पेंशन की समस्याओं के बारे में (About pension problems)
Updated: Mar, 11 2021
पेंशन की समस्याओं के बारे में (About pension problems)
पेंशन नियमों के अन्तर्गत शासकीय सेवकों को उनकी सेवानिवृत्ति के दिनांक तक उनके सेवानिवृत्ति परिलाभों के प्राधिकार पत्र जारी हो जाना चाहिये। इस आशय की पूर्ति के लिये पेंशन नियमों में एक समय सारणी निर्धारित की गई है जिसके अनुसार कार्यालय प्रमुखों को चाहिये कि वे सेवानिवृत्ति के एक वर्ष पहले इसको तैयार करके महालेखाकार या मुख्य/वरिष्ठ लेखाधिकारी (पेन्शन) को भेज दें।
2. पेन्शन प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु समय-समय पर शासन द्वारा निर्देश प्रसारित किये गये हैं। इन निर्देशों के बावजूद कतिपय कार्यालय प्रमुखों द्वारा इस सम्बन्ध में अपने दायित्वों का ठीक तरह से निर्वहन नहीं किया जा रहा है। फलस्वरूप कतिपय सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेन्शनरी लाभ उन्हें सेवानिवृत्ति के पश्चात् यथा समय प्राप्त नहीं हो पाते । पेन्शन प्रकरणों को तैयार करने में कार्यालय प्रमुखों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, जिससे कतिपय कार्यालय प्रमुख ठीक तरह से निभा नहीं पा रहे हैं।
3. पेन्शन प्रकरणों के शीघ्र निराकरण की दृष्टि से शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि कार्यालय प्रमुख हर वर्ष जून माह के वेतन देयकों के साथ यह प्रमाण-पत्र संलग्न कर कोषालय अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे कि 31 मार्च की स्थिति में उनकी स्थापना में निम्न अपवादों को छोड़कर कोई पेन्शन कोई पेन्शन प्रकरण लम्बित नहीं है
(1) न्यायलयीन प्रकरण।
(2) विभागीय जाँच प्रकरण ।
(3) ऐसे प्रकरण जिनमें पेन्शनर द्वारा स्वंय आवश्यक कागजात पूर्ण करने में रुचि नहीं ली जा रही है ।
(4) ऐसे प्रकरणों जिनमें किसी भी बिन्दु पर शासन स्वीकृति हेतु प्रस्ताव प्रशासकीय विभाग अथवा वित्त विभाग को भेजे गये हों।
4. जून माह का वेतन देयक पारित करते समय कोषालय अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि अधिकारी के वेतन देयक (जिसमें कार्यालय प्रमुख का वेतन शामिल हो) में इन निर्देशों के अनुसार प्रमाण-पत्र अंकित कर दिया है।
5. जहाँ तक निर्माण विभाग का प्रश्न है लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग, सिंचाई विभाग एवं वन विभाग) के कार्यालय प्रमुख, चूंकि कोषालय से वेतन आहरित नहीं करते, अतः वे उपर्युक्त प्रमाण-पत्र अपने अधीक्षण यन्त्री/वन संरक्षक को प्रस्तुत करेंगे।
6. इस प्रकार कार्यालय प्रमुख द्वारा अंकित किये गये प्रमाण-पत्र की सत्यता की जाँच करने का अधिकार संचालक पेन्शन को होगा। जाँच में प्रमाण-पत्र असत्य पाये जाने पर, गलत प्रमाण-पत्र अंकित करने वाले अधिकारी के विरुद्ध समुचित अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाने हेतु संचालक, पेन्शन द्वारा पहल की जा सकेगी।
7. यह भी निर्देशित किया जाता है कि नियंत्रण अधिकारी अपने अधीनस्थ कार्यालयों का निरीक्षण करते समय इन निर्देशों के अनुसार, माह जून के वेतन देयक पर कार्यालय प्रमुख द्वारा अंकित किये गये प्रमाण-पत्र की सत्यता की जाँच करें। यदि पेन्शन प्रकरण लम्बित रहते हए भी गलत प्रमाण-पत्र अंकित किये गये हों तो इस आशय का उल्लेख निरीक्षण प्रतिवेदन में किया जाए तथा गलत प्रमाण-पत्र अंकित करने वाले अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही प्रारंभ करने हेतु पहल की जाए।
8. अतः अनुरोध है कि आप अपने अधीनस्थ अधिकारियों को उपर्युक्तानुसार कार्यवाही करने हेतु निर्देशित करने का कष्ट करें।
[वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 25/6/चार/92, दिनांक 23-4-1992]