Updated: May, 05 2020

Section 326 of Indian Penal Code (IPC) in Hindi and English

326. खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना -

उस दशा के सिवाय, जिसके लिए धारा 335 में उपबंध है, जो कोई असन, वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा, जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए तो उससे मृत्यु कारित होना संभाव्य है, या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा, या किसी विष या संक्षारक पदार्थ द्वारा, या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा, या किसी ऐसे पदार्थ द्वारा, जिसका श्वास में जाना या निगलना या रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है, या किसी जीवजन्तु द्वारा स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

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राज्य संशोधन

मध्यप्रदेश - धारा 326 के अधीन अपराध “'सत्र न्यायालय '' द्वारा विचारणीय है।

[देखें म.प्र. अधिनियम क्रमांक 2 सन्‌ 2008 की धारा 41 म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 22-2-2008 पृष्ठ 117-158 पर प्रकाशित । ]

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326. Voluntarily causing grievous hurt by dangerous weapons or means -

Whoever, except in the case provided for by section 335, voluntarily causes grievous hurt by means of any instrument for shooting, stabbing or cutting, or any instrument which, used as a weapon of offence, is likely to cause death, or by means of fire or any heated substance, or by means of any poison or any corrosive substance, or by means of any explosive substance, or by means of any substance which it is deleterious to the human body to inhale, to swallow, or to receive into the blood, or by means of any animal, shall be punished with '[imprisonment for life], or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.

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STATE AMENDMENT

Madhya Pradesh — Offence under section 326 is triable by “Court of Session”.

[Vide Madhya Pradesh Act 2 of 2008, section 4. Published in M.P. Rajpatra (Asadharan) dated 22-2-2008 page 158-158(1).]

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