Posted on 14 Dec, 2017 8:24 pm

भोपाल : गुरूवार, दिसम्बर 14, 2017
 

आदिवासी परिवार अपने पौष्टिक आहार एवं उत्सव के लिए छोटे-छोटे तालाबों में मत्स्य पालन करते रहे हैं। पुष्पराजगढ़ (जिला अनूपपुर) जनपद पंचायत के ग्राम पोड़की में जल संसाधन विभाग द्वारा पूर्व के वर्षों में सिंचाई हेतु जोहिला जलाशय का निर्माण कराया गया था। प्रारंभ में इस जलाशय का सिंचाई कार्य में उपयोग किया जाता था। जब मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों ने गाँव के किसानों को खेती के साथ मत्स्य पालन कर अधिक लाभ कमाने की जानकारी दी तो वे तैयार हो गये।

पांच वर्ष पूर्व 25 आदिवासी किसानों ने मत्स्य पालन करने की इच्छा जाहिर की। मत्स्य पालन विभाग ने किसानों का चयन कर उनकी सहकारी समिति गठित कर दी। समिति के सदस्य किसानों को प्रशिक्षण दिलाकर जोहिला जलाशय 10 वर्ष की लीज पर दिलाया गया। विभाग ने इन्हें लगातार प्रशिक्षण एवं मत्स्य बीज आदि सहायता उपलब्ध कराई। जब किसान प्रशिक्षित हो गये तो मत्स्य पालन विभाग द्वारा समिति के सदस्यों को स्वयं नर्सरी संचालन का प्रशिक्षण भी दिया गया।

इन आदिवासी किसानों को अचानकमार वायोस्फियर रिजर्व अमरकंटक मद से 0.1 हैक्टेयर की दो नर्सरी, नर्सरी नेट, फसला जाल, महाजाल एवं वोट, सायकिल, इन्सुलेटेड बाक्स आदि अनुदान पर उपलब्ध करवाये गये। समिति के सदस्यों ने प्रथम वर्ष इसी साल 30 लाख स्पान, बीज संवर्धन कर 6 लाख फिंगर लिंग जलाशय में संचयन कर लिये हैं। इससे जलाशय का मत्स्योत्पादन 100 क्विंटल के लगभग होने की संभावना है। इसका बाजार मूल्य 10 लाख रुपये होगा। पूर्व में समिति की वार्षिक आय मात्र एक लाख रुपये हुआ करती थी। अब किसान उत्साहित हैं। केज कल्चर से मत्स्य पालन करने की योजना भी बना रहे हैं।

सफलता की कहानी (अनूपपुर)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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