Updated: Apr, 23 2020

466. न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना -

जो कोई ऐसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख की, जिसका कि किसी न्यायालय का या न्यायालय में अभिलेख या कार्यवाही होना, या जन्म, बप्तिसमा, विवाह या अन्त्येष्टि का रजिस्टर, या लोक-सेवक द्वारा लोक-सेवक के नाते रखा गया रजिस्टर होना तात्पर्यत हो, अथवा किसी प्रमाणपत्र की या ऐसी दस्तावेज की जिसके बारे में यह तात्पर्यत हो कि वह किसी लोक-सेवक द्वारा उसकी पदीय हैसियत में रची गई है, या जो किसी वाद को संस्थित करने या वाद में प्रतिरक्षा करने का, उसमें कोई कार्यवाही करने का, या दावा संस्वीकृत कर लेने का, प्राधिकार हो या कोई मुख्तारनामा हो, कूटरचना करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

स्पष्टीकरण - इस धारा के प्रयोजनों के लिए, रजिस्टर में कोई सूची, आंकड़ा या किसी प्रविष्टि का अभिलेख शामिल है जो इलेक्ट्रानिक रूप में रखा गया है जैसा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्ड (द) में है।

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राज्य संशोधन

मध्यप्रदेश - धारा 466 के अधीन अपराध “'सन्र न्यायालय" द्वारा विचारणीय है।

[देखें म.प्र. अधिनियम क्रमांक 2 सन्‌ 2008 की धारा 4. म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2008 पृष्ठ 1457-158 पर प्रकाशित |]

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466. Forgery of record of Court or of public register, etc. –

Whoever forges a document or an electronic record, purporting to be a record or proceeding of or in a Court of Justice, or a register of birth, baptism, marriage or burial, or a register kept by a public servant as such, or a certificate or document purporting to be made by a public servant in his official capacity, or an authority to institute or defend a suit, or to take any proceedings therein, or to confess judgment, or a power of attorney, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.

Explanation -- For the purposes of this section, "register" includes any list, data or record of any entries maintained in the electronic form as defined in clause (r) of subsection (1) of section 2 of the Information Technology Act, 2000 (21 of 2000).)

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STATE AMENDMENT

Madhya Pradesh — Offence under section 466 is triable by “Court of Session”.

[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]

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