मध्यप्रदेश न्यायिक सेवाएं (वेतन, पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का पुनरीक्षण) (Madhya Pradesh Judicial Services (Revision of salary, pension and other retirement benefits))
Updated: Mar, 07 2021
मध्यप्रदेश न्यायिक सेवाएं (वेतन, पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का पुनरीक्षण) नियम, 2010
मध्यप्रदेश शासन
विधि और विधायी कार्य विभाग
मंत्रालय, वल्लभ भवन, भोपाल
भोपाल, दिनांक 25 जून, 2010
फा. क्र. 3 (ए) -3-10 इक्कीस -ब (एक). यतः मध्यप्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा (भरती तथा सेवा शर्ते) नियम, 1994 के नियम 12 (2) में यह उपबंध है कि जिला न्यायाधीशों का मूल वेतन उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के निश्चित नियत अनुपात में होगा और मध्यप्रदेश निम्नतर न्यायिक सेवा (भरती तथा सेवा शर्ते) न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के निश्चित नियत अनुपात में होगा;
और, यतः उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन तथा सेवा शर्ते) अधिनियम, 1954 (1954 का 28) की धारा 13 ए में उपबंधित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन, केन्द्रीय संशोधन अधिनियम, 2009 का सं. 23 द्वारा बढ़ाया जा चुका है।
और यतः, यह समीचीन है कि जिला न्यायधीशों और सिविल न्यायाधीशों के मूल वेतन को, उच्चन न्यायालय के न्यायधीशों के बढ़े हुए वेतन के अनुपात में बढ़ाया जाए;
अतएव, भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, मध्यप्रदेश के राज्यपाल, एतद्द्वारा, मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा के सदस्यों के वेतन, पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के पुनरीक्षण से संबंधित निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात् :-
नियम
1. संक्षिप्त नाम तथा प्रारंभ - (1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश न्यायिक सेवाएं (वेतन, पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का पुनरीक्षण) नियम, 2010 है।
(2) यह 1 जनवरी 2006 से प्रवृत्त हुए समझे जाएंगे।
2. प्रयुक्ति का विस्तार - ये नियम मध्यप्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा तथा निम्नतर न्यायिक सेवा के समस्त सदस्यों को लागू होंगे।
3. परिभाषाएं - इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो –
(क) “मूल वेतन" से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश फण्डामेंटल रूल्स के नियम 9 (21) (ए) (एक) में यथा परिभाषित वेतन;
(ख) “संवर्ग" से अभिप्रेत है, एक पृथक् यूनिट के रूप में स्वीकृत सेवा की पद संख्या (स्ट्रेंथ) या सेवा का भाग;
(ग) “विद्यमान उपलब्धियों' से अभिप्रेत है, (एक) विद्यमान मूल वेतन, (दो) मूल वेतन पर उपयुक्त मंहगाई वेतन, (तीन) मूल वेतन + महंगाई वेतन पर दिया जाने वाला उपयुक्त मंहगाई भत्ता तथा (चार) दिनांक 1 सितम्बर 2008 से सेवा के सदस्यों को संदत्त हो रही 20 प्रतिशत अंतरिम राहत की राशि;
(घ) “वर्तमान पद" से अभिप्रेत है, अनुसूची के भाग -एक में दी गई तालिका के कॉलम (2) में विनिर्दिष्ट पद;
(ङ) “विद्यमान वेतनमान" सेवाओं के किसी सदस्य के संबंध में विद्यमान वेतनमान से अभिप्रेत है, 1 जनवरी, 2006 को किसी सदस्य द्वारा धारित पद पर लागू विद्यमान वेतनमान, चाहे वह मूल या स्थानापन्न रूप में हो, और जो अनुसूची के भाग-एक में दी गई तालिका के कॉलम (3) में विनिर्दिष्ट हो;
स्पष्टीकरण - सेवा के किसी सदस्य के मामले में, जो 1 जनवरी, 2006 को छुट्टी पर था या राज्य के बाहर प्रतिनियुक्ति पर हो या भारत के बाहर बाह्य सेवा में हो, या जो उस तारीख को उच्चतर पद पर स्थानापन्न रूप में रहते हुए एक या एक से अधिक निचले पदों पर रहा हो, “विद्यमान वेतनमान" में सम्मिलित है, पद पर लागू वेतनमान जो उसके यथास्थिति, छुट्टी या बाहय सेवा पर रहते हए, किन्तु किसी उच्चतर पद पर अपने स्थानापन्न रूप में रहते हुए, धारित किया हो।
(च) “प्ररूप" से अभिप्रेत है, इन नियमों से संलग्न प्ररूप;
(छ) “सरकार" से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश सरकार;
(ज) “उच्च न्यायालय" से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय;
(झ) “अनुसूची के भाग-एक में दी गई तालिका के कॉलम (2) में विनिर्दिष्ट किसी पद के संबंध में "पुनरीक्षित वेतनमान" से अभिप्रेत है, वेतनमान, जो उस तालिका के कालम (4) में उस पद न के सामने विनिर्दिष्ट किया गया हो;
(ञ) “अनुसूची" से अभिप्रेत है, इन नियमों सं संलग्न अनुसूची;
(ट) “सेवा" से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा एवं निम्नतर न्यायिक सेवा।
4. पुनरीक्षित वेतनमान. - इन नियमों के प्रारंभ होने की तारीख से वर्तमान वेतनमान वाले प्रत्येक पद का वेतनमान वह होगा, जो अनुसूची के भाग-एक में दी गई तालिका के कॉलम (4) में तत्स्थानी प्रविष्टि में विनिर्दिष्ट किया गया है।
5. पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन का आहरण - कोई न्यायिक अधिकारी, इन नियमों में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, उस पद को, जिस पर उसे नियुक्त किया गया है, लागू पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन आहरित करेगाः
परन्तु कोई न्यायिक अधिकारी विद्यमान वेतनमान में अपना वेतन उस तारीख तक आहरित करते रहने का चयन कर सकेगा, जब तक कि वह आगामी वेतनवृद्धि या विद्यमान वेतनमान में पश्चात्वर्ती वेतनवृद्धियां अर्जित कर लेता या जब तक कि वह अपना पद रिक्त नहीं कर देता अथवा उस वेतनमान में अपना वेतन आहरित करना बंद नहीं कर देता।
स्पष्टीकरण 1- इस नियम के परन्तुक के अधीन विद्यमान वेतनमान प्रतिधारित करने का विकल्प केवल एक विद्यमान वेतनमान के संबंध में ही अनुज्ञेय होगा;
स्पष्टीकरण 2- उपर्युक्त विकल्प सेवाओं के किसी ऐसे सदस्य को अनुज्ञेय नहीं होगा, जो 1 जनवरी 2006 को या उसके पश्चात् चाहे शासकीय सेवा में प्रथम बार या किसी दूसरे पद से स्थानांतरण या पदोन्नति द्वारा नियुक्त किया गया था और उसे केवल वही वेतन अनुज्ञात होगा, जो पुनरीक्षित वेतनमान में अनुज्ञेय है;
स्पष्टीकरण 3- जहां सेवाओं का कोई सदस्य नियमित आधार पर स्थानापन्न हैसियत में उसके द्वारा धारण किए गए किसी पद के संबंध, में विद्यमान वेतन प्रतिधारित करने के विकल्प का, इस नियम के परन्तुक के अधीन प्रयोग करता है, वहां मूल नियम 22 या 31 के अधीन उस वेतनमान में वेतन के नियमितीकरण के प्रयोजन के लिये उसका मूल वेतन वह मूल वेतन होगा, जो वह उस दशा में आहरित करता, जबकि वह उस स्थायी पद के संबंध में, जिस पर वह धारणाधिकार रखता है, विद्यमान वेतनमान प्रतिधारित करता या धारणाधिकार धारण करता, यदि उसका धारणाधिकार निलंबित नहीं कर दिया जाता।
6. विकल्प का प्रयोग - (1) सेवाओं के किसी सदस्य द्वारा नियम 5 के परन्तुक के अधीन विकल्प का प्रयोग, इन नियमों से संलग्न “प्ररूप" में तथा लिखित में इन नियमों के प्रकाशन की तारीख से तीन मास के भीतर या जहां विद्यमान वेतनमान उस तारीख के पश्चात् किये गये किसी आदेश द्वारा पुनरीक्षित किया गया हो, वहां ऐसे आदेश की तारीख से तीन मास के भीतर किया जाएगाः
परन्तु –
(क) सेवाओं के किसी ऐसे सदस्य के मामले में, जो इन नियमों के प्रकाशन की तारीख को या ऐसे आदेश की तारीख को यथास्थिति, छुट्टी पर हो या राज्य के बाहर प्रतिनियुक्ति पर हो अथवा भारत के बाहर विदेश सेवा में हो, उक्त विकल्प का प्रयोग राज्य सरकार के अधीन उसके द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन मास के भीतर किया जा सकेगा;
(ख) जहां सेवाओं का कोई सदस्य 1 जनवरी 2006 को निलंबन के अधीन हो, वहां विकल्प का प्रयोग उसके कर्त्तव्य पर वापसी की तारीख से तीन मास के भीतर किया जा सकेगा, यदि वह तारीख उस तारीख के बाद की हो, जो इस उप-नियम में विहित की गई है।
(ग) यह और कि जहां सेवाओं का कोई सदस्य 1 जनवरी 2006 को कर्तव्य पर था और तत्पश्चात् निलंबित कर दिया गया था और इन नियमों के प्रकाशन का तारीख को भी निलंबित हो, वहां विकल्प का प्रयोग खण्ड (ख) में यथा विहित रीति में किया जा सकेगा;
(घ) सेवाओं के वे सदस्य भी, जो 1 जनवरी 2006 के पश्चात् और इन नियमों के प्रकाशन के पूर्व सेवानिवृत्त हुए हों, इस नियम के अधीन विकल्प का प्रयोग भी कर सकेंगे।
(2) विकल्प न्यायिक सेवाओं के सदस्य द्वारा कार्यालय प्रमुख को (जो उसका वेतन तथा भत्ते आहरित करता है) जिनके अधीन वह उस समय सेवारत हो, उसकी प्रतियां उच्च न्यायालय को देते हुए और यदि वह स्वयं ही कार्यालय प्रमुख है तो उच्च न्यायालय को संसूचित किया जाएगा।
(3) विकल्प के प्राप्त होने पर, उसके प्राप्त होने की तारीख को विकल्प पर ही यथास्थिति, कार्यालय प्रमुख अथवा उच्च न्यायालय द्वारा प्रमाणित किया जाएगा, विकल्प को संबंधित सदस्य की सेवा पुस्तिका में लगाया जाएगा।
(4) एक बार प्रयोग किया गया विकल्प अंतिम होगा और यदि उप-नियम (1) में उल्लेखित समय के भीतर और विहित रीति में उसका प्रयोग नहीं किया गया है तो न्यायिक सेवाओं के ऐसे सदस्य के संबंध में यह समझा जाएगा कि उसने 1 जनवरी, 2006 से पुनरीक्षित वेतनमान का चयन कर लिया है।
टिप्पणी 1 - सेवाओं के सदस्य, जिसकी सेवायें 1 जनवरी, 2006 को या उसके पश्चात् समाप्त कर दी गई थीं और जो विहित समय-सीमा के भीतर विकल्प का प्रयोग मृत्यु हो जाने, स्वीकृत पदों की समाप्ति पर सेवोन्मुक्त कर दिए जाने, पदत्याग, पदच्युति, अनुशासनिक आधारों पर सेवोन्मुक्त होने के कारण नहीं कर सके थे, इस नियम का लाभ उठाने के हकदार हैं।
टिप्पणी 2 - सेवाओं के सदस्य, जिनकी मृत्यु 1 जनवरी, 2006 को या उसके पश्चात् किन्तु इन नियमों के प्रकाशन की तारीख के पूर्व हो गई हो, अथवा जिसकी इन नियमों के प्रकाशन के पश्चात् किन्तु विकल्प का प्रयोग करने के लिये विहित कालावधि के पूर्व विकल्प का प्रयोग किये बिना ही मृत्यु हो जाती है, के संबंध में समझा जाएगा कि उसने उस वेतनमान के लिए विकल्प दिया है, जिसे संबंधित प्राधिकारी द्वारा उनके लिये लाभप्रद समझा जाए और तदनुसार उसक वेतन नियत किया जाएगा।
7. पुनरीक्षित वेतनमान में प्रारंभिक वेतन का नियत किया जाना - (1) सेवाओं के उस सदस्य का, जो 1 जनवरी, 2006 को तथा से पुनरीक्षित वेतनमान द्वारा शासित होने के लिए नियम 6 के अधीन चयन करता है या जिसके बारे में यह समझा जाता है कि उसने पुनरीक्षित वेतनमान का चयन कर लिया है, किसी भी दशा में, जब तक कि राज्य सरकार, विशेष आदेश द्वारा, अन्यथा निदेश न दे, प्रारंभिक वेतन का नियतन, उस स्थायी पद पर, जिस पर वह धारणाधिकार रखता है या यदि उसे निलंबित नहीं कर दिया जाता तो वह धारणाधिकार रखता, उसके मूल वेतन के संबंध में पृथक् से किया जाएगा और उसके द्वारा धारित स्थानापन्न पद पर, उसके वेतन के संबंध में ऐसा मूल वेतन, अनुसूची के भाग -2 में दी गई, वर्तमान वेतनमान से संबंधित सुसंगत तालिका के कालम (5) में, दर्शाए अनुसार तत्स्थानी अवस्था के समकक्ष, जिसमें वह सदस्य वेतन निर्धारण के समय विद्यमान वेतनमान में वेतन पा रहा था, जो उस तालिका के कालम क्रमांक (1) में दर्शाई गई है, दर्शाई राशि के बराबर होगा।
(2) पुनरीक्षित वेतनमान से वेतन नियत करने में निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार किया जाएगाः-
(क) उस दिशा में, जब कोई सेवाओं का सदस्य 1 जनवरी, 2006 के पूर्व उच्च पद पर पदोन्नत किया गया हो, पुनरीक्षित वेतनमान में अपने कनिष्ठ से कम वेतन आहरित करता है, ऐसी रकम तक आगे बढ़ाया जाएगा, जो कनिष्ठ की पदोन्नति की तारीख से उच्च पद में अपने कनिष्ठ के लिये नियत वेतन के बराबर हो;
(ख) उस दशा में, जब कोई अधिकारी 1 जनवरी, 2006 के पश्चात् उच्च पद पर पदोन्नत किया गया हो, तथा उसका मूल वेतन उच्च न्यायालय की समान अवस्था में निम्न वेतनमान की समान अवस्था से कम हो तो उच्च वेतनमान में उसे आगामी अवस्था में नियत किया जावेगा ताकि उसके मूल वेतन को सुरक्षित किया जा सके;
स्पष्टीकरण 1 - यदि इस प्रकार संगणित किए गए कुल जोड़ में एक रुपये का भाग सम्मिलित हो तो उसे निकटतम रुपये तक पूर्णांकित किया जाएगा अर्थात् 50 पैसे से कम को छोड़ दिया जाएगा, जबकि 50 पैसे या उससे अधिक को अगले उच्चतर रुपये तक पूर्णांकित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण 2 - जहां विद्यमान वेतनमान में वेतनवृद्धि 1 जनवरी, 2006 को देय हो, वहां उसे मूल वेतन के भाग के रूप में माना जाएगा।
8. पुनरीक्षित वेतनमान में अगली वेतनवृद्धि की तारीख - (1) सेवाओं के सदस्य को, पुनरीक्षित वेतनमान में अगली वेतनवृद्धि उस तारीख को प्रदत्त की जाएगी, जिसको वह यदि वर्तमान वेतनमान में बना रहता तो वेतनवृद्धि आहरित करता।
(2) यदि सेवाओं का कोई सदस्य पुनरीक्षित वेतनमान में, उपरोक्त उपनियम (1) के अधीन अपनी अगली वेतनवृद्धि आहरित करता है और उसके द्वारा वह अपने वरिष्ठ से, जिसकी अगली वेतनवृद्धि किसी पश्चात्वर्ती तारीख को देय होती हो, उच्चतर वेतन के लिये पात्र हो जाता है, तो ऐसे वरिष्ठ का वेतन उस तारीख से, जिसको कि कनिष्ठ, उच्चतर वेतन के लिये हकदार हो जाता है, कनिष्ठ के वेतन के बराबर पुनर्नियन किया जाएगा, उस दशा में, जब सेवा के सदस्य का वेतन उपर्युक्तानुसार बढ़ता है, तब अगली वेतनवृद्धि आवश्यक अर्हकारी सेवा अर्थात् एक वर्ष पूर्ण करने के पश्चात् दी जाएगी।
9. महंगाई भत्ता - सेवाओं के सदस्यों की तारीख 1 जुलाई, 2006 से केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों को समय-समय पर लागू दरों पर मंहगाई भत्ता अनुज्ञात किया जाएगा।
10. वेतन के बकाया का भुगतान - (1) इन नियमों के अधीन वेतन के निर्धारण के परिणामस्वरूप वेतन का वास्तविक बकाया, 1 जनवरी, 2006 से (अर्थात् माह जनवरी, 2006 का वेतन जो माह फरवरी, 2006 में देय हो) किया जावेगा। कुल बकाया की 60 प्रतिशत के बराबर राशि दो वित्तीय वर्षों में विभक्त कर नगद भुगतान की जायेगी तथा शेष 40 प्रतिशत बकाया वेतन की राशि न्यायिक अधिकारियों के सामान्य भविष्य निधि के खाते में जमा की जाएगी तथा ऐसे न्यायिक अधिकारियों के मामले में, जिनके सामान्य भविष्य निधि के खाते नहीं है, बकाया, अंशदायी भविष्य निधि खाता/अनिवार्य बचत निधि के खाते में तत्काल जमा की जावेगी (अर्थात् चालू वित्तीय वर्ष में):
परन्तु यदि किसी कारण से, चाहे वह कुछ भी हो, सेवाओं के किसी सदस्य अथवा सदस्यों को प्रथम किश्त का भुगतान चालू वित्तीय वर्ष 2010-11 में न हो सके तो, यथास्थिति, सदस्य अथवा सदस्यों को दोनों किश्तों का भुगतान आगामी वित्तीय वर्ष 2011-2012 में किया जावेगा।
स्पष्टीकरण - इस नियम के प्रयोजनों हेतु सेवा के किसी सदस्य के संबंध में “वेतन के बकाया" से अभिप्रेत है निम्नलिखित के बीच का अंतर :-
(एक) वेतन तथा मंहगाई भत्ते का योग जो उसे इन नियमों के अधीन वेतन और भत्तों में पुनरीक्षण के कारण देय हो;
(दो) विद्यमान परिलब्धियां जिसका कि वह पात्र होता यदि उसके वेतन तथा भत्ते इस प्रकार से पुनरीक्षित न किये जाते।
(2) जहां सेवाओं का कोई सदस्य 1 जनवरी, 2006 के पश्चात् विभिन्न स्थापनाओं पर पदस्थ रहा हो वहां, निम्नलिखित अनुसार प्रक्रिया अपनाई जावेगी :-
(एक) ऐसी समस्त स्थापनाएं उस स्थापना को, जहां ऐसा सदस्य वेतन के बकाया के भुगतान के समय पदस्थ हो, उसके वेतन जैसे वेतन की बकाया राशि मंहगाई वेतन, महंगाई भत्ता, अंतरिम रहत, सकल वेतन, कटौत्रे तथा कोषालय व्हाऊचर नम्बर, बिल नम्बर, नगदीकरण की तारीख आदि से संबंधित ऐसे समस्त सुसंगत विवरण, जो उसकी वर्तमान परिलब्धियों की गणना के लिये आवश्यक हों, भेजेगा;
(दो) भुगतान के ऐसे विवरण प्राप्त होने पर सदस्य के बकाया राशि का भुगतान उस स्थापना द्वारा किया जावेगा जहां वह वेतन के बकाया के भुगतान के समय पदस्थ हो;
(तीन) उच्चतर न्यायिक सेवा के सदस्यों के मामले में, वह स्थापना जो वेतन के बकाया की राशि का भुगतान कर रहा हो, उच्च न्यायालय को समस्त विवरण जिसमें बकाया की राशि का गणना पत्रक भी शामिल है, सदस्य की सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि करने हेतु भेजेगा;
(चार) निम्नतर न्यायिक सेवा के सदस्यों के मामलों में, सदस्य की सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि उस स्थापना द्वारा की जायेगी जिसके द्वारा वेतन की बकाया राशि का भुगतान किया गया हो;
(पांच) सरकार के अन्य विभागों में कार्यरत सदस्यों के मामले में, बकाया राशि का भुगतान तथा सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि उस विभाग द्वारा, जहां ऐसा सदस्य पदस्थ है, किया जावेगा;
(छह) ऐसे सदस्यों के मामले में, जो प्रतिनियुक्ति पर बाह्य सेवा में कार्यरत हों अथवा कार्यरत रहे हों, बकाया राशि का भुगतान ऐसी अंतिम स्थापना द्वारा किया जावेगा जहां ऐसा सदस्य प्रतिनियुक्ति पर जाने से पूर्व पदस्थ रहा हो अथवा जहां वह प्रतिनियुक्ति पर लौटने के पश्चात् पदस्थ हो तथा सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि भी ऐसी स्थापना द्वारा की जावेगी। बाह्य सेवा से लौट आने की दशा में, इस उप नियम के खण्ड (तीन) तथा खण्ड (चार) में अधिकथित प्रक्रिया का पालन किया जावेगा। तत्पश्चात् किसी भी दशा में, बाह्य सेवा की अवधि के लिए बकाया राशि का भुगतान, जिस अवधि में ऐसा सदस्य बाह्य सेवा में रहा हो, उस निकाय द्वारा किया जाएगा, जहां ऐसा अधिकारी सेवारत है या प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ रहा था तथा सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि भी प्रतिनियुक्ति की अवधि के लिये उसी निकाय द्वारा की जावेगी।
11. (1) सेवानिवृत्ति लाभ - सेवाओं के सदस्य जो 1 जुलाई, 2006 को या उसके पश्चात् मृत्यु या सेवानिवत्ति के चलते सेवा में नहीं रहे हैं, 1 जनवरी, 2006 से, नीचे विनिर्दिष्ट किये गये सन्नियमों (नार्म्स) पर सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त करेंगे, अर्थात् :-
(एक) सेवा के सदस्यों की अधिवार्षिकी आयु साठ वर्ष होगी;
(दो) पूर्ण पेंशन अर्जित करने के लिये अर्हकारी सेवा 20 वर्ष होगी, तथा उन सेवा के सदस्यों के संबंध में, जिन्होंने मृत्यु या सेवानिवृत्ति के समय 20 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण नहीं की है, उनके द्वारा की गई वास्तविक अर्हकारी सेवा के आधार पर आनुपातिक पेंशन संगणित की जाएगी;
(तीन) अंतिम आहरित वेतन, पेंशन के प्रयोजन के लिये परिलब्धियों के रूप में लिया जाएगा तथा पूर्ण पेंशन ऐसी परिलब्धियों की 50 प्रतिशत होगी तथा पारिवारिक पेंशनरों के मामले में पूर्ण पेंशन ऐसी परिलब्धियों की 30 प्रतिशत होगी;
(चार) सेवाओं के सदस्यों की पेंशन का अधिकतम सरांशीकरण उनकी पेंशन का 50 प्रतिशत तक ही होगा तथा पेंशन का प्रत्यावर्तन 15 वर्ष के पश्चात् होगा;
(पांच) सरांशीकरण पर देय एकमुश्त राशि की संगणना अनुसूची के भाग -3 में दी गई तालिका के अनुसार वर्तमान मूल्यों पर की जाएगी। इस नियम के प्रयोजन के लिये ह्यासित जीवनकाल की दशा में आयु ऐसी आयु मानी जाएगी, जो उस वास्तविक आयु से कम न हो, जैसा कि प्रमाणित मंजूरी की तारीख से सरांशीकरण की तारीख तक और वह तारीख जिस पर सारांशीकरण होना हो, के बीच उपान्तरण होने की दशा में पूर्ण भुगतान उपांतरित तालिका के अनुसार किया जाएगा और आवेदक के लिये यह खुला होगा कि यदि उपांतरित तालिका पूर्व में प्रवृत्त तालिका की तुलना में कम अनुकूल है तो वह उस तारीख से जिसको वह उपांतरण की सूचना प्राप्त करता है, 14 दिन के भीतर, भेजी गई लिखित सूचना द्वारा अपना आवेदन वापस लेः
परन्तु सेवाओं के ऐसे सदस्यों के मामले में, जिनके मामले में पेंशन का सरांशीकरण किसी आवेदक को तारीख 1 जनवरी, 2006 को अथवा उसके पश्चात् परन्तु इन नियमों के प्रभावशील होने के पूर्व अंतिम हुआ हो, पुनरीक्षण से पूर्व प्रभावशील सरांशीकरण की तालिका के अनुसार सरांशीकरण के मूल्य पुनरीक्षण से पूर्व वेतन/पेंशन के लिये प्रयोग किया जायेगा। ऐसे पेंशनर्स को विकल्प प्राप्त होगा कि वे अतिरिक्त रूप से सरांशीकरण योग्य पेंशन, जो इन नियमों के प्रभावशील होने के पश्चात्वर्ती तारीख से वेतन/पेंशन के पुनरीक्षण के कारण सरांशीकरण योग्य हुई हो, का सरांशीकरण करवा सकते हैं। ऐसे चयन का उपयोग करने पर पुनरीक्षिण सरांशीकरण की तालिका का उपयोग ऐसे अतिरिक्त पेंशन की राशि जो पुनरीक्षण के कारण सरांशीकरण योग्य हो गई हो, के सरांशीकरण के लिये किया जायेगा। सेवाओं के ऐसे सदस्यों के मामले में, जो इन नियमों के प्रभावशील होने के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हों, पुनरीक्षित सरांशीकरण की तालिका लागू होगी;
(छह) अधिकतम पेंशन की अधिकतम सीमा नहीं होगी;
(सात) उच्च न्यायिक सेवा के सदस्यों की मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान, पेंशन, पेंशन का सरांशीकरण तथा परिवार पेंशन मध्यप्रदेश डिस्ट्रिक्ट एण्ड सेशन्स जज (डेथ कम रिटायरमेंट बेनिफिट्स) रूल्स, 1964 के अनुसार होगी;
(आठ) निम्न न्यायिक सेवा के अधिकारी की परिवार पेंशन का निर्धारण, मध्यप्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के अनुसार होगा;
(नौ) वृद्ध/पेंशनरों को उपलब्ध पेंशन की राशि निम्नानुसार बढ़ा दी जावेगी :-
पेंशनर की आयु
|
अतिरिक्त पेंशन की राशि
|
(1)
|
(2)
|
70 वर्ष से अधिक परन्तु 75 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 10 प्रतिशत
|
75 वर्ष से अधिक परन्तु 80 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 20 प्रतिशत
|
80 वर्ष से अधिक परन्तु 85 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 30 प्रतिशत
|
85 वर्ष से अधिक परन्तु 90 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 40 प्रतिशत
|
90 वर्ष से अधिक परन्तु 100 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 50 प्रतिशत
|
100 वर्ष से अधिक
|
मूल पेंशन का 100 प्रतिशत
|
पेंशन स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि पेंशनर की जन्मतिथि तथा आयु सदैव पेंशन भुगतान आदेश पर दर्शाई जावे ताकि देय होने पर यथाशीघ्र अतिरिक्त पेशन का भुगतान करने में पेंशन संवितरण प्राधिकारी सक्षम हो सके। अतिरिक्त पेंशन राशि सुस्पष्ट रूप से पेंशन भुगतान आदेश में दर्शाई जावेगी।
(दस) सभी तरह की उपदान की राशि की अधिकतम सीमा दस लाख रुपये होगी;
(ग्यारह) परिवार पेंशनरों को उपलब्ध पेंशन की राशि निम्नानुसार बढ़ा दी जावेगी :-
पेंशनर की आयु
|
अतिरिक्त पेंशन की राशि
|
(1)
|
(2)
|
70 वर्ष से अधिक परन्तु 75 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 10 प्रतिशत
|
75 वर्ष से अधिक परन्तु 80 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 20 प्रतिशत
|
80 वर्ष से अधिक परन्तु 85 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 30 प्रतिशत
|
85 वर्ष से अधिक परन्तु 90 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 40 प्रतिशत
|
90 वर्ष से अधिक परन्तु 100 वर्ष से कम
|
मूल पेंशन का 50 प्रतिशत
|
100 वर्ष से अधिक
|
मूल पेंशन का 100 प्रतिशत
|
पेंशन स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि परिवार पेंशन की जन्मतिथि तथा आयु सदैव पेंशन भुगतान आदेश पर दर्शाई जावे ताकि देय होने पर यथाशीघ्र अतिरिक्त पेंशन का भुगतान करने में पेंशन संवितरण प्राधिकारी सक्षम हो सके। अतिरिक्त पेंशन राशि सुस्पष्ट रूप से पेंशन भुगतान आदेश में दर्शाई जावेगी।
(2) पूर्व पेंशनरों के लिये पेंशन संरचना - वे न्यायिक अधिकारी जो 1 जनवरी, 2006 के पूर्व मृत्यु या सेवानिवृत्ति के कारण सेवा में नहीं रहे हैं, 1 जनवरी, 2006 से, नीचे विनिर्दिष्ट किये गये सन्नियमों (नार्म्स) पर निम्नलिखित पेंशन/परिवार पेंशन प्राप्त करेंगे, अर्थात् :-
(एक) सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के उन सेवानिवृत्त सदस्य की पुनरीक्षित पेंशन, इस तथ्य को विचार में लिये बिना कि उसने समय-समय पर यथा पुनरीक्षित अर्हकारी सेवा पूर्ण की है अथवा नहीं, उसके द्वारा सेवानिवृत्ति के समय न्यायिक अधिकारी द्वारा धारित पद के पुनरीक्षित वेतन के न्यूनतम 50 प्रतिशत से कम नहीं होगी;
(दो) उन पारिवारिक पेंशनरों की पुनरीक्षित पेंशन, उस तथ्य को विचार में लिये बिना कि उसने समय समय पर यथा पुनरीक्षित अर्हकारी सेवा पूर्ण की है अथवा नहीं, सेवानिवृत्त के समय न्यायिक अधिकारी द्वारा धारित पद के पुनरीक्षित वेतन के न्यूनतम 30 प्रतिशत से कम नहीं होगी।
(3) पेंशनरों को मंहगाई राहत - मंहगाई राहत उन दरों पर देय होगी, जो सेवारत् न्यायिक अधिकारियों को मंहगाई भत्ते के रूप में अनुज्ञेय है।
12. नियमों का अध्यारोही प्रभाव - उन मामलों में, जहां वेतन इन नियमों द्वारा विनियमित होता है, वहां मूल नियम (फण्डामेंटल रूल्स), मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा (वेतन: पुनरीक्षण, पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 2003 तथा किन्हीं अन्य नियमों के उपबंध उस सीमा तक लागू नहीं होंगे जहां तक कि वे इन नियमों से असंगत है।
13. मध्यप्रदेश वेतन पुरीक्षण नियम, 1998 के कतिपय नियम का लागू होना - मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम, 1998 के नियम 5, 6, 7, 10 तथा 11 न्यायिक सेवा को उस सीमा तक लागू होंगे जहां तक कि वे इन नियमों से अंसगत न हों।
14. शिथिल करने की शक्ति - राज्य सरकार, इन नियमों के उपबंधों में से किसी भी उपबंध का प्रवर्तन ऐसी रीति में और ऐसी सीमा तक शिथिल कर सकेगी या निलंबित कर सकेगी, जैसा कि लोकहित में न्यायसंगत और साम्यापूर्ण या आवश्यक अथवा समीचीन प्रतीत होः
परन्तु ऐसा शिथिलीकरण या निलंबन जो न्यायिक अधिकारी के लिए अलाभप्रद और माननीय उच्चतम न्यायालय के इस विषय में दिए गए निदेशों के प्रतिकूल हो, प्रवर्तित नहीं किया जाएगा।
15. निर्वचन - यदि इन नियमों के निर्वचन के संबंध में कोई प्रश्न उद्भूत होता है तो वह सरकार के वित्त विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा, जिसका विनिश्चय उस पर अंतिम होगा।
विकल्प का प्ररूप
(नियम 6 देखिए)
मैं................ एतद्द्वारा, पुनरीक्षित वेतनमान रुपये............. का तारीख 1 जनवरी 1 जनवरी, 2006 से चयन करता हूँ।
या
मैं,................ एतद्द्वारा अपने मूल स्थानापन्न पद................ के विद्यमान वेतनमान रुपये.......... को, -
(क) मेरी आगामी वेतनवृद्धि की तारीख तक,
या
(ख) मेरा वेतन रुपये..............तक बढ़ाने वाली पश्चात्वर्ती वेतनवृद्धि की................. तारीख तक, या
(ग) मेरे द्वारा पद रिक्त किये जाने तक या विद्यमान वेतनमान रुपये.................. में वेतन आहरित करना बंद करने तक जारी रखने का चयन करता हूँ।
स्थान..................... | हस्ताक्षर...................... |
नाम................................... | |
तारीख......................... | पदनाम............................... |
कार्यालय जिसमें नियोजित हैं।
(जो लागू न हो, उसे काट दें)।
कार्यालयीन उपयोग के लिए
प्रमाणित किया जाता है कि श्री...................... (नाम) द्वारा प्रस्तुत किया गया विकल्प कार्यालय में तारीख........................ को प्राप्त हुआ।
हस्ताक्षर...................
नाम.........................
पदनाम.....................
अनुसूची
भाग -एक
नियम 3 (घ) (ङ) (ज) एवं नियम - 4 देखिए]
अनु. क्र.
|
पदनाम
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
1. (एक)
|
सिविल न्यायाधीश (प्रवेश स्तर)
|
9000-250-10750-300-13150-350-14550
|
27700-770-33090-920-40450-1080-44770
|
(दो)
|
सिविल न्यायधीश (ग्रेड 2) I एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (I ए. सी. पी.) ग्रेड (पांच वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् नान् फंक्शनल)
|
10750-300-13150-350-14900
|
33090-920-40450-1080-45850
|
(तीन)
|
सिविल न्यायधीश (ग्रेड 1) I एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (ए. सी. पी.) ग्रेड (पांच वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् नान् फंक्शनल)
|
12850-300-13150-350-15950-400- 17750
|
39530-920-40450-1080-49090-1230-54010
|
2. (एक)
|
वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश, (पांच वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् पदोन्नति ग्रेड)
|
12850-300-13150-350-15950-400-17750
|
39530-920-40450-1080-49090-1230-54010
|
(दो)
|
वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश (ग्रेड 2) अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश के संवर्ग में पांच वर्ष पूर्ण करने के पश्चात् I ए.सी.पी. ग्रेड)
|
14200-350-15950-400-18350
|
43690-1080-49090-1230-564760
|
(तीन)
|
वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश (ग्रेड 2) अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश के संवर्ग में पांच वर्ष पूर्ण करने के पश्चात् II ए.सी.पी. ग्रेड)
|
16750-400-19150-450-20500
|
51550-1230-58930-1380-63070
|
3.
|
जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर)
|
16750-400-19150-450-20500
|
51550-1230-58930-1380-63070
|
4.
|
जिला न्यायाधीश (चयन ग्रेड वेतनमान में संवर्ग पदों का 25 प्रतिशत उन व्यक्तियों को दिया जाएगा, जिन्होंने संवर्ग में लगातार पांच वर्ष की सेवा की हो)
|
18750-400-19150-450-21850-500-22850
|
57700-1230-58930-1380-67210-1540-70290
|
5.
|
जिला न्यायाधीश [अतिकाल वेतनमान (सुपर टाईम स्केल) में संवर्ग पदों का 10 प्रतिशत उन्हें दिया जाएगा, जो चयन ग्रेड जिला न्यायाधीश के रूप में कम से कम तीन वर्ष निरन्तर सेवा में रहे हों]
|
22850-500-24800
|
70290-1540-76450
|
टिप्पणी - (1) ए. सी. पी. के तौर पर लाभ का दिया जाना स्वतः नहीं होगा बल्कि इस प्रयोजन के लिए गठित उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों की एक समिति द्वारा उनके कार्य के संपादन के आंकलन पर होगा।
(2) ऐसे मामले में, जहां सिविल न्यायाधीश या वरिष्ठ न्यायाधीश के संवर्ग में कोई अधिकारी, जिसे ए. सी. पी. दिया गया है, वरिष्ठता तथा योग्यता की अपनी बारी में उच्चतर संवर्ग में कृत्यिक (फंक्शनल) पदोन्नति से इंकार करता है वहां उसे मूल वेतनमान पर प्रतिवर्तित कर दिया जाएगा।
(3) जिला न्यायाधीशों को चयन ग्रेड तथा अतिकाल वेतनमान (सुपरटाईम स्केल) योग्यता-सह-वरिष्ठता के आधार पर दिया जाएगा।
अनुसूची
भाग -दो
[नियम - 7 (1) देखिए]
तालिका -1
सिविल न्यायाधीश प्रवेश स्तर : रुपये 9000-250-10750-300-13150-350-14550
अवस्था
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
||
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1
|
250
|
9000
|
-
|
27700
|
2
|
250
|
9250
|
770
|
28470
|
3
|
250
|
9500
|
770
|
29240
|
4
|
250
|
9700
|
770
|
30010
|
5
|
250
|
10000
|
770
|
30780
|
6
|
250
|
10250
|
770
|
31550
|
7
|
250
|
10500
|
770
|
32320
|
8
|
250
|
10750
|
770
|
33090
|
9
|
300
|
11050
|
920
|
34010
|
10
|
300
|
11350
|
920
|
34930
|
11
|
300
|
11650
|
920
|
35850
|
12
|
300
|
11950
|
920
|
36770
|
13
|
300
|
12250
|
920
|
37690
|
14
|
300
|
12550
|
920
|
38610
|
15
|
300
|
12850
|
920
|
39530
|
16
|
300
|
13150
|
920
|
40450
|
17
|
350
|
13500
|
1080
|
41530
|
18
|
350
|
13850
|
1080
|
42610
|
19
|
350
|
14200
|
1080
|
43690
|
20
|
350
|
14550
|
1080
|
44770
|
तालिका - 2
सिविल न्यायाधीश (ग्रेड -2) I ए.सी.पी. ग्रेड (प्रवेश की तारीख से पांच वर्ष की लगातार सेवा पूर्ण होने पर) एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन वेतनमान का प्रथम स्टेजः
अवस्था
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
||
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1
|
-
|
10750
|
-
|
33090
|
2
|
300
|
11050
|
920
|
34010
|
3
|
300
|
11350
|
920
|
35850
|
4
|
300
|
11650
|
920
|
36770
|
5
|
300
|
11950
|
920
|
37690
|
6
|
300
|
12250
|
920
|
38610
|
7
|
300
|
12550
|
920
|
39530
|
8
|
300
|
12850
|
920
|
40450
|
9
|
300
|
13150
|
920
|
41530
|
10
|
350
|
13500
|
1080
|
42610
|
11
|
350
|
13850
|
1080
|
43690
|
12
|
350
|
14200
|
1080
|
43690
|
13
|
350
|
14550
|
1080
|
44770
|
14
|
350
|
14900
|
1080
|
45850
|
तालिका - 3
(1) सिविल न्यायधीश (ग्रेड -1) II ए. सी. पी. ग्रेड (ग्रेड - 2 में 5 वर्ष की लगातार सेवा पूर्ण होने पर) एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन वेतनमान का द्वितीय स्टेजः
रुपये 12850-300-13150-350-15950-400-17550
(2) वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश (पदोन्नति ग्रेड):
रुपये 12850-300-13150-350-15950-400-17550
अवस्था
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
||
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1
|
-
|
12850
|
-
|
39550
|
2
|
300
|
13150
|
920
|
40450
|
3
|
230
|
13500
|
1080
|
41530
|
4
|
230
|
13850
|
1080
|
42610
|
5
|
230
|
14200
|
1080
|
43690
|
6
|
230
|
14550
|
1080
|
44770
|
7
|
230
|
14900
|
1080
|
45850
|
8
|
230
|
15250
|
1080
|
46930
|
9
|
230
|
15600
|
1080
|
48010
|
10
|
230
|
15950
|
1080
|
49090
|
11
|
400
|
16350
|
1230
|
50320
|
12
|
400
|
16750
|
1230
|
51550
|
13
|
400
|
17150
|
1230
|
52780
|
14
|
400
|
17550
|
1230
|
54010
|
तालिका - 4
वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश ग्रेड-2, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ग्रेड-2 (वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश संवर्ग में 5 वर्ष की लगातार सेवा पूर्ण होने पर I ए. सी. पी. स्केल की प्रथम स्टेज)
रुपये 14200-350-15950-400-18350
अवस्था
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
||
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1
|
-
|
14200
|
-
|
43690
|
2
|
350
|
14550
|
1080
|
44770
|
3
|
350
|
14900
|
1080
|
45850
|
4
|
350
|
15250
|
1080
|
46930
|
5
|
350
|
15600
|
1080
|
48010
|
6
|
350
|
15950
|
1080
|
49090
|
7
|
400
|
16350
|
1230
|
50320
|
8
|
400
|
16750
|
1230
|
51550
|
9
|
400
|
17150
|
1230
|
52780
|
10
|
400
|
17550
|
1230
|
54010
|
11
|
400
|
17950
|
1230
|
55240
|
12
|
400
|
18350
|
1230
|
56470
|
तालिका -5
(एक) वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश (ग्रेड - 2) अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश के संवर्ग में 5 वर्ष की लगातार सेवा पूर्ण होने पर I ए.सी.पी. ग्रेड की द्वितीय स्टेज)
रुपये 16750-400-19150-450-20500
(दो) प्रवर्ग - 3 (एक) (ग) जिला न्यायाधीश प्रवेश स्तर
रुपये 16750-400-19150-450-20500
अवस्था
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
||
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1
|
-
|
16750
|
-
|
51550
|
2
|
400
|
17150
|
1230
|
52780
|
3
|
400
|
17550
|
1230
|
54010
|
4
|
400
|
17950
|
1230
|
55240
|
5
|
400
|
18350
|
1230
|
56700
|
6
|
400
|
18750
|
1230
|
57700
|
7
|
400
|
19150
|
1230
|
58930
|
8
|
450
|
19600
|
1380
|
60310
|
9
|
450
|
20050
|
1380
|
61690
|
10
|
450
|
20500
|
1380
|
63070
|
तालिका - 6
प्रवर्ग - 3 (1) (ख) चयन ग्रेड वेतनमान में जिला न्यायाधीश
रुपये 18750-400-19150-450-21850-500-22850
अवस्था
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
||
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1
|
-
|
18750
|
-
|
57700
|
2
|
400
|
19150
|
1230
|
58930
|
3
|
450
|
19600
|
1380
|
60310
|
4
|
450
|
20050
|
1380
|
61690
|
5
|
450
|
20500
|
1380
|
63070
|
6
|
450
|
20950
|
1380
|
64450
|
7
|
450
|
21400
|
1380
|
65830
|
8
|
450
|
21850
|
1380
|
67210
|
9
|
500
|
22350
|
1540
|
68750
|
10
|
500
|
22850
|
1540
|
70290
|
तालिका - 7
प्रवर्ग-3 (1) (क) जिला न्यायाधीश (अतिकाल वेतनमान में जिला न्यायाधीश)
रुपये 22850-500-24850
अवस्था
|
वर्तमान वेतनमान
|
पुनरीक्षित वेतनमान
|
||
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
वेतनवृद्धि
|
मूल वेतन
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
1
|
-
|
22850
|
-
|
70290
|
2
|
500
|
23350
|
1540
|
71850
|
3
|
500
|
23850
|
1540
|
73370
|
4
|
500
|
24350
|
1540
|
74910
|
5
|
500
|
24850
|
1540
|
76450
|
भाग – तीन
[नियम -11 (1) (पांच) देखिये]
संराशीकरण तालिका
1. रुपये प्रति वर्ष की पेंशन के लिये संराशीकरण
आगामी जन्म तारीख पर आयु
|
वर्षों की क्रय संख्या के अनुसार अभिव्यक्त संराशीकरण मूल्य रुपये पैसे
|
आगामी जन्म तारीख पर आयु
|
वर्षों की क्रय संख्या के अनुसार अभिव्यक्त संराशीकरण मूल्य रुपये पैसे
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
|
रुपये पैसे
|
|
रुपये पैसे
|
20
|
9.188
|
51
|
8.808
|
21
|
9.187
|
52
|
8.768
|
22
|
9.186
|
53
|
8.724
|
23
|
9.185
|
54
|
8.678
|
24
|
9.184
|
55
|
8.627
|
25
|
9.183
|
56
|
8.572
|
26
|
9.182
|
57
|
8.512
|
27
|
9.180
|
58
|
8.446
|
28
|
9.178
|
59
|
8.371
|
29
|
9.176
|
60
|
8.287
|
30
|
9.173
|
61
|
8.194
|
31
|
9.169
|
62
|
8.093
|
32
|
9.164
|
63
|
7.982
|
33
|
9.159
|
64
|
7.862
|
34
|
9.152
|
65
|
7.731
|
35
|
9.145
|
66
|
7.591
|
36
|
9.136
|
67
|
7.413
|
37
|
9.126
|
68
|
7.262
|
38
|
9.116
|
69
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7.083
|
39
|
9.103
|
70
|
6.897
|
40
|
9.090
|
71
|
6.703
|
41
|
9.075
|
72
|
6.502
|
42
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9.059
|
73
|
6.296
|
43
|
9.040
|
74
|
6.085
|
44
|
9.019
|
75
|
5.872
|
45
|
8.996
|
76
|
5.657
|
46
|
8.971
|
77
|
5.443
|
47
|
8.943
|
78
|
5.229
|
48
|
8.913
|
79
|
5.018
|
49
|
8.881
|
80
|
5.812
|
50
|
8.846
|
81
|
5.611
|
आधार एल. आई. सी. (94-96) अल्टीमेंट टेबिल्स तथा 8 प्रतिशत ब्याज
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश शासन,
विधि और विधायी, कार्य विभाग
फा.क्र. 3 (ए) 19/2003/21-ब (एक) | भोपाल, दिनांक 19.04.2018 |
प्रति,
रजिस्ट्रार जनरल,
म.प्र. उच्च न्यायालय,
जबलपुर (म.प्र.)
विषयः- मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारियों को दिनांक 01.07.2017 से पुनरीक्षित दर से पेंशन पर राहत का भुगतान।
केन्द्र सरकार के सेवारत कर्मचारियों को भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग, नई दिल्ली के ज्ञापन क्रमांक 1/3/2008-ई-II (बी), दिनांक 26.09.2017 द्वारा पूर्व पुनरीक्षित (छठवा वेतनमान) प्राप्त कर रहे कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिनांक 01.07.2017 से 136 से बढ़ाकर 139 प्रतिशत की दर से भुगतान करने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
मध्यप्रदेश न्यायिक सेवाएं (वेतन पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का पुनरीक्षण) नियम 2010 के नियम-9 के तहत केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर केन्द्रीय कर्मचारियों को प्रदाय महंगाई भत्ता के समान न्यायिक सेवा के कार्यरत सदस्यों को भी महंगाई भत्ता की स्वीकृति प्रदान की जाती रही है। उक्त नियम 2010 के नियम-11 (3) के अंतर्गत न्यायिक सेवा से सेवानिवृत्त सदस्यों को सेवारत सदस्यों के समान ही महंगाई भत्ता/राहत की पुनरीक्षित दरें लागू होंगी।
अतः राज्य शासन मध्यप्रदेश न्यायिक सेवाएं (वेतन पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का पुनरीक्षण) नियम 2010 के नियम-11 (3) के अंतर्गत मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा के सेवानिवृत्त सदस्यों को दिनांक 01.07.2017 से पेंशन पर राहत 136 प्रतिशत से बढ़ाकर 139 प्रतिशत की दर से भुगतान करने की स्वीकृति प्रदान करता है।
(1) पुनरीक्षित दरों से महंगाई राहत का नियमन भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग, नई दिल्ली के ज्ञापन क्रमांक 1/3/2008-ई-II (बी), दिनांक 26.09.2017 में बताई गई रीति से होगा।
(2) इस आदेश के तहत देय महंगाई राहत का भुगतान दिनांक 01.07.2017 से नगद किया जावेगा।
(3) इस आदेश के विपरीत अधिक भुगतान पाए जाने की दशा में अधिक भुगतान की राशि संबंधित भुगतान पाने वाले अधिकारी से वसूली योग्य होगी।
मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार
(ए.एम. सक्सेना)
प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश शासन, विधि और विधायी कार्य विभाग
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