कुछ संपत्ति को अभिगृहीत करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति (Power of police officer to seize certain property)
Updated: Jul, 03 2019
घ - प्रकीर्ण
102. कुछ संपत्ति को अभिगृहीत करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति -- (1) कोई पुलिस अधिकारी किसी ऐसी संपत्ति को, अभिगृहीत कर सकता है जिसके बारे में यह अभिकथन या संदेह है कि वह चुराई हुई है अथवा जो ऐसी परिस्थितियों में पाई जाती है, जिनसे किसी अपराध के किए जाने का संदेह हो।
(2) यदि ऐसा पुलिस अधिकारी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के अधीनस्थ है तो वह उस अधिग्रहण की रिपोर्ट उस अधिकारी को तत्काल देगा।
(3) उपधारा (1) के अधीन कार्य करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को अभिग्रहण की रिपोर्ट तुरन्त देगा और जहाँ अभिगृहीत संपत्ति ऐसी है कि वह सुगमता से न्यायालय में नहीं लाई जा सकती है
जहाँ ऐसी संपत्ति की अभिरक्षा के लिए उचित स्थान प्राप्त करने में कठिनाई है, या जहाँ अन्वेषण के प्रयोजन के लिए संपत्ति को पुलिस अभिरक्षा में निरंतर रखा जाना आवश्यक नहीं समझा जाता है। वहाँ वह उस संपत्ति को किसी ऐसे व्यक्ति की अभिरक्षा में देगा जो यह वचनबंध करते हुए बंधपत्र निष्पादित करे कि वह संपत्ति को जब कभी अपेक्षा की जाए तब न्यायालय के समक्ष पेश करेगा और उसके व्ययन की बाबत न्यायालय के अतिरिक्त आदेशों का पालन करेगा
परन्तु जहाँ उपधारा (1) के अधीन अभिगृहीत की गई सम्पत्ति शीघ्रतया और प्रकृत्या क्षयशील हो और यदि ऐसी संपत्ति के कब्जे का हकदार व्यक्ति अज्ञात है अथवा अनुपस्थित है और ऐसी संपत्ति का मूल्य पाँच सौ रुपये से कम है, तो उसका पुलिस अधीक्षक के आदेश से तत्काल नीलामी द्वारा विक्रय किया जा सकेगा और धारा 457 और धारा 458 के उपबन्ध यथासाध्य निकटतम रूप में, ऐसे विक्रय के शुद्ध आगमों को लागू होंगे
D - Miscellaneous
102. Power of police officer to seize certain property — (1) Any police officer may seize any property which may be alleged or suspected to have been stolen, or which may be found under circumstances which create suspicion of the commission of any offence.
(2) Such police officer, if subordinate to the officer in charge of a police station, shall forthwith report the seizure to that officer.
(3) Every police officer acting under sub-section (1) shall forthwith report the seizure to the Magistrate having jurisdiction and where the property seized is such that it cannot be, conveniently transported to the Court 2[or where there is difficulty in securing proper accommodation for the custody of such property, or where the continued retention of the property in police custody may not be considered necessary for the purpose of investigation he may give custody thereof to any person on his executing a bond undertaking to produce the property before the Court as and when required and to give effect to the further orders of the Court as to the disposal of the same
Provided that where the property seized under sub-section (1) is subject to speedy and natural decay and if the person entitled to the possession of such property is unknown or absent and the value of such property is less than five hundred rupees, it may forthwith be sold by auction under the orders of the Superintendent of Police and the provisions of sections 457 and 458 shall, as nearly as may be practicable, apply to the net proceeds of such sale.