हिन्दू पुरुष की दत्तक लेने की सामर्थ्य (Capacity of a male Hindu to take in adoption)
Updated: Aug, 04 2018
7. हिन्दू पुरुष की दत्तक लेने की सामर्थ्य -- किसी भी हिन्दू पुरुष को जो स्वथ्य चित्त हो और अप्राप्तवय न हो यह सामर्थ्य होगी कि वह पुत्र या पुत्री दत्तक ले : परन्तु यदि उसकी पत्नी जीवित हो तो जब तक कि पत्नी पूर्ण और अंतिम रूप से संसार का त्याग न कर चुकी हो या वह हिन्दू न रह गई हो या सक्षम अधिकारिता वाले किसी न्यायालय ने उसके बारे में यह घोषित कर दिया हो कि वह विकृत चित्त की है तब तक वह अपनी पत्नी की सम्मति के बिना दत्तक नहीं लेगा ।
स्पष्टीकरण -- यदि किसी व्यक्ति की एक से अधिक पत्नियाँ दत्तक के समय जीवित हों तो जब तक कि पूर्ववर्ती परन्तुक में विनिर्दिष्ट कारणों में से किसी के लिए उनमें से किसी की सम्मति अनावश्यक न हो सब पत्नियों की सम्मति आवश्यक होगी।
7. Capacity of a male Hindu to take in adoption - Any male Hindu who is of sound mind and is not a minor has the capacity to take a son or a daughter in adoption. Provided that, if he has a wife living, he shall not adopt except with the consent of his wife unless the wife has completely and finally renounced the world or has ceased to be a Hindu or has been declared by a court of competent jurisdiction to be of unsound mind.
Explanation - If a person has more than one wife living at the time of adoption, the consent of all the wives is necessary unless the consent of any one of them is unnecessary for any of the reasons specified in the preceding proviso.