Posted on 01 Mar, 2022 7:36 pm

रेरा में नियमों को स्पष्ट एवं सुसंगत बनाने से कॉलोनाइजर्स का विश्वास बढ़ा है। अब बड़े शहरों के साथ ही परियोजना पंजीयन के लिए डिण्डौरी, झाबुआ, कटनी, अलीराजपुर, राजगढ़, बैतूल एवं शाजापुर जैसे छोटे नगरों के भी आवेदन-पत्र प्राप्त हो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि रेरा के परियोजना पंजीयन कार्य में इस वर्ष विगत वर्ष की तुलना में आशातीत वृद्धि हुई है। वर्ष 2020-2021 में पंजीकृत परियोजनाओं की संख्या 232 थी, जबकि इस वर्ष अभी तक 352 परियोजनाओं का पंजीयन किया जा चुका है। यह विगत वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है। यह इसलिए भी उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2021-2022 में कोरोना की दूसरी एवं तीसरी लहर के कारण भी कार्यालयीन कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव रहा है।

सचिव भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) श्री नीरज दुबे ने बताया है कि रेरा अधिनियम प्रभावशील होने के समय पूर्व से चल रही परियोजनाओं में संक्षिप्त परीक्षण के बाद लगभग 1706 पंजीयन हुए थे। बाद के लगभग चार वर्षों में लगभग 1116 और कुल 2822 परियोजनाएँ पंजीकृत हुई हैं। चार वर्ष के नवीन परियोजना पंजीयन का औसत लगभग 279 है, जबकि अकेले पाँचवें वर्ष में पंजीयन की संख्या बढ़कर 352 हो गई है।

परियोजना पंजीयन के लिए प्राप्त होने वाले आवेदन-पत्रों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। पहले इसका औसत लगभग 35-40 प्रतिमाह होता था, जबकि अब 70 का औसत प्रतिमाह आ रहा है।

वर्ष 2021-22 के अप्रैल में 25, मई 8, जून 35, जुलाई 37, अगस्त 52, अक्टूबर 64, नवम्बर 65, दिसम्बर 62, जनवरी 2022 में 60 एवं फरवरी में 50 आवेदन-पत्र प्राप्त हुए हैं। विगत वर्षों में सिर्फ फरवरी 2021 में सर्वाधिक 55 आवदेन-पत्र प्राप्त हुए थे।

42 कॉलोनाइजर्स को नोटिस

प्राधिकरण ने अधिनियम के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करने के लिए लगभग 42 प्रकरणों में कॉलोनाइजर्स को नोटिस जारी किये हैं और अर्थदण्ड भी अधिरोपित किए हैं। उल्लेखनीय है कि आवंटितियों के पक्ष में पारित किए गए आदेशों का पालन न करने पर इस प्रकार की कार्यवाही की गई है। एक परियोजना का पंजीकरण भी निरस्त किया गया है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश