जिस घटना पर संविदा समाश्रित है, यदि वह किसी जीवित व्यक्ति का भावी आचरण हो तो वह घटना कब असंभव समझी जाएगी
Updated: Sep, 12 2018
34. जिस घटना पर संविदा समाश्रित है, यदि वह किसी जीवित व्यक्ति का भावी आचरण हो तो वह घटना कब असंभव समझी जाएगी -- यदि वह भावी घटना, जिस पर कोई संविदा समाश्रित है, इस प्रकार हो जिस प्रकार से कोई व्यक्ति किसी अविनिर्दिष्ट समय पर कार्य करेगा, तो वह घटना असम्भव हुई तब समझी जाएगी जब ऐसा व्यक्ति कोई ऐसी बात करे जो किसी भी परिमित समय के भीतर, या उत्तरदायी आकस्मिकताओं के बिना उस व्यक्ति द्वारा वैसा किया जाना असम्भव कर दे।
दृष्टान्त
'क' करार करता है कि यदि 'ग' से 'ख' विवाह करे तो वह 'ख' को एक धनराशि देगा। 'घ' से 'ग विवाह कर लेती है। अब 'ग' से 'ख' का विवाह असम्भव समझा जाना चाहिए यद्यपि यह सम्भव है कि 'घ' की मृत्यु हो जाए और तत्पश्चात् 'ख' से 'ग विवाह कर ले।
34. When event on which contract is contingent to be deemed impossible, if it is the future conduct of a living person -- If the future event on which a contract is contingent is the way in which a person will act at an unspecified time, the event shall be considered to become impossible when such person does anything which renders it impossible that he should so act within any definite time, or otherwise than under further contingencies.
Illustration
A agrees to pay B a sum of money if B marries C, C marries D. The marriage of B to C must now be considered impossible, although it is possible that D may die and that C may afterwards marry B.