Updated: Mar, 05 2021

गुमशुदा/लापता शासकीय कर्मचारी/पेन्शनर के परिवार को सेवानिवृत्ति लाभ
 
गुमशुदा/लापता शासकीय कर्मचारियों के परिवार के पात्र सदस्यों को देय विभिन्न सुविधाओं के सम्बन्ध में वित्त विभाग के ज्ञाप क्र. एफ. बी. 6/2/86/नि-2/चार, दिनांक 3-8-89 द्वारा निर्देश प्रसारित किये गये हैं। इन निर्देशों के अनुसार ऐसे मामलों में भारत शासन के कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेन्शन मन्त्रालय [कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग] के ज्ञाप क्र. सं. 1/17/86/पी.एण्ड पी. डब्ल्यू. दिनांक 29-8-86 के पैरा 3, 4 एवं 5 में निहित शर्तों के अनुरूप प्रक्रिया (Mutatis Mutandis) अपनाई जाना है।
2. भारत सरकार ने उनके ज्ञापन दिनांक 29-8-86 के सम्बन्ध में उठाई गई कुछ शंकाओं/बिन्दुओं के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण उनके ज्ञापन क्रमांक 4/52/86 पी. ई. एन. दिनांक 3-3-89 एवं क्रमांक 1/17/ 86 पी. डब्ल्यू./सी. दिनांक 25-1-91 द्वारा जारी किये हैं। भारत सरकार के इन ज्ञापनों की प्रतिलिपियाँ संलग्न हैं। राज्य शासन के कर्मचारियों के इस प्रकार के मामलों में भारत सरकार के उक्त परिपत्रों के अनुसार कार्यवाही की जाए।
3. भारत सरकार के ज्ञाप दिनांक 3-3-1989 एवं ज्ञाप दिनांक 28-1-91 द्वारा प्रसारित स्पष्टीकरण | विषय सम्बन्धी वित्त विभाग के ज्ञाप दिनांक 3-8-89 के जारी होने के दिनांक से अपनाये गये माने जाएंगे।
[मध्यप्रदेश शासन, वित्त विभाग ज्ञापन क्र. एफ बी. 6/2/86/नि-2/चार, भोपाल, दिनांक 10 जनवरी, 1992]
 
वित्त विभाग ज्ञापन दिनांक 3 अगस्त, 1989
ऐसे प्रकरण सामने आते रहते हैं, जिनमें कि शासकीय सेवक अचानक लापता हो गये और फिर उनका कोई पता ठिकाना मालूम नहीं होता है तथा उसके परिवार के पात्र सदस्यों को देय विभिन्न सुविधाएं तथा पेंशन डी. सी. आर. जी देय वेतन, अवकाश नगदीकरण की देय राशि सामान्य भविष्य निधि की राशि आदि स्वीकृति देने व रोकने से बड़ी कठिनाईयां होती है।
2. ऐसे लापता शासकीय कर्मचारियों के मामलों में उनके परिवार को देय प्रसुविधाओं के भुगतान की स्वीकृति दिये जाने के विषय पर भारत शासन ने उनके कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) के ज्ञाप क्र. सं. 1/17/86/पी.एण्ड पी. डब्ल्यू. दिनांक 29-8-1986 द्वारा प्रक्रियात्मक निर्देश प्रसारित किये हैं। भारत सरकार के उक्त ज्ञाप की प्रतिलिपि संलग्न है। राज्य शासन ने अपने कर्मचारियों के इस प्रकार के प्रकरणों में भारत शासन के उक्त ज्ञापन के पैरा 3, 4 एवं 5 में निहित शर्तों के अनुरूप प्रक्रिया अपनाई जाने का निर्णय लिया है। अतः इस प्रकार के मामलों में तदनुसार कार्यवाही की जाए।
 
 
सं. 17/1/86-पी. एण्ड . पी. डब्ल्यू .
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग)
नई दिल्ली - 110001, दिनांक 29-8-86
कार्यालय ज्ञापन
मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि इस विभाग को उन कर्मचारियों के जो अचानक ही गुम हो गये हैं और जिनका पता ठिकाना मालूम नहीं है, के पात्र सदस्यों को परिवार पेंशन मंजूर करने के लिए की मामले भेजे जाते हैं आजकल इस विभाग में ऐसे सभी मामलों पर गुणावगुणों के आधार पर विचार किया जाता है। सामान्य तौर पर, जब तक कि किसी कर्मचारी के गुम होने की तारीख से सात साल की अवधि नहीं गुजर चुकी होती तब तक उसे मृत नहीं समझा जा सकता। यह सिद्धान्त भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 108 पर आधारित है, जिसमें यह व्यवस्था है कि जब यह प्रश्न सामने आये कि क्या अमुक व्यक्ति जीवित है अथवा मर गया है और यह बात सिद्ध हो जाती है कि उसके बारे में उन व्यक्तियों ने सात साल से कुछ नहीं सुना है जिन्होंने यदि वह जीवित होता, तो स्वभावतः कुछ न कुछ सुना होता ऐसी स्थिति में यह सिद्ध करने की जिम्मेदारी कि वह जीवित है उसी व्यक्ति की हो जाती है जो इसकी पुष्टि करता है।
2. यह मामला कुछ समय से सरकार के विचाराधीन रहा है चूंकि परिवार को देय प्रसुविधाओं को रोकने से बड़ी कठिनाईयां पैदा होती रही हैंअब राष्ट्रपति यह निर्णय लेते हैं कि (1) जब कोई कर्मचारी, परिवार को छोड़कर गुम हो जाता है तो ऐसे कर्मचारी द्वारा नामजदगी को ध्यान में रखते हुए, शुरू में परिवार को देय वेतन, छुट्टी नगदीकरण की देय राशि और सामान्य भविष्य निधि की राशि का भुगतान किया जा सकता है। (2) एक साल की अवधि गुजर जाने पर मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति उपदान जैसी अन्य प्रसुविधाओं की मन्जूरी परिवार को की जा सकती है बशर्ते कि आगामी पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों को पूरा किया जाये।
3. प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग द्वारा निम्नलिखित औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद उपर्युक्त प्रसुविधा मन्जूर की जा सकती है-
(1) परिवार को सम्बन्धित पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए और वहाँ से इस आशय की एक रिपोर्ट प्राप्त करनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सभी प्रयास किये जाने के बाद सम्बन्धित कर्मचारी को नहीं ढूंढा जा सकता है।
(2) कर्मचारी के नामजद व्यक्ति/आश्रितों से एक क्षतिपूर्ति बन्धपत्र लिया जाना चाहिए कि यदि गुमशुदा कर्मचारी आ जाता है और कोई दावा करता है तो सभी भुगतानों का समायोजन ऐसे कर्मचारी को देय भुगतानों में से किया जाएगा।
4. कार्यालयाध्यक्ष यह देखेगा कि सरकारी कर्मचारी के प्रति कुल मिलाकर कितनी सरकारी बकाया है और वह के इस. से (पेंशन) नियमावली 1976 के नियम 71 अथवा सरकारी देय राशियों की वसूली करने के लिए लागू किन्हीं अन्य निर्देशों के अनुसार उनकी वसूली करेगा।
5. परिवार, सरकारी कर्मचारी के गुम हो जाने की तारीख से एक साल के बाद परिवार पेंशन और मृत्यु एवं से. नि. उपदान मंजूर करने के लिए निर्धारित कार्यवधि के अनुसार, परिवार पेंशन और मृत्यु एवं सेवानिवृत्त उपदान मंजूर करने के लिए कार्यालयाध्यक्ष को आवेदन कर सकता है। यदि आवेदन पत्र की तारीख से तीन महीने के भीतर मृत्यु एवं सेवानिवृत्त उपदान का संवितरण नहीं किया जाता तो. लागू दरों पर ब्याज दिया जावेगा और विलम्ब के लिए जिम्मेदारी निर्धारित की जावेगी।
6. अनुरोध है कि इन निर्देशों को सभी सम्बन्धितों के ध्यान में लाया जाए।
सत्य प्रतिलिपि
हस्ताक्षर
हस्ताक्षर
(एस. बी. सिंह)
(वा. सूगदंवडे)
उप सचिव, भारत सरकार
अनुभाग अधिकारी
 
वित्त विभाग (नियम -2)
 
 
D. O.P., Cir Lr. No. 4-52/86-PEN
dated 3-3-1989
FAMILY PENSION IN RESPECT OF OFFICIAL PENSIONER WHO DISAPPEAR AND WHOSE WHEREABOUTS ARE NOT KNOWN CLARIFICATORY ORDERS
I am directed to refer to O. M. No. 1/17/86 P & P.W. dated 29-8-1986 of Deptt. of pension and pensioners Welfare (SI. No. 262 of Annual. 1986), circulated with this Office Letter No. 4-52/86- Pen, dated 10-11-1986 on the above subject and to say that some doubts have been raised regarding the applicability of the said order. The Department of pension and Pensioners. Welfare with whom the matter was taken up have given the clarification.
Point of doubt (1) - Whether the date of effect of the order should be taken from the date of issue of the O. M. dated 29-8-1986, if so whether pending past cases can be dealt with under these orders?
Clarfification - The date of effect of the order is to be taken as from 29-8-1986, i.e. The date of issue of our O. M. No. 1/17/86- P.& P.W. where a Period of one year of missing of a Government employee is already over on the date of issue of this O. M. and the family had also lodged a F.I.R. with the police authorities and obtained a report that the employee is not traced, the family pension may be sanctioned from the date of the said O.M. However, where a Period of seven years of missing of a Goverment employee is already over even before 29-8-1986, cases may be decided in accordance with Section 108 of the Indian Evidence Act, assuming the death of the Government employee.
Doubt (2) - Family pension is to be granted from the date of disappearance or after complation of one year.
Clarification - Family Pension is to be granted after the lapse of one year from the date of F. I. R. is lodged with the police authorities regarding disappearance of the Government employee.
Doubt (3) - Sometimes officials disappear after committing frauds etc. The disciplinary proceeding in, it is presumed, such cases have to be finalised ex-parte (abscond proceedings) and appropriate orders issued. If the orders are of issued imposing dismissal or removal no family pension is payable. The orders in respect of benefits to family where writ in filed in court are subjected to the disposal of writs, and as per court orders.
Clarification - The orders, dated 29-8-1986. regulate genuine cases of disappearance under normal circumstances and not the cases in which officials disappear after committing frauds, etc. In latter type of cases the family pension needs to be sanctioned only on the Governemnt employee being acquitted by the court of law or after the conclusion of the disciplinary proceedings, etc., As the case may be.
Doubt (4) - Whether these orders are also applicable to pensioner who diapperas or missing and his family is also entitled for family pension.
Clarification - The existing orders do not specifically refer to regulation of payment of family pension to the family of a missing pensioner. However, there is no objection to the case of missing pensioners also being settled on the analogy of the department of Pension and P. W. dated 29-8-1986, mutatis mutandis.
 
 
सं. 1/17/86- पी. एण्ड पी. डब्ल्यू. (सी)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
(पेंशन तथा पेंशन भोगी कल्याण विभाग)
निर्वाचन सदस्य नई दिल्ली, दिनांक 25-1-1991
कार्यालय ज्ञापन
विषय - ऐसे सरकारी कर्मचारियों/पेंशनभोगियों के परिवारों आदि को कुटुम्ब पेंशन तथा उपदान की मंजूरी, जो अचानक गायब हो जातें हैं और जिनका कोई पता ठिकाना नहीं है।
मुझे उपर्युक्त विषय पर इस विभाग के दिनांक 29 अगस्त, 1986 के का. ज्ञाप सं. 1/17/86-पी. एण्ड पी. डब्ल्यू. का हवाला देते हुए यह कहने का निर्देश हुआ है कि इस कार्यालय ज्ञापन को लागू करने में कुछ मंत्रालयों/विभागों द्वारा व्यक्त की गई आंशकाओं के परिणामस्वरूप, पालन की जाने वाली औपचारिकताओं प्रसुविधाओं आदि के भुगतान के विनियमन इत्यादि जैसा कि निम्न पैराग्राफों में दर्शाया गया है, से सम्बन्धित स्पष्टीकरण/अमल अनुदेश परिचालित किये जाए।
2. गुमशुदा पेंशनभोगियों के मामले में इस विभाग का दिनांक 29-8-86 का का. ज्ञा. सं. 1/17/30 पी. एण्ड पी. डब्ल्यू. तथा वह कार्यालय ज्ञापन भी आवश्यक परिवर्तनों सहित लागू होगा।
3. कर्मचारी/पेंशनभोगी के गायब होने की तिथि की पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की तिथि से गणना की जाएगी और एक वर्ष की अवधि, जिसके बाद कुटुम्ब पेंशन और उपदान की प्रसुविधाओं की अनुमति दी जाना होती है, इसी तिथि से गिनी जाएगी, तथापि गुमशुदा कर्मचारी के परिवार आदि को प्रदान की जाने वाली प्रसुविधाएं उसके द्वारा ली जाने वाली परिलब्धियों पर आधारित होगी तथा उसके अनुसार विनियमित की जाएगी और उस पर वही नियम/आदेश लागू होते हैं जो कि उसके ड्यूटी की अन्तिम तिथि, जिसमें छुट्टी की प्राधिकृत अवधि भी शामिल है, पर है। गुमशुदा कर्मचारियों के परिवारों को सामान्य बढ़ी हुई दरों पर भी अलग-अलग मामलों में लागू कुटुम्ब पेंशन देय होगी। जहाँ पर कुटुम्ब पेंशन 1-1-86 से पहले की दरों पर मन्जूर की गई हो, वहां उसमें इस विभाग के दिनांक 16-4-87 में समय-समय पर यथा संशोधित कार्यलय ज्ञापन सं. 2/1/87/पी. आई. सी. 1 के अनुसार 11-86 से संशोधन तथा समायोजन किया जाएगा।
4. गुमशुदा पेंशनभोगियों के मामले में, कुटुम्ब पेंशन, पेंशन भुगतान आदेश में निर्दिष्ट दरों पर देय होगी और इसे सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष द्वारा ही प्राधिकृत किया जाना चाहिए। वहाँ पेंशन भुगतान आदेश में यह सूचना नहीं हो तो वहाँ कार्यालयाध्यक्ष जितनी कुटुम्ब पेंशन देय हो उतनी पेंशन मंजूर करने के लिए उपयुक्त पैरा में दिये अनुसार कार्यवाही करेगा।
5. मृत उपदान भी परिवार को देय होगा लेकिन यह उस राशि से अधिक नहीं होगा,जो अगर वह व्यक्ति सेवानिवृत्त हो गया होता तो उसे सेवानिवृत्त उपदान के रूप में दी जाती । ऐसा निवृत्ति उपदान और मृत्यु उपदान की अन्तर राशि बाद में उस समय देय होगी जब मृत्यु सुनिश्चित हो जाए या गुम हो जाने की तिथि से सात वर्ष की अवधि समाप्त हो जाए।
6. इसके लिये जो क्षतिपूर्ति बांड परिवार के सदस्यों आदि से प्राप्त किया जाना होता है वह इस कार्यालय ज्ञापन के साथ संलग्न प्रपत्र में दिया जाएगा। गुमशुदा कर्मचारियों और गुमशुदा पेंशनभोगियों के मामले में प्रयोग के लिए अलग से प्रपत्र निर्धारित किये गये हैं। इन प्रपत्रों को विधि कार्य विभाग के परामर्शस अन्तिम रूप दिया गया है।
7. ऐसे मामले जो पहले ही इस कार्यालय ज्ञापन के अन्यथा निपटाये जा चुके हैं उन पर तब तक पुनः कार्यवाही करने की आवश्यकता नहीं होगी जब तक कि ऐसी कार्यवाही से हितग्राहियों को कोई लाभ न होता हो।
8. भारतीय लेख परीक्षा तथा लेखा विभाग में कार्यरत व्यक्तियों पर ये आदेश लागू करने के लिए भारतीय नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक के परामर्श करने के बाद ही जारी किये गये हैं।
हस्ताक्षर
(इकबाल खाड़े)
उप सचिव, भारत सरकार
 
क्षतिपूर्ति बन्धपत्र शासकीय सेवारत कर्मचारी के लिये
 
यह सबको ज्ञात हो कि श्री................................. के बारे में जो................... मंत्रालय/विभाग/कार्यालय में...................... पद धारण किये हुए था यह रिपोर्ट मिली है कि वह तारीख.................... से लापता है (जिसे इसमें आगे “लापता सरकारी सेवक" कहा गया है।) अतः हम............. जो उक्त लापता सरकारी सेवकों को/का पुत्री/पत्नी/पुत्र/नाम निर्देशिती है और.................. का/की निवासी है (जिसे इसमें आगे बाध्यताधारी कहा गया है) और........... जो श्री........... का/की/पुत्र/पत्नी/पुत्री है तथा.................. का/की निवासी है (जिन्हें इसमें आगे प्रतिभू कहा गया है) बाध्यधारी के लिए और उसकी ओर से भारत के राष्ट्रपति (जिन्हें इसमें आगे 'सरकार' कहा गया है) के प्रति............. रुपये (केवल..................... रुपये) की रकम का जो वेतन छुट्टी नगदीकरण सा.भ.नि/सेवा निवृत्ति/मृत्यु उपदान और मासिक कुटुम्ब पेंशन राशि संबंधी संदायों की रकम के बराबर है उसके संदाय की तारीख से उसके संदाय की तारीख तक के लिये.................. प्रतिशत प्रतिवर्ष के साधारण ब्याज सहित सरकार को, उसके द्वारा माँग की जाने पर बिना किसी आपत्ति के संदाय करने के लिये दृढ़तापूर्वक आबद्ध है। यह संदाय पूणांतः और सही रूप में करने के लिए हम स्वयं को अपने वारिसों निष्पादकों प्रशासकों विधिक प्रतिनिधियों और उत्तराधिकारियों को इस विलेख द्वारा दृढ़तापूवर्क आबद्ध करते हैं।
तारीख. ............................... को हस्ताक्षर किये गये।
लापता होने के समय........................ सरकारी नियोजन में था और सरकार से प्रतिमास रुपये (केवल..................... रुपये) की दर से वेतन प्राप्त कर रहा था।
उक्त.................तारीख....................को लापता हुआ था और उसके लापता होने के समय उसे (1) शोध्य वेतन (2) छुट्टी नगदीकरण (3) सा. भ. नि. और (4) सेवा निवृत्ति/मृत्यु उपदान राशि की बाबत...................... रुपये राशि शोध्य थी।
बाध्यताधारी कुटुम्ब पेंशन और उस पर अनुज्ञेय मंहगाई राहत की बाबत..................... रुपये (केवल...................... रुपये) की हकदार है।
बाध्यताधारी ने अभ्यावेदन किया है कि वह पूर्वोक्त राशि का ही हकदार है और यह कि असम्यक् विलम्ब और कठिनाई से उसे बचाने के लिए सरकार उसे उक्त राशि का शीघ्र संदाय कर दे।
सरकार पूर्वोक्त लापता सरकारी सेवक को ऐसी शोध्य राशि के सभी दावों के विरुद्ध सरकार को क्षतिपूर्ति रखने के लिए बाध्यधारी और प्रतिभुओं द्वारा-ऊपर राशि का एक बन्धपत्र निष्पादित कर दिये जाने पर............. रुपये (केवल............ रुपये) और..................... रुपये (केवल................ रुपये) की दर से मासिक पेन्शन तथा उस पर राहत आदि का बाध्यताधारी को संदाय करने के लिए सहमत हो गई है।
बाध्यताधारी और उसके अनुरोध पर प्रतिभू इसमें इसके पश्चात् अन्तर्विष्ट निबन्धनों पर और रीति में बन्धपत्र निष्पादित करने के लिए सहमत हो गए हैं।
अतः इस बन्धपत्र की शर्त यह है कि बाध्यताधारी को संदाय कर दिये जाने के पश्चात् यदि कोई व्यक्ति या लापता कर्मचारी, हाजिरी होकर पूर्वोक्त................ रुपये(केवल......... रुपये) की राशि और सरकार द्वारा मासिक कुटुम्ब पेन्शन और यथा पूर्वोक्त राहत के रूप में संदत्त राशि के सम्बन्ध में सरकार के विरुद्ध कोई दावा करता है तो बाध्यताधारी और/या प्रतिभू.............. रुपये (केवल............ रुपये) की उक्त रशि और सरकार द्वारा मासिक कुटुम्ब पेंशन और राहत के रूप में संदत्त प्रत्येक राशि पर ................. प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज सहित सरकार को लौटा देगा/देंगे और अन्यथा सरकार की क्षतिपूर्ति करेगा/ करेंगे और सरकार को पूर्वोक्त राशियों के सम्बन्ध में दावा किये जाने के परिणामस्वरूप उपगत सभी खर्चों की बाबत सभी दायित्वों की क्षतिपूर्ति करेगा/करेंगे और उनसे हानिरहित क्षतिपूर्ति रखेगा/रखेंगे। तत्पश्चात् उपरोक्त बन्धपत्र या बाध्यता शून्य और निष्प्रभावी हो जाएगी अन्यथा वह पूर्णतः प्रवृत्त प्रभावी और बलशील रहेगी।
यह विलेख इस बात का भी साक्षी है कि इसके अधिक बाध्यताधारी द्वारा पालन या निर्वहन की जाने वाली बाध्यताओं या शर्तों के बारे में या उसके सम्बन्ध में, सरकार द्वारा समय दिये जाने के कारण या किसी प्रवितरित, कार्य या लोप के कारण चाहे प्रतिभू को इसकी जानकारी हो या न हो या उसकी उस पर सम्मति हो या न हो या किसी भी प्रकार की अन्य ऐसी रीति या बात के कारण, जो प्रतिभूओं से सम्बन्धित विधि के अधीन यदि यह उपबन्ध न किया गया होता, प्रतिभू/प्रतिभुओं को ऐसे दायित्व से निर्मुक्त नहीं करती। प्रतिभू के दायित्व में कोई कमी नहीं आएगी या वह/वे उससे उन्मोचित नहीं होगा/ होंगे और न ही सरकार के लिए यह आवश्यक होगा कि वह प्रतिभू/प्रतिभूओं या उनमें से किसी के विरुद्ध इसके अधीन शोध्य राशि के लिए वाद लाने के पूर्व बाध्यताधारी के विरुद्ध वाद लाए । इस विलेख पर प्रभावी स्टाम्प शुल्क का, यदि कोई हो, वहन सरकार करेगी।
इसके साध्य स्वरूप ऊपर सर्वप्रथम उल्लिखित तारीख को बाध्यताधारी औड़ प्रतिभू/प्रतिभुओं ने इस पर अपने-अपने हस्ताक्षर किये।
ऊपरनामित “बाध्यताधारी" ने,
1………………………..
2. ………………………
(साक्षियों के नाम, पते और हस्ताक्षर)
की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये
………………………..
(बाध्यताधारी के हस्ताक्षर)
ऊपरनामित “प्रतिभू/प्रतिभुओं"
1………………………..
2. ………………………
की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।
(साक्षियों के नाम, पते और हस्ताक्षर)

………………………..

             (प्रतिभू/प्रतिभुओं के हस्ताक्षर)
 .................... ने (राष्ट्रपति के लिये और उनकी ओर से यह बंधपत्र स्वीकार करने के लिए। अनुच्छेद 299 (1) के अनुसरण में निर्दिष्ट या प्राधिकृत अधिकारियों का नाम और पद का नाम................... की उपस्थिति
(साक्षी का नाम और पदनाम)
में भारत के राष्ट्रपति के नाम और इनकी ओर से इसे स्वीकार किया।
टिप्पण 1 : (क) दावेदार कहा गया है।
(ख) “बाध्यताधारी" की लापता सरकारी सेवक से नातेदारी का उल्लेख करें।
(ग) “लापता सराकरी सेवक" का नाम।
(घ) प्रतिभू या प्रतिभुओं का/के नाम, उनके पिता/पति का/के नाम और निवास स्थान।
टिप्पण 2 : बाध्यताधारी और प्रतिभू प्राप्तवय होने चाहिए जिससे कि बन्धपत्र का विधिक प्रभाव या बल हो।
टिप्पण 3 : साधारण ब्याज की दर वह होगी जो सरकार समय-समय पर विहित करती है। यह दर कार्यालय ज्ञापन के जारी किये जाने की तारीख को 6% प्रतिवर्ष हैं।
 
क्षतिपूर्ति बन्धपत्र (पेंशन प्राप्त कर रहे व्यक्ति के लिये)
 
यह सबको ज्ञात है कि श्री ................ के बारे में जो......... मंज्ञालय /विभाग/कार्यालय में.......... के पद से नियुक्त हुआ था और जो.................. से पेंशन प्राप्त कर रहा था रिपोर्ट मिली है कि वह तारीख............ से लापता है (जिसे इसमें आगे “लापता पेंशनभोगी' कहा गया है) अतः हम............ जो उक्त लापता पेंशनभोगी की/का पुत्री/पत्नी/पुत्र नामनिर्देशिती आदि है और................ का/की निवासी है (जिसे इसमें आगे “बाध्यताधारी" कहा गया है) और................ जो....... का/की पुत्र/पत्नी/पुत्री है तथा............... का/की निवासी है और.............. जो........... का/की पुत्र/पुत्री/पत्नी है तथा............ का/की निवासी है, (जिन्हें आगे "प्रतिभू" कहा गया है), बाध्यताधारी के लिए और उसकी ओर से भारत के राष्ट्रपति (जिन्हें इसमें आगे “सरकार"कहा गया है) के प्रति ऐसे प्रत्येक राशि के, जो पेंशन और मासिक कुटुम्ब पेंशन और उस पर राहत मदें बकाया हों, संदाय की तारीख से उसके प्रति संदाय की तारीख तक के लिए............... प्रतिशत प्रतिवर्ष के साधारण ब्याज सहित सरकार को, उसके द्वारा माँग की जाने पर बिना किसी आपत्ति के सं करने के लिए दृढ़तापूर्वक आबद्ध हैं। यह संदाय पूर्णतः और सही रूप में करने के लिए हम स्वंय को, (अपने वारिसों, निष्पादकों, प्रशासकों, विधिक प्रतिनिधियों और उत्तराधिकारियों को इस विलेख द्वारा दृढ़तापूर्वक आबद्ध करते हैं।)
तारीख....................... को इस पर हस्ताक्षर किये गये।
-लापता होने के समय....................... सरकार का पेंशनभोगी था और सरकार से प्रतिमास............. रुपये (केवल................. रुपये) की दर से पेंशन और उस पर राहत प्राप्त कर रहा था।
उक्त............ तारीख............... को लापता हुआ था और उसके लापता होने के समय उसे शोध्य पेंशन के बराबर राशि बकाया थी।
बाध्यताधारी कुटुम्ब पेंशन और उन पर अनुज्ञेय मंहगाई राहत की बाबत......... रुपये (केवल......... रुपये) का हकदार है।
बाध्यताधारी ने अभ्यावेदन किया है कि वह पूर्वोक्त राशि का/ही हकदार है और यह कि असम्यक् विलम्ब और कठिनाई से उसे बचाने के लिए सरकार उसे उक्त राशि का शीघ्र संदाय कर दे।
सरकार, पूर्वोक्त लापता सरकारी पेंशनभोगी को ऐसी शोध्यराशि के सभी दावों के विरुद्ध सरकार को क्षतिपूर्ति रखते के लिए, बाध्यताधारी और प्रतिभुओं द्वारा ऊपर वर्णित राशि का एक बन्धक पत्र निष्पादित कर दिये जाने पर.............. रुपये (केवल.............. रुपये) की दर से मासिक पेंशन तथा उस पर रहात आदि का बाध्यताधारी को संदाय करने के लिए सहमत हो गई है।
बाध्यताधारी और उसके अनुरोध पर प्रतिभू इसमें इसके पश्चात् अंतर्विष्ट निबन्धनों पर और रीति में बन्धपत्र निष्पादित करने के लिए सहमत हो गये हैं।
अतः इस बन्धपत्र की शर्त यह है कि बाध्यताधारी को संदाय कर दिये जाने के पश्चात् यदि कोई अन्य व्यक्ति या लापता पेंशनभोगी हाजिर होकर पूर्वोक्त............... रुपये(केवल.............. रुपये) की राशि और सरकार द्वारा मासिक कुटुम्ब पेंशन और यथा पूर्वोक्त राहत के रूप में संदत्त राशि के संबंध में, सरकार के विरुद्ध कोई दावारा करता है तो बाध्यताधारी और/या प्रतिभू............... रुपये (केवल…………...... रुपये) की उक्त राशि और सरकार द्वारा मासिक कुटुम्ब पेंशन और राहत के रूप में संदत्त प्रत्येक राशि पर…….......% प्रतिवर्ष दर से साधारण ब्याज सहित, सरकार को लौटा देगा/देंगे और अन्यथा सरकार की क्षतिपूर्ति करेगा/करेंगे और सरकार को पूर्वोक्त राशियों और उनके सम्बन्ध में द्वारा किये जाने के परिणामस्वरूप उपगत सभी खर्चों की बाबत सभी दायित्वों की क्षतिपूर्ति करेगा/ करेंगे और उनसे हानिरहित तथा क्षतिपूर्ति रखेगा/रखेंगे। तत्पश्चात् उपरोक्त बन्धपत्र या बाध्यता शून्य निष्प्रभावी हो जाएगी अन्यथा वह पूर्णतः प्रवृत्त, प्रभावी और बलशील रहेगी।
यह विलेख इस बात का भी साक्षी है कि इसके अधीन, बाध्यताधारी द्वारा पालन या निर्वाहन की जाने वाली बाध्यताओं या शर्तों के बारे में या उनके सम्बन्ध में सरकार द्वारा समय दिये जाने के कारण या किसी प्रविरति, कार्य या लोप के कारण चाहे प्रतिभू को इसकी जानकारी हो या न हो या उसकी उस पर सम्मति हो या न हो या किसी भी प्रकार की अन्य ऐसी रीति या बात के कारण, जो प्रतिभुओं को ऐसे दायित्व से निर्मुक्त नहीं करती, प्रतिभू के दायित्वों में कमी नहीं आएगी या वह/वे उससे उन्मोचित नहीं होगा/होंगे और न ही सरकार के लिये वह आवश्यक होगा कि वह प्रतिभू/प्रतिभुओं या उनमें से किसी के विरुद्ध, इसके अधीन शोध्य राशि के लिये; वाद लाने के पूर्व बाध्यताधारी के विरुद्ध वाद लाए। इस विलेख पर प्रभार स्टाम्प शुल्क का यदि कोई खर्च हो, तो उसका वहन सरकार करेगी :
इसके साक्ष्य स्वरूप ऊपर सर्वप्रथम उल्लिखित तारीख को बाध्यधारी और प्रतिभू/प्रतिभुओं ने इस पर अपने-अपने हस्ताक्षर किये।
ऊपर नामित 'बाध्यताधारी' ने
1…………………....... साक्षियों के नाम, पते और
…………………….... हस्ताक्षर ।
……………….............
2……………………...
की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।
……………………………
(बाध्यताधारी के हस्ताक्षर)
ऊपर नामित 'प्रतिभू/प्रतिभुओं, ने
1………………………साक्षियों के नाम, पते और
………….................... हस्ताक्षर
2…………………………
की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।
………………………….
(प्रतिभू/प्रतिभुओं के हस्ताक्षर)
…………............... ने (राष्ट्रपति के लिये और उनकी ओर से यह बन्धपत्र स्वीकार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 299 (1) के अनुसरण में निर्दिष्ट या प्राधिकृत अधिकारी का नाम और पदनाम)............. की उपस्थिति में।
(साक्षी का नाम और पदनाम)
भारत के राष्ट्रपति के लिये और उनकी ओर से इसे स्वीकार किया।
टिप्पण 1 : (क) दावेदार का पूरा नाम, जिसे इसमें 'बाध्यताधारी' कहा गया है।
(ख) 'बाध्यताधारी' की लापता पेंशभोगी से नातेदारी का उल्लेख करें।
(ग) 'लापता पेंशनभोगी का नाम।
(घ) प्रतिभू या प्रतिभुओं का/के नाम, उनके पिता/पति का/के नाम और निवास स्थान ।
टिप्पण 2 : बाध्यताधारी और प्रतिभू प्राप्तवय होने चाहिये जिससे कि बन्धपत्र का विधिक प्रभाव या बल हो।
टिप्पण 3: साधारण ब्याज की दर वह वह होगी जो सरकार समय-समय पर विहित करती है। यह दर कार्यालय ज्ञापन के जारी किए जाने की तारीख को 6% प्रतिवर्ष है।
 
 
विषय- गुमशुदा/लापता शासकीय कर्मचारी के परिवार को सेवानिवृत्ति सुविधाएँ प्रदान करने के बारे में।
संदर्भ- इस विभाग का ज्ञाप क्रमांक एफ.बी-6/2/86/नियम/चार, दिनांक 3.8.89 ।
विषयान्तर्गत संदर्भित ज्ञाप द्वारा यह निर्देश प्रसारित किये गये थे कि ऐसे शासकीय सेवक जो अचानक लापता हो गये और फिर उनका कोई पता ठिकाना मालूम नहीं हो पाए तो उनके परिवार के पात्र सदस्यों को देय विभिन्न स्वत्व यथा पेंशन, उपदान, देय वेतन, अवकाश नगदीकरण, सामान्य भविष्य निधि की राशि आदि स्वीकत करने में कठिनाइयाँ होती हैं। ऐसे लापता शासकीय कर्मचारियों के मामलों में उनके परिवार को देय स्वत्वों के भुगतान की स्वीकृति दिये जाने के संबंध में भारत शासन पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) के ज्ञाप क्रमांक 1(17) पी.एंड.पी.डब्लू/86 दिनांक 29.8.86 के अनुसार प्रक्रिया अपनाई जाने के निर्देश प्रसारित किए गए हैं। इन निर्देशों के अनुसार एफ.आी.आर. दर्ज होने के 1 वर्ष बाद परिवार पेंशन की पात्रता आती है।
भारत सरकार कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के ज्ञाप क्रमांक 1(17) पी.एंडपी.डब्लू 86 दिनांक 18.2.93 के द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज होने के दिनांक से ही परिवार पेंशन के भुगतान की स्वीकृति संबंधी स्पष्टीकरण जारी किये गये हैं। भारत सरकार के उक्त ज्ञाप की प्रतिलिपि संलग्न है। राज्य शासन द्वारा अपने कर्मचारियों के इस प्रकार के प्रकरणों में वित्त विभाग के संदर्भित ज्ञाप दिनांक 3.8.89 में उल्लेखित शर्तों के अधीन भारत सरकार के उक्त ज्ञाप दिनांक 18.2.93 के अनुसार प्रक्रिया अपनी जाने का निर्णय लिया है। अतः इस प्रकार के मामलों में तद्नुसार कार्यवाही की जाये। [म.प्र.शा.वित्त विभाग क्रमांक एफ 25/87/2001/पीडब्लूसी (नियम)/चार दिनांक 7.7.2004]
 
 
No. 1(17) P&PW/86-E
Government of India
Ministry of Personnel, P.G. & Pensions
(Department of Pension & P.W.)
New Delhi, dated the 18 Feb, 1993
OFFICE MEMORANDUM
Subject: Grant of family pension and gratuity to the families etc. of the Government employees/pensioners who disappeared suddenly and whose whereabouts are not known. The undersigned is directed to refer to this Department's O.M. No. 1 (17) P&PW/ 86 dated 29.8.86 read with Office Memorandum of the same number dated 25.1.1991 on the subject mentioned above and to say that in accordance with the provisions contained in these Office Memoranda, the families of the employees pensioners who whereabouts are not known are paid in the first instance, the amount of salary due, leave encashment and the amount of GPF having regard to the nomination made by the employees and after the lapse of a period of one year other benefits like DCRG and family pension are also paid. The period of one year is reckoned with reference to the date on which FIR is lodged with the police to put the disappearance of the concerned employee/pensioner. At present the family pension is sanctioned and paid to the eligible member of the family one year after the date of registering the FIR with the police and on family pension is paid for the intervening period of one year from the date the FIR is lodged to the dated the family pension can be sanctioned. This practice is causing hardship to the families. It has now been decided that the family pension, which in pursuance of the earlier orders, will continue to be sanctioned and paid one year after the date of lodging the FIR will accrue from the date of lodging the FIR or expiry of leave of the employee who has disappeared whichever is later. When the sanction for family pension is issued, the payment of pension from the date of accrual may be authorised. The usual procedure of obtaining the indemnity bond etc. as laid down in the O.M. dated 29.8.86 will continue to be followed. While sanctioning payment of family pension, it will be ensured by the concerned authorities that family pension is not authorised for any period during which payment of pay & allowances in respect of the disappeared employee has been made.
2. In their application to the persons serving in the Indian Audit and Accounts Department, these orders are issued after consultation with the Comptroller & Auditor General of India.
3. Minister of Finance, Department of Expenditure etc. are requested to bring it to the notice of all concerned.
4. Hindi version of this O.M. is enclosed.
Sd./
(Swarn Dass)
Deputy Secy. to the Govt. of India