अपत्यों और वृद्ध जनकों का भरण-पोषण (Maintenance of children and aged parents)
Updated: Aug, 04 2018
20. अपत्यों और वृद्ध जनकों का भरण-पोषण -- (1) इस धारा के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि कोई हिन्दू अपने जीवनकाल के दौरान अपने धर्मज या अधर्मज अपत्यों और वृद्ध या शिथिलांग जनकों का भरण-पोषण करने के लिए आबद्ध है।
(2) जब तक कि कोई धर्मज या अधर्मज अपत्य अप्राप्तवय रहे वह अपने पिता या माता से भरणपोषण पाने के लिए दावा कर सकेगा।
(3) किसी व्यक्ति को अपने वृद्ध या शिथिलांग जनकों का या किसी पुत्री का, जो अविवाहिता हो, भरण-पोषण करने की बाध्यता का विस्तार वहाँ तक होगा जहाँ तक कि जनक या अविवाहिता पुत्री, यथास्थिति, स्वयं अपने उपार्जनों या अन्य सम्पत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो ।
स्पष्टीकरण -- इस धारा में ‘‘जनक'' के अन्तर्गत नि:संतान सौतेली माता भी आती है।
20. Maintenance of children and aged parents - (1) Subject to the provisions of this section a Hindu is bound, during his or her lifetime, to maintain his or her legitimate or illegitimate children and his or her aged or infirm parents.
(2) A legitimate or illegitimate child may claim maintenance from his or her father or mother so long as the child is a minor.
(3) The obligation of a person to maintain his or her aged or infirm parent or daughter who is unmarried extends in so far as the parent or the unmarried daughter, as the case may be, is unable to maintain himself or herself out of his or her own earnings or other property
Explanation- In this section "parent" includes a childless stepmother.