शून्यकरणीय विवाह (Voidable marriages)
Updated: Jan, 30 2021
12. शून्यकरणीय विवाह –
(1) कोई विवाह भले ही वह इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व या पश्चात् अनुष्ठित किया गया है; निम्न आधारों में से किसी पर अर्थात्:
(क) कि प्रत्यर्थी की नपुंसकता के कारण विवाहोत्तर संभोग नहीं हुआ है; या
(ख) इस आधार पर कि विवाह धारा 5 के खण्ड (2) में उल्लिखित शतों के उल्लंघन में है; या
(ग) इस आधार पर कि याचिकादाता की सम्मति या जहाँ कि याचिकादाता के विवाहार्थ संरक्षक की सम्मति, धारा 5 के अनुसार बाल विवाह निरोधक (संशोधन) अधिनियम, 1978 (1978 का 2) के लागू होने के पूर्व थी वहाँ ऐसे संरक्षक की सम्मति बल या कर्म-काण्ड की प्रकृति या प्रत्यर्थी से सम्बन्धित किसी तात्विक तथ्य या परिस्थिति के बारे में कपट द्वारा अभिप्राप्त की गई थी, या
(घ) इस आधार पर कि प्रत्युत्तरदात्री विवाह के समय याचिकादाता से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा गर्भवती थी; शून्यकरणीय होगा और अकृतता की आज्ञप्ति द्वारा अकृत किया जा सकेगा।
(2) उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी विवाह को अकृत करने के लिए कोई याचिका:
(क) उपधारा (1) के खण्ड (ग) में उल्लिखित आधार पर उस सूरत में ग्रहण न की जायेगी जिसमें कि -
(i) अर्जी, यथास्थिति, बल प्रयोग के प्रवर्तनहीन हो जाने या कपट का पता चल जाने के एकाधिक वर्ष पश्चात् दी जाए; या
(ii) अजींदार, यथास्थिति, बल प्रयोग के प्रवर्तन हो जाने के या कपट का पता चल जाने के पश्चात् विवाह के दूसरे पक्षकार के साथ अपनी पूर्ण सहमति से पति या पत्नी के रूप में रहा या रही है;
(ख) उपधारा (1) के खण्ड (घ) में उल्लिखित आधार पर तब तक ग्रहण न की जायेगी जब तक कि न्यायालय का समाधान नहीं हो जाता है -
(i) कि याचिकादाता अभिकथित तथ्यों से विवाह के समय अनभिज्ञ था;
(ii) कि इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व अनुष्ठित विवाहों की अवस्था में कार्यवाहियाँ ऐसे प्रारम्भ के एक वर्ष के भीतर और ऐसे प्रारम्भ के पश्चात् अनुष्ठित विवाहों की अवस्था में विवाह की तारीख से एक वर्ष के भीतर संस्थित कर दी गई हैं; और
(iii) कि याचिकादाता की सम्मति से वैवाहिक सम्भोग उक्त आधार के अस्तित्व का पता याचिकादाता को चल जाने के दिन से नहीं हुआ है।
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12. Voidable marriages –
(1) Any marriage solemnized, whether before or after the commencement of this Act, shall be voidable and may be annulled by a decree of nullity on any of the following grounds, namely -
(a) that the marriage has not been consummated owing to the impotence of the respondent; or
(b) that the marriage is in contravention of the condition specified in clause (ii) of section 5; or
(c) that the consent of the petitioner, or where the consent of the guardian in marriage of the petitioner [was required under section 5, as it stood immediately before the commencement of the Child Marriage Restraint (Amendment) Act, 1978 (2 of 1978)], the consent of such guardian was obtained by force for by fraud as to the nature of the ceremony or as to any material fact or circumstance concerning the respondent]; or
(d) that the respondent was at the time of the marriage pregnant by some person other than the petitioner.
(2) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), no petition for annulling a marriage :
(a) on the ground specified in clause (c) of sub-section (1), shall be entertained if :
(i) the petition is presented more than one year after the force had ceased to operate or, as the case may be, the fraud had been discovered; or
(ii) the petitioner has, with his or her full consent, lived with the other party to the marriage as husband or wife after the force had ceased to operate or, as the case may be, the fraud had been discovered;
(b) on the ground specified in clause (d) of sub-section (1) shall be entertained unless the Court is satisfied
(i) that the petitioner was at the time of the marriage ignorant of the facts alleged;
(ii) that proceedings have been instituted in the case of a marriage solemnized before the commencement of this Act within one year of such commencement and in the case of marriages solemnized after such commencement within one year from the date of the marriage; and
(iii) that marital intercourse with the consent of the petitioner has not taken place since the discovery by the petitioner of the existence of the said ground.