Posted on 01 Mar, 2018 11:15 am

 

फरवरी-2018 में ओला-वृष्टि से 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति पर सिंचित फसल के लिये 30 हजार रुपये तथा वर्षा आधारित फसल के लिये 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से अनुदान सहायता राशि दी जायेगी। अभी यह राशि क्रमश: 15 हजार और 8 हजार रुपये है। राज्य शासन द्वारा माह फरवरी-2018 में ओला-वृष्टि से कृषकों को हुई फसल नुकसानी के लिये तथा भविष्य में दी जाने वाली सहायता के संबंध में राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड 6-4 के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता राशि तथा मानदण्ड में संशोधन किये गये हैं। उल्लेखनीय है कि फरवरी माह में ओला-वृष्टि से प्रभावित फसलों के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल क्षति पर अनुदान सहायता राशि बढ़ाने की घोषणा की थी।

फसल हानि के लिये आर्थिक सहायता

प्रमुख सचिव राजस्व श्री अरुण पाण्डेय ने जानकारी दी है कि फलदार पेड़, उन पर लगी फसलें, आम, संतरा, नींबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलें तथा पान बरेजे को छोड़कर सभी उगाई जाने वाले फसलों, जिसमें सब्जी की खेती, मसाले, ईसबगोल, तरबूजे, खरबूजे की खेती भी सम्मिलित है, चाहे वह खेतों या नदी के किनारे हों की हानि के लिये नये मानदण्ड निर्धारित किये गये हैं।

लघु एवं सीमांत कृषक, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक कृषि भूमि है, उनकी 25 से 33 प्रतिशत फसल क्षति पर वर्षा आधारित फसल के लिये 5 हजार, सिंचित फसल के लिये 9 हजार, बारहमासी (छह माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 9 हजार, बारहमासी (छह माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 15 हजार और सब्जी, मसाले तथा ईसबगोल की खेती के लिये 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान सहायता राशि दी जायेगी।

इतने ही रकबे वाले कृषकों की 33 से 50 प्रतिशत तक फसल क्षति पर वर्षा आधारित फसल के लिये 8 हजार, सिंचित फसल के लिये 15 हजार, बारहमासी (छह माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 18 हजार, बारहमासी (छह माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 20 हजार और सब्जी, मसाले तथा ईसबगोल की खेती के लिये 26 हजार और सेरीकल्चर (एरी, शहतूत और टसर) के लिये 6 हजार एवं मूँगा के लिये 7 हजार 500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान सहायता राशि दी जायेगी।

इसी रकबे की 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति पर वर्षा आधारित फसल के लिये 16 हजार, सिंचित फसल के लिये 30 हजार, बारहमासी (छह माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 30 हजार, बारहमासी (छह माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये भी 30 हजार, सब्जी, मसाले तथा ईसबगोल की खेती के लिये 30 हजार और सेरीकल्चर (एरी, शहतूत और टसर) के लिये 12 हजार एवं मूँगा के लिये 15 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान सहायता राशि दी जायेगी।

लघु एवं सीमांत कृषक से भिन्न 2 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि धारित करने वाले कृषक को, उनकी 25 से 33 प्रतिशत फसल क्षति पर वर्षा आधारित फसल के लिये 4 हजार 500, सिंचित फसल के लिये 6 हजार 500, बारहमासी (छह माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 6 हजार 500, बारहमासी (छह माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 12 हजार और सब्जी, मसाले तथा ईसबगोल की खेती के लिये 14 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान सहायता राशि दी जायेगी।

इसी रकबे के कृषकों को 33 से 50 प्रतिशत फसल क्षति पर वर्षा आधारित फसल के लिये 6 हजार 800, सिंचित फसल के लिये 13 हजार 500, बारहमासी (छह माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 18 हजार, बारहमासी (छह माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये भी 18 हजार और सब्जी, मसाले तथा ईसबगोल की खेती के लिये 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान सहायता राशि दी जायेगी।

इसी रकबे वाले कृषकों को 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति पर वर्षा आधारित फसल के लिये 13 हजार 600, सिंचित फसल के लिये 27 हजार, बारहमासी (छह माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये 30 हजार, बारहमासी (छह माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त होने पर) फसल के लिये भी 30 हजार और सब्जी, मसाले तथा ईसबगोल की खेती के लिये 30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान सहायता राशि दी जायेगी।

इन संशोधनों के अलावा राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड-6 क्रमांक-4 परिशिष्ट-1 के अन्य प्रावधान पहले की तरह लागू रहेंगे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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