Accused to be a competent witness
Updated: Mar, 27 2020
Section 21 - Accused to be a competent witness.-
Any person charged with an offence punishable under this Act, shall be a competent witness for the defence and may give evidence on oath in disproof of the charges made against him or any person charged together with him at the same trial: Provided that--
(a) he shall not be called as a witness except at his own request;
(b) his failure to give evidence shall not be made the subject of any comment by the prosecution or give rise to any presumption against himself or any person charged together with him at the same trial;
(c) he shall not be asked, and if asked shall not be required to answer, any question tending to show that he has committed or been convicted of any offence other than the offence with which he is charged, or is of bad character, unless--
(i) the proof that he has committed or been convicted of such offence is admissible evidence to show that he is guilty of the offence with which he is charged, or
(ii) he has personally or by his pleader asked any question of any witness for the prosecution with a view to establish his own good character, or has given evidence of his good character, or the nature or conduct of the defence is such as to involve imputations on the character of the prosecutor or of any witness for the prosecution, or
(iii) he has given evidence against any other person charged with the same offence.
For Latest Judgments Please Click Here
21. अभियुक्त का सक्षम साक्षी होना –
इस अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध से आरोपित कोई व्यक्ति प्रतिरक्षा के लिए सक्षम साक्षी होगा और वह अपने विरुद्ध या उसी विचारण में अपने साथ आरोपित किसी व्यक्ति के विरुद्ध किए गए आरोपों को ना साबित करने के लिए शपथ पर साक्ष्य दे सकेगा --
परन्तु :-
(क) साक्षी के रूप में वह अपनी प्रार्थना पर के सिवाय आहूत नहीं किया जाएगा।
(ख) साक्ष्य देने में उसकी असफलता पर अभियोजन पक्ष कोई टीका टिप्पणी नहीं करेगा अथवा उससे उसके या उसी विचारण में उसके साथ आरोपित किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई उपधारणा उत्पन्न नहीं होगी।
(ग) कोई ऐसा प्रश्न जिसकी प्रकृति यह दर्शित करने की है जिसे अपराध का आरोप उस पर लगाया गया हो, उससे भिन्न कोई अपराध उसने किया है या उसके लिए सिद्धदोष हो चुका है, या बुरे शील का है उससे उस दशा में के सिवाय न पूछा जाएगा या पूछे जाने पर उसका उत्तर देने की अपेक्षा नहीं की जाएगी, जिसमें :-
(एक) इस बात का साक्ष्य कि उसने ऐसा अपराध किया है या उसके लिए वह सिद्धदोष हो चुका है या दर्शित करने के लिए ग्राह्य साक्ष्य हो कि वह उस अपराध जिसका आरोप उस पर लगाया गया है; या (दो) उसके स्वयं या अपने अभिभाषक द्वारा अभियोजन पक्ष से किसी साक्ष्य से अपना अच्छा चरित्र सिद्ध करने की दृष्टि से प्रश्न पूछे हैं या चरित्र का साक्ष्य दिया है अथवा प्रतिरक्षा का स्वरूप या संचालन इस प्रकार है कि उसमें अभियोजन बने या अभियोजन पक्ष वांछना के अन्तर्गत है, या
(तीन) उसने उसी अपराध के आरोपित किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध साक्ष्य दिया है।