सेशन न्यायालय (Court of Session)
Updated: Jul, 22 2019
9. सेशन न्यायालय -- (1) राज्य सरकार प्रत्येक सेशन खण्ड के लिए एक सेशन न्यायालय स्थापित करेगी।
(2) प्रत्येक सेशन न्यायालय में एक न्यायाधीश पीठासीन होगा, जो उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
(3) उच्च न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीशों और सहायक सेशन न्यायाधीशों को भी सेशन न्यायालय में अधिकारिता का प्रयोग करने के लिए नियुक्त कर सकता है।
(4) उच्च न्यायालय द्वारा एक सेशन खण्ड के सेशन न्यायाधीश को दूसरे खण्ड का अपर सेशन न्यायाधीश भी नियुक्त किया जा सकता है और ऐसी अवस्था में वह मामलों को निपटाने के लिए दूसरे खण्ड के ऐसे स्थान या स्थानों में बैठ सकता है जिनका उच्च न्यायालय निर्देश दे ।
(5) जहाँ किसी सेशन न्यायाधीश का पद रिक्त होता है वहाँ उच्च न्यायालय किसी ऐसे अर्जेण्ट आवेदन के, जो उस सेशन न्यायालय के समक्ष किया जाता है या लंबित है, अपर या सहायक सेशन न्यायाधीश द्वारा, अथवा यदि अपर या सहायक सेशन न्यायाधीश नहीं है तो सेशन खण्ड के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा निपटाए जाने के लिए व्यवस्था कर सकता है और ऐसे प्रत्येक न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को ऐसे आवेदन पर कार्यवाही करने की अधिकारिता होगी।
(6) सेशन न्यायालय सामान्यतः अपनी बैठक ऐसे स्थान या स्थानों पर करेगा जो उच्च न्यायालय अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे; किन्तु यदि किसी विशेष मामले में, सेशन न्यायालय की यह राय है कि सेशन खण्ड दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 में किसी अन्य स्थान में बैठक करने से पक्षकारों और साक्षियों को सुविधा होगी तो वह, अभियोजन और अभियुक्त की सहमति से उस मामले को निपटाने के लिए या उसमें साक्षी या साक्षियों की परीक्षा करने के लिए उस स्थान पर बैठक कर सकता है।
स्पष्टीकरण -- इस संहिता के प्रयोजनों के लिए नियुक्ति के अंतर्गत सरकार द्वारा संघ या राज्य के कार्यकलापों के सम्बन्ध में किसी सेवा या पद पर किसी व्यक्ति की प्रथम नियुक्ति, पद स्थापना या पदोन्नति नहीं है, जहाँ किसी विधि के अधीन ऐसी नियुक्ति, पद-स्थापना या पदोन्नति सरकार द्वारा किए जाने के लिए अपेक्षित है।
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राज्य संशोधन
उत्तरप्रदेश :
धारा 9 में उपधारा (5) के बाद अग्रलिखित उपधारा अन्त:स्थापित की जाएगी, अर्थात् :
“(5-क) सेशन जज की मृत्यु, त्याग-पत्र, हटाये जाने या स्थानान्तर की दशा में या बीमारी या अन्यथा कर्तव्यों के अनुपालन में असमर्थ हो जाने या उसके न्यायालय लगने के स्थान से अनुपस्थित रहने की दशा में वहाँ मौजूद अतिरिक्त सेशन जजों या सहायक सेशन जजों में सबसे वरिष्ठ और इनकी अनुपस्थिति में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अपने सामान्य कर्तव्यों का त्याग किये बिना सेशन जज के पद का कार्यभार ग्रहण करेगा और तब तक कार्यभार ग्रहण करेगा, जब तक कि सेशन जज द्वारा पुन: कार्यभार ग्रहण न कर लिया जावे अथवा इस हेतु नियुक्त अधिकारी द्वारा कार्यभार ग्रहण न कर लिया जावे तथा वह इस संहिता के उपबंधों और उच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में बनाये गये नियमों के अध्यधीन सेशन जज के किन्हीं भी अधिकारों का प्रयोग करेगा।
[देखें उत्तरप्रदेश. एक्ट संख्या 1 सन् 1984, धारा 2 (दिनांक 1-5-1984 से प्रभावशील)]
धारा 9 की उपधारा (6) में निम्नलिखित परन्तुक अंत:स्थापित करें :
“परन्तु यह कि आंतरिक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के विचार से जहाँ ऐसा करना समीचीन प्रतीत हो, सेशन कोर्ट किसी विशेष मामले में सेशन डिवीजन के किसी स्थान में अपनी बैठकें कर सकेगा या उच्च न्यायालय निर्देश कर सकेगा कि सेशन कोर्ट अपनी ऐसी बैठकें करें और ऐसे मामले में अभियोजन या अभियुक्त की सहमति आवश्यक नहीं होगी।”
[देखें उत्तरप्रदेश एक्ट संख्या 16, सन् 1976, धारा 2 (दिनांक 28-11-1975 से भूतलक्षी प्रभाव से प्रभावशील)]
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9. Court of Session - (1) The State Government shall establish a Court of Session for every sessions division.
(2) Every Court of Session shall be presided over by a Judge, to be appointed by the High Court
(3) The High Court may also appoint Additional Sessions Judges and Assistant Session Judges to exercise jurisdiction in a Court of Session.
(4) The Sessions Judge of one sessions division may be appointed by the High Court to be also an Additional Sessions Judge of another division and in such case he may sit for the disposal of cases at such place or places in the other division as the High Court may direct
(5) Where the office of the Sessions Judge is vacant, the High Court may make arrangements for the disposal of any urgent application which is, or may be, made or pending before such Court of Session by an Additional or Assistant Sessions Judge, or, if there be no Additional or Assistant Sessions Judge, by a Chief Judicial Magistrate, in the sessions division and every such Judge or Magistrate shall have jurisdiction to deal with any such application.
(6) The Court of Sessions shall ordinarily hold its sitting at such place or places as the High Court may, by notification, specify; but, if, in any particular case, the Court of Session is of opinion that it will tend to the general convenience of the parties and witnesses to hold its sittings at any other place in the sessions division, it may, with the consent of the prosecution and the accused, sit at that place for the disposal of the case or the examination of any witness or witnesses therein.
Explanation -- For the purposes of this Code, "appointment” does not include the first appointment, posting or promotion of a person by the Government to any Service, or post in connection with the affairs of the Union or of a State, where under any law, such appointment, posting or promotion is required to be made by Government.
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STATE AMENDMENTS
Uttar Pradesh:
In section 9, after sub-section (5), the following sub-section shall be inserted, namely:
“(5A) In the event of the death, resignation, removal or transfer of the Sessions Judge, or of his being incapacitated by illness or otherwise for the performance of his duties, or of his absence from the place at which his Court is held, the senior most among the Additional Sessions Judges, and the Assistant Sessions Judges present at the place, and in their absence the Chief Judicial Magistrate shall without relinquishing his ordinary duties assume charge of the office of the Sessions Judge and continue in charge thereof until the office is resumed by the Sessions Judge or assumed by an officer appointed thereto, and shall subject to the proviso of this Code and any rules made by the High Court in this behalf, exercise any of the powers of the Sessions Judge.”
[Vide Uttar Pradesh Act 1 of 1984, sec. 2 (w.e.f. 1-5-1984)].
In section 9, to sub-section (6), insert the following proviso:-
“Provided that the Court of Sessions may hold, or the High Court may direct the Court of Session to hold its sitting in any particular case at any place in the Sessions Division, where it appears expedient to do so for considerations of or public order, and in such cases, the consent of the prosecution and the accused shall not be necessary."
[Vide Uttar Pradesh Act 16 of 1976, sec. 2 (w.r.e.f. 28-11-1975)]
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