पत्नी का भरण-पोषण (Maintenance of wife)
Updated: Feb, 25 2019
अध्याय 3
भरण-पोषण
18. पत्नी का भरण-पोषण -- (1) इस धारा के उपबंधों के अध्यधीन यह है कि हिन्दू पत्नी चाहे वह इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व या पश्चात् विवाहित हो अपने जीवनकाल में अपने पति से भरणपोषण पाने की हकदार होगी
(2) हिन्दू पत्नी अपने भरण-पोषण के दावे को समपहृत किए बिना अपने पति से पृथक् रहने के लिए निम्नलिखित किसी भी दशा में हकदार होगी :
(क) यदि उसका पति अभियजन, अर्थात् युक्तियुक्त कारण के बिना और उसकी सम्मति के बिना या उसकी इच्छा के विरुद्ध उसका परित्याग करने का या जानबूझकर उसकी उपेक्षा करने का दोषी है;
(ख) यदि उसका पति उसके साथ ऐसी क्रूरता का व्यवहार करे जिससे उसके अपने मन में इस बात की युक्तियुक्त आशंका पैदा हो कि उसके पति के साथ रहना अपहानिकर या क्षतिकारक होगा;
(ग) यदि उसका पति उग्र कुष्ठ से पीड़ित है;
(घ) यदि उसके पति की कोई अन्य पत्नी जीवित है;
(ङ) यदि उसका पति उसी गृह में जिसमें उसकी पत्नी निवास करती है कोई उपपत्नी रखता है या किसी उपपत्नी के साथ अन्य किसी स्थान में अभ्यासतः निवास करता है;
(च) यदि उसका पति कोई अन्य धर्म में संपरिवर्तित होने के कारण हिन्दू नहीं रह गया है; और
(छ) यदि उसके पृथक् होकर रहने का कोई अन्य न्यायोचित कारण है।
(3) यदि कोई हिन्दू पत्नी असती है या किसी अन्य धर्म में संपरिवर्तित होने के कारण हिन्दू नहीं रह गई है तो वह अपने पति से पृथकू निवास करने और भरण-पोषण प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी ।
CHAPTER III
MAINTENANCE
18. Maintenance of wife - (1) Subject to the provisions of this section, a Hindu wife, whether married before or after the commencement of this Act, shall be entitled to be maintained by her husband during her lifetime.
(2) A Hindu wife shall be entitled to live separately from her husband without forfeiting her claim to maintenance,-
(a) if he is guilty of desertion, that is to say, of abandoning her without reasonable cause and without her consent or against her wish, or of wilfully neglecting her;
(b) if he has treated her with such cruelty as to cause a reasonable apprehension in her mind that it will be harmful or injurious to live with her husband;
(c) if he is suffering from a virulent form of leprosy;
(d) if he has any other wife living;
(e) if he keeps a concubine in the same house in which his wife is living or habitually resides with a concubine elsewhere;
(f) if he has ceased to be a Hindu by conversion to another religion; (g) if there is any other cause justifying her living separately.
(3) A Hindu wife shall not be entitled to separate residence and maintenance from her husband if she is unchaste or ceases to be a Hindu by conversion to another religion.