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Section 372 of Indian Penal Code (IPC) in Hindi and English
372. वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचना -
जो कोई अठारह वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए या किसी विधिविरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह संभाव्य जानते हुए की ऐसा व्यक्ति, किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जायेगा या उपयोग किया जाएगा, बेचेगा, भाड़े पर देगा या अन्यथा व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण 1 - जबकि अठारह वर्ष से कम आयु की नारी किसी वेश्या को या किसी अन्य व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबन्ध करता हो, बेची जाए, भाड़े पर दी जाए या अन्यथा व्ययनित की जाए, तब इस प्रकार ऐसी नारी को व्ययनित करने वाले व्यक्ति के बारे में, जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि उसने उसको इस आशय से व्ययनित किया है कि वह वेश्यावृत्ति के लिए उपयोग में लाई जाएगी।
स्पष्टीकरण 2 - “अयुक्त संभोग” से इस धारा के प्रयोजनों के लिए ऐसे व्यक्तियों में मैथुन अभिप्रेत है जो विवाह से संयुक्त नहीं हैं, या ऐसे किसी संयोग या बंधन से संयुक्त नहीं हैं जो यद्यपि विवाह की कोटि में तो नहीं आता तथापि उस समुदाय की, जिसके वे हैं या यदि वे भिन्न समुदायों के हैं तो ऐसे दोनों समुदायों की, स्वीय विधि या रूढ़ि द्वारा उनके बीच में विवाह-सदृश सम्बन्ध अभिज्ञात किया जाता हो।
372. Selling minor for purposes of prostitution, etc. --
Whoever sells, lets to hire, or otherwise disposes of any person under the age of eighteen years with intent that such person shall at any age be employed or used for the purpose of prostitution or illicit intercourse with any person or for any unlawful and immoral purpose, or knowing it to be likely that such person will at any age be] employed or used for any such purpose, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall be liable to fine.
Explanation l - When a female under the age of eighteen years is sold, let for hire, or otherwise disposed of to a prostitute or to any person who keeps or manages a brothel, the person so disposing of such female shall, until the contrary is proved, be presumed to have disposed of her with the intent that she shall be used for the purpose of prostitution.
Explanation II - For the purposes of this section “illicit intercourse" means sexual intercourse between persons not united by marriage or by any union or tie which, though not amounting to a marriage, is recognised by the personal law or custom of the community to which they belong or, where they belong to different communities, of both such communities, as constituting between them a quasi-marital relation.