Posted on 28 Nov, 2017 12:00 pm

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के 12 वर्ष का कार्यकाल प्रदेश के लोगों, खासतौर पर कमजोर वर्गों के लिए काफी राहत भरे रहे हैं। इस दौरान प्रदेश में न केवल शिशु-मातृ मृत्यु दर घटी है बल्कि प्रदेश की नि:शुल्क डायलिसिस, कीमोथेरेपी, दवा वितरण आदि नवाचारों को काफी सराहना भी मिली है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री रुस्तम सिंह ने उक्त जानकारी देते हुए कहा कि इस दौरान ममता, आस्था, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य शिविर, महिला स्वास्थ्य शिविर, दस्तक अभियान, निरोगी काया अभियान के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग ने घर-घर पहुंचकर रोगियों को चिन्हांकित कर उपचार की व्यवस्था की है।

श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 2006 में मातृ मृत्यु दर 335 थी जो वर्ष 2011-13 में घटकर 221 हो गई। इसको कम करने के प्रयास निरंतर जारी हैं। शिशु मृत्यु दर भी वर्ष 2006 में 74 के मुकाबले घटकर वर्ष 2016 में 47 और सकल प्रजनन दर वर्ष 2004 में 3.3 से घटकर वर्ष 2016 में 2.1 हो गई है। इसमें संस्थागत प्रसव की अह्म भूमिका है। वर्ष 2006 में संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 26 था जो वर्ष 2016 में बढ़कर 80.8 हो गया। पूर्ण टीकाकरण प्रतिशत भी 82 है। छूटे हुए बच्चों में उनकी संख्या अधिक है जो परिवार सहित अन्यत्र स्थानान्तरित हो गए हैं। सघन मिशन इन्द्रधनुष में छूटे हुए बच्चों के टीकाकरण के लिए वर्ष 2017-18 में 4 चरणों में अभियान चलाया जा रहा है।

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पिछले कुछ सालों में प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में मंहगा इलाज कम या नि:शुल्क दर पर उपलब्ध हुआ है। सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में नि:शुल्क दवा वितरण, नि:शुल्क जाँच, भर्ती मरीजों को नि:शुल्क भोजन, सभी जिला अस्पतालों में कैंसर पीड़ित मरीजों की नि:शुल्क कीमोथेरेपी और गरीबी रेखा के नीचे के मरीजों की नि:शुल्क डायलिसिस की जा रही है। सभी जिला चिकित्सालयों में 'स्वास्थ्य संवाद केन्द्र' बनाये जाकर 12 लाख 43 हजार मरीजों को नि:शुल्क परामर्श एवं जाँच सुविधा दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सभी जिला चिकित्सालयों में मेटरनिटी विंग की स्थापना कर मातृ-शिशु स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था के प्रयास किये गये हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृ अभियान में सर्वाधिक वॉयलेन्टियर डॉक्टर के पंजीयन एवं द्वितीय एवं तृतीय त्रैमास गर्भवती महिलाओं की सेवा प्रदायगी में मध्यप्रदेश देश में प्रथम है। प्रदेश में 54 एसएनसीयू क्रियाशील हैं जिनमें 3 लाख से अधिक नवजात शिशुओं का उपचार किया जा चुका है। इसके अलावा 7 जिला चिकित्सालयों और 5 चिकित्सा महाविद्यालयों में बाल्य रोग गहन चिकित्सा इकाई और 5 शासकीय मेडिकल कॉलेज में आब्स्टेट्रिक गहन चिकित्सा इकाई भी कार्यरत है।

श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश के 43 जिले कटेफटे होंठ और तालू की बीमारी से मुक्त हो चुके हैं। बढ़ती आबादी के मद्देनजर चिकित्सा सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। प्रदेश में 2000 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत किये जाकर किराये के भवन में संचालित हो रहे हैं। पिछले 4 सालों में स्वास्थ्य संस्थाओं में बिस्तरों की संख्या लगभग 5 गुना बढ़कर 8,448 से 42 हजार 659 हो गई है। वर्ष 2017 में लोक सेवा आयोग से चयनित 726 चिकित्सकों में 583 की पदस्थापना की जा चुकी है। प्रदेश के 143 चिकित्सक विहीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। जिले से संस्था स्तर तक औषधियों तथा सामग्री की स्टॉक उपलब्धता पोर्टल पर है। अक्टूबर 2017 से प्रति बुधवार वॉक इन द्वारा चिकित्सकों की संविदा नियुक्ति की जा रही है। अब तक 155 नवीन चिकित्सकों की पदस्थापना कर दी गई है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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