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Section 173 of Indian Penal Code (IPC) in Hindi and English
173. समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना -
जो कोई किसी लोक-सेवक द्वारा जो लोक-सेवक उस नाते कोई समन, सूचना या आदेश निकालने के लिए वैध रूप से सक्षम हो निकाले गए समन, सूचना या आदेश की तामील अपने पर या किसी अन्य व्यक्ति पर होना किसी प्रकार साशय निवारित करेगा,
अथवा किसी ऐसे समन, सूचना या आदेश का किसी स्थान में विधिपूर्वक लगाया जाना साशय निवारित करेगा,
अथवा किसी ऐसे समन, सूचना या आदेश को किसी ऐसे स्थान से, जहां कि वह विधिपूर्वक लगाया हुआ है, साशय हटाएगा,
अथवा किसी ऐसे लोक-सेवक के प्राधिकाराधीन की जाने वाली किसी उद्घोषणा का विधिपूर्वक किया जाना साशय निवारित करेगा, जो ऐसे लोक-सेवक के नाते ऐसी उद्घोषणा का किया जाना निर्दिष्ट करने के लिए वैध रूप से सक्षम हो, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से,
अथवा यदि समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा किसी न्यायालय में स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए या दस्तावेज अथवा इलेक्ट्रानिक अभिलेख पेश करने के लिए हो, तो वह सादा कारावास से जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
173. Preventing service of summons or other proceeding, or preventing publication thereof —
Whoever in any manner intentionally prevents the serving on himself, or on any other person, of any summons, notice or order proceeding from any public servant legally competent, as such public servant, to issue such summons, notice or order,
or intentionally prevents the lawful affixing to any place of any such summons, notice or order,
or intentionally removes any such summons, notice or order from any place to which it is lawfully affixed,
or intentionally prevents the lawful making of any proclamation, under the authority of any public servant legally competent, as such public servant, to direct such proclamation to be made,
shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to one month, or with fine which may extend to five hundred rupees, or with both;
or, if the summons, notice, order or proclamation is to attend in person or by agent, or [to produce a document or electronic record in a Court of Justice, with simple imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.