर पर अपने आपको स्वतंत्र रखें। उन्होंने कहा कि किसी भी टॉप अप्रोच से रिसर्च का रिवाइवल नहीं हो सकता। बॉटम अप्रोच से शुरू करने से नई दिशा और सृजनात्मक अनुसंधान को गति मिलेगी।

श्री सिसौदिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनुसंधान के लिए असीमित संभावनाएँ हैं। इस पर अभी जितना काम हुआ है, वह काफी कम है। उन संभावनाओं को तलाशने के लिए अब पारंपरिक तरीके से बाहर आने की आवश्यकता है। रिसर्चर्स को अपने रिसर्च को समझाने, वर्णित करने और आलोचनाओं को समझने की समझ होना आवश्यक है। आपके मन में प्रश्न और जिज्ञासाओं का होना, हमारे इर्द-गिर्द क्या घटित हो रहा इन सबकी जानकारी होना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद मानसिक, शारीरिक, आर्थिक जैसे अनेक क्षेत्रों में हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। रिसर्च कार्य करने वालों को इन मुद्दों पर सकारात्मक तौर से रिसर्च कर शासन को अपनी रिपोर्ट देना चाहिए।

श्री सिसौदिया ने कहा कि अच्छे रिसर्च के लिए गुणवत्ता और कौशल के साथ सम्प्रेषण की जानकारी, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, संगठनात्मक कौशल और धैर्य सबसे महत्वपूर्ण गुण है। असावधानी से बनाया गया रिसर्च प्रपोजल भविष्य में नुकसान पहुँचता है। बौद्धिक शक्ति के बिना रिसर्च को गति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा हम कैसे कम्यूनिकेट करते हैं ये महत्वपूर्ण है। अच्छे रिसर्च के लिए कार्य-योजना व्यवहार्यता और स्थिरता के साथ सीमाओं का ज्ञान होना भी आवश्यक है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश