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Section 422 of Indian Penal Code (IPC) in Hindi and English
422. ऋण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना -
जो कोई किसी ऋण का या मांग का, जो स्वयं उसको या किसी अन्य व्यक्ति को शोध्य हो, अपने या ऐसे अन्य व्यक्ति के ऋणों को चुकाने के लिए विधि के अनुसार उपलब्ध होना कपटपूर्वक या बेईमानी से निवारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
422. Dishonestly or fraudulently preventing debt being available for creditors -
Whoever dishonestly or fraudulently prevents any debt or demand due to himself or to any other person from being made available according to law for payment of his debts or the debts of such other person, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.