Updated: Aug, 04 2018

 

19. विधवा पुत्रवधू का भरण-पोषण -- (1) कोई हिन्दू पत्नी, चाहे वह इस अधिनियम के प्रारंभ से पूर्व या पश्चात् विवाहित हो, अपने पति की मृत्यु के पश्चात् अपने श्वसुर से भरण- पोषण प्राप्त करने की हकदार होगी :

परन्तु यह तब जब कि और उस विस्तार तक जहाँ तक कि वह स्वयं अपने अर्जन से या अन्य संपत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो या उस दशा में जहाँ उसके पास अपनी स्वयं की कोई भी संपत्ति नहीं है वह निम्नलिखित में किसी से अपना भरण-पोषण अभिप्राप्त करने में असमर्थ हो :.

(क) अपने पति या अपने पिता या माता की संपदा से, या

(ख) अपने पुत्र या पुत्री से, यदि कोई हो, या उसकी सम्पदा से ।

(2) यदि श्वसुर के अपने कब्जे में कि ऐसी सहदायिकी सम्पत्ति से, जिसमें से पुत्रवधू को कोई अंश अभिप्राप्त नहीं हुआ है श्वसुर के लिए ऐसा करना साध्य नहीं है, तो उपधारा (1) के अधीन किसी बाध्यता का प्रवर्तन नहीं कराया जा सकेगा और ऐसी बाध्यता का पुत्रवधू के पुनर्विवाह पर अंत हो जाएगा ।

 

19. Maintenance of widowed daughter-in-law -  (1) A Hindu wife, whether married before or after the commencement of this Act, shall be entitled to be maintained after the death of her husband by her father-in-law.

Provided and to the extent that she is unable to maintain herself out of her own earnings or other property or, where she has no property of her own, is unable to obtain maintenance-

(a) from the estate of her husband or her father or mother, or

(b) from her son or daughter, if any, or his or her estate.

(2) Any obligation under sub-section (1) shall not be enforceable if the fatherin- law has not the means to do so from any coparcenary property in his possession out of which the daughter-in-law has not obtained any share, and any such obligation shall cease on the remarriage of the daughter-in-law.