Updated: Jul, 03 2019

 

105 ङ.- संपत्ति का अभिग्रहण या कुर्की -- (1) जहाँ धारा 105घ के अधीन जांच या अन्वेषण करने वाले किसी अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि किसी संपत्ति के, जिसके संबंध में ऐसी जांच या अन्वेषण किया जा रहा है, छिपाए जाने, अंतरित किए जाने या उसके विषय में किसी रीति से व्यवहार किए जाने की संभावना है जिसका परिणाम ऐसी संपत्ति का व्ययन होगा वहाँ वह उक्त संपत्ति का अभिग्रहण करने का आदेश कर सकेगा और जहाँ ऐसी संपत्ति का अभिग्रहण करना साध्य नहीं है वहाँ वह कुर्की का आदेश यह निदेश देते हुए कर सकेगा कि ऐसी संपत्ति ऐसा आदेश करने वाले अधिकारी की पूर्व अनुज्ञा के बिना अंतरित नहीं की जाएगी या उसके विषय में अन्यथा व्यवहार नहीं किया जाएगा और ऐसे आदेश की एक प्रति की तामील संबंधित व्यक्ति पर की जाएगी।

(2) उपधारा (1) के अधीन किए गए किसी आदेश का तब तक कोई प्रभाव नहीं होगा, जब तक उक्त आदेश की, उसके किए जाने से तीस दिन की अवधि के भीतर उक्त न्यायालय के आदेश द्वारा पुष्टि नहीं कर दी जाती है।

 

105 E. - Seizure or attachment of property — (1) Where any officer conducting an inquiry or investigation under section 105D has a reason to believe that any property in relation to which such inquiry or investigation is being conducted is likely to be concealed, transferred or dealt with in any manner which will result in disposal of such property, he may make an order for seizing such property and where it is not practicable to seize such property, he may make an order of attachment directing that such property shall not be transferred or otherwise dealt with, except with the prior permission of the officer making such order and a copy of such order shall be served on the person concerned.

(2) Any order made under sub-section (1) shall have no effect unless the said order is confirmed by an order of the said Court, within a period of thirty days of its being made.