Posted on 16 Sep, 2024 1:20 pm

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश में शुरू हुए स्वच्छता अभियान में मध्यप्रदेश अनेक कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। प्रधानमंत्री की मंशानुरूप प्रदेशवासियों ने पूरे उत्साह और जन-सहयोग से स्वच्छता के क्षेत्र में नये आयाम भी स्थापित किये हैं। इसमें जहाँ एक ओर वर्ष 2022 के स्वच्छ सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश को सबसे स्वच्छतम राज्य का दर्जा मिला, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के इंदौर शहर ने लगातार 7वीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव प्राप्त किया। इसके साथ ही वर्ष 2023 में प्रदेश में गीले कचरे से बॉयो सीएनजी का उत्पादन करने का अभिनव नवाचार भी हुआ है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्म-दिन 17 सितम्बर से स्वच्छता ही सेवा अभियान शुरू हो रहा है। यह अभियान 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी की जयंती तक चलेगा। इस वर्ष अभियान की थीम “स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता’’ रखी गयी है। स्वच्छता ही सेवा अभियान में अधिक से अधिक जन-भागीदारी और स्थानीय निकायों की भागीदारी पर जोर दिया गया है। मध्यप्रदेश ने स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) में कई मामलों में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। प्रदेश के सभी शहरों ने पिछले 10 वर्षों के दौरान अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किये हैं। जनता के सहयोग से स्वच्छ भारत मिशन को जन-आंदोलन का रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस बार भी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जन-भागीदारी के साथ बड़े पैंमाने पर स्वच्छता संबंधी विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की जायेगी।

स्वच्छता के क्षेत्र में प्रदेश की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ

स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार-2023 में इंदौर शहर को लगातार 7वीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला है। यह इंदौर के नागरिकों की जन-भागीदारी का बेहतरीन उदाहरण है। मध्यप्रदेश कम लागत पर एसटीपी इंसेप्शन एण्ड डायवर्सन आधारित सीवेज उपचार प्रणाली के लिये दिशा-निर्देश तैयार करने और कार्यादेश जारी करने वाला पहला राज्य है। इस वर्ष मार्च-2024 में मध्यप्रदेश ने नगरीय निकायों के लिये “उपयोगिता जल और सेप्टेज प्रबंधन नीति’’ प्रकाशित की है, जिसमें सीवर और सैप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई 100 प्रतिशत सुनिश्चित की गयी है। इंदौर वाटर प्लस प्रमाणन और 7 स्टार रेटिंग प्राप्त करने वाला देश का पहला शहर है। हाल ही में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2024 में जबलपुर को 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।

शत-प्रतिशत मोटराइज्ड वाहनों से कचरा संग्रहण

प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में 7 हजार 82 से अधिक मोटराइज्ड वाहनों से कचरा संग्रहण व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है। इनमें सूखे, गीले, घरेलू हानिकारक और सेनेटरी अपशिष्ट को अलग-अलग रखने के लिये कम्पार्टमेंट बनाये गये हैं। जीपीएस और पीए सिस्टम से वाहनों की निगरानी और स्वच्छता विषयों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। गीले कचरे के प्र-संस्करण और निष्पादन के लिये स्पॉट कम्पोजिटिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में 850 से अधिक ठोस अपशिष्ट उत्पादकों द्वारा स्पॉट कम्पोजिटिंग की जा रही है। प्रदेश में फीकल स्लज के निष्पादन को प्राथमिकता देते हुए 368 नगरीय निकायों में 399 एफएसटीपी और 20 निकायों में 55 एसटीपी संचालित हो रहे हैं। प्रदेश में 401 नगरीय निकाय 368 केन्द्रीयकृत इकाइयों से कम्पोजिटिंग कर रहे हैं। सूखे कचरे के प्र-संस्करण के लिये 401 नगरीय निकायों में 360 मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी इकाइयों का निर्माण किया गया है।

गीले कचरे से बॉयो सीएनजी का उत्पादन

निकायों में लीगेसी वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से खत्म करने की दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश के 108 नगरीय निकायों के लीगेसी वेस्ट का उपचार किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में 50 नगरीय निकायों ने अपने लीगेसी वेस्ट का पूर्ण निपटान कर लिया है। गीले कचरे की कम्पोजिटिंग के लिये कटनी और सागर में अत्याधुनिक स्व-चलित इकाइयाँ कार्य कर रही हैं। इन इकाइयों में 16 शहरों से कचरा लाकर उसे कम्पोस्ट में बदला जा रहा है। इंदौर में गीले कचरे से बॉयो सीएनजी तैयार करने के लिये 550 टन प्रतिदिन क्षमता की गोवर्धन इकाई काम कर रही है। रीवा और जबलपुर में कचरे से बिजली बनाने की इकाइयाँ भी चल रही हैं। इन इकाइयों में प्रतिदिन 950 टन कचरे का प्र-संस्करण कर 18 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है। प्रदेश के 10 निकायों के लिये क्लस्टर आधारित 1019 टन प्रतिदिन क्षमता की इकाइयों के लिये केन्द्र सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है। इंदौर और उज्जैन में 660 टन कचरे से बिजली बनाने का काम प्रस्तावित है। इस यूनिट में करीब 12.15 मेगावॉट बिजली पैदा होगी। इन सब कामों से प्रदेश के नगरीय निकाय वर्ष 2027 तक कचरा प्रबंधन में आत्म-निर्भर बन सकेंगे।

स्वच्छ सर्वेक्षण में हासिल की नई ऊँचाइयाँ

स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 में मध्यप्रदेश को देश के सबसे स्वच्छतम राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ है। वहीं स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 में मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे स्वच्छतम राज्य घोषित किया गया है। स्वच्छता के मामले में मध्यप्रदेश को 7 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। प्रदेश के 361 निकाय ओडीएफ डबल प्लस, 3 निकाय ओडीएफ प्लस और 7 निकाय को ओडीएफ का प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है। नगरीय निकायों में अपशिष्ट जल के शोधन एवं उपचारित जल के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये 7 निकायों को वाटर प्लस का प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है। अब तक प्रदेश के 384 निकायों द्वारा स्वयं को सीपीएचईईओ मानदण्डों के आधार पर संरक्षित शहर घोषित किया गया है।

स्वच्छ सर्वेक्षण-2024

खुले में शौच से मुक्त शहरों की श्रेणी में 27 शहरों को वाटर प्लस और शेष सभी शहरों को डबल प्लस, वहीं कचरा मुक्त स्टार प्रमाणीकरण के लिये सभी शहरों को कम से कम 3 स्टार से प्रमाणित किये जाने का लक्ष्य तय किया गया है।

नवाचार एवं उत्कृष्ट प्रयास

प्रदेश में स्वच्छता विषयों के प्रति जागरूकता लाने के लिये स्वच्छता की पाठशाला नामक गतिविधि शुरू की गयी है। इसके लिये अब तक 388 प्रशिक्षण सत्रों में 44 हजार 639 सफाई मित्रों, 2004 अधिकारियों, 243 जन-प्रतिनिधियों और 200 अशासकीय संगठनों के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिलाया गया है। आपसी अनुभव से सीखने की प्रक्रिया को सशक्त करने के मकसद से प्रतिदिन स्वच्छता संवाद परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। सफाई मित्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नेशनल हेल्थ मिशन के सहयोग से सफाई मित्रों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिये शिविर लगाये गये। इनमें 44 हजार 701 सफाई मित्रों और उनके परिवार को फायदा पहुँचाया गया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता से जुड़े प्रमुख विषयों पर 10 से अधिक ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जा चुके हैं। हाल ही में आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में 16 प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया गया। इन सत्रों में जमीनी स्तर पर बदलाव लाने की दिशा में 14 नगरीय निकायों और 311 निकायों में 600 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षण के साथ सह एक्सपोजर विजिट कराया गया।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश