द्विविवाह के लिये दण्ड (Punishment of bigamy)
Updated: Jan, 30 2021
17. द्विविवाह के लिये दण्ड - यदि इस अधिनियम के प्रारम्भ के पश्चात् दो हिन्दुओं के बीच अनुष्ठित किसी विवाह की तारीख में ऐसे विवाह में के किसी पक्षकार का पति या पत्नी जीवित था या थी तो ऐसा कोई विवाह शून्य होगा और भारतीय दण्ड संहिता (1860 का अधिनियम 45) की धारा 494 और 495 के उपबन्ध तदनुकूल लागू होंगे।
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17. Punishment of bigamy - Any marriage between two Hindus solemnized after the commencement of this Act is void if at the date of such marriage either party had a husband or wife living; and the provisions of sections 494 and 495 of the Indian Penal Code (45 of 1860), shall apply accordingly.