Posted on 06 Oct, 2016 8:39 pm

भोपाल : गुरूवार, अक्टूबर 6, 2016, 17:29 IST
 

प्रदेश में भूमि, खनिज एवं आवागमन की सुविधा और मानव संसाधन की उपलब्धता की वजह से निवेश का माहौल बना है। प्रदेश में पिछले वित्त वर्ष में 48 हजार 179 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम पंजीकृत हुए हैं। गत वर्ष की तुलना में यह ढाई गुना अधिक है।

प्रमुख सचिव एम.एस.एम.ई. श्री व्ही.एल. कांताराव ने बताया कि औद्योगिक दृष्टि से अग्रणी बनाने, औद्योगिक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, प्रदेश प्रशासन को उद्योग मित्र बनाये रखने और राज्य में निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि करने के उद्देश्य से प्रदेश में उद्योग संवर्धन नीति-2014 लागू की गयी है। नीति में छोटे, मझौले और लघु उद्योगों को सक्षम बनाने के लिये एम.एस.एम.ई. विभाग गठित किया गया है।

ऐसे होगा औद्योगिक संरचना विकास

प्रदेश में निवेशकों को उनकी माँग के अनुसार उद्योग के लिये शीघ्र भूमि उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सभी जिलों में तकरीबन 25 हजार हेक्टेयर शासकीय भूमि का लेण्ड बैंक संधारित किया गया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिये 250 औद्योगिक क्षेत्र/विकास केन्द्रों में 15 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि विकसित की जा चुकी है। भूमि उपलब्ध करवाये जाने के लिये पारदर्शिता एवं सुगमता हो, इसके लिये 'ऑनलाइन' आवंटन का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र विहीन जिलों में नवीन औद्योगिक क्षेत्रों का विकास होगा। इस क्रम में अशोक नगर, अनूपपुर एवं उमरिया में नवीन औद्योगिक क्षेत्र के विकास की मंजूरी दी जा चुकी है।

ऐसी बीमार एवं बंद इकाइयाँ, जिनके प्रकरण कई वर्ष से न्यायालय में लंबित हैं, को पुनर्जीवित/एक्जिट के लिये 100 प्रतिशत तक भूमि हस्तांतरण की सुविधा होगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा हाल ही में सूक्ष्म एवं उद्योगों के लिये की गयी घोषणा अनुसार एम.एस.एम.ई. इकाइयों को आवंटित की जाने वाली भूमि के क्षेत्रफल एवं भूमि के मूल्य में दी जाने वाली रियायत के स्लेब में परिवर्तन कर भूमि के मूल्य पर अधिकतम छूट 90 फीसदी से बढ़ाकर 95 फीसदी की गई है। बीमार/बंद उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिये 50 प्रतिशत तक भूमि विक्रय की अनुमति होगी। ये सुविधाएँ एक अप्रैल, 2015 के पूर्व बंद/बीमार इकाई के रूप में परिभाषित इकाइयों के मामलों में मान्य होगी। एक अप्रैल, 2015 के पूर्व के पट्टाधारकों को पट्टे की शर्तों अनुसार ही भू-भाटक प्रभावशील रहेंगे, किन्तु इकाई के हस्तातंरण होने पर नवीन नियम प्रभावशील हो जायेंगे। तीस वर्ष के लीजधारकों को 15 वर्ष का भू-भाटक एकमुश्त जमा करने पर शेष 15 वर्ष के भू-भाटक से मुक्त रखा जायेगा। लीजधारकों को 30 और 99 वर्ष की लीज अवधि का विकल्प मिलेगा।

निजी भूमि पर इकाई स्थापना की अनुमति की समय-सीमा तय होगी

एम.एस.एम.ई. इकाइयों द्वारा स्वयं की निजी भूमि पर औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिये डायवर्सन अंतर्गत रि-असेसमेंट आदेश एक माह में जारी होंगे। इन प्रावधानों को लोक सेवा प्रबंधन अधिनियम में लाया जाकर एक निश्चित अवधि में एम.एस.एम.ई. इकाइयों को लाभ मिल सकेगा।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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