Updated: Feb, 18 2021

Rule 42A of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976

नियम 42क. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर अर्हता सेवा को जोड़नाः

(1) अनुज्ञा सहित या अनुज्ञा के बिना, नियम 42 के उपनियम (1) के खण्ड (क) के अधीन सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी सेवक आशयित सेवानिवृत्ति की तारीख पर जो अर्हता सेवा हो, उसमें एसी कालावधि की, जो पांच वर्ष से अधिक न हो इस शर्त के अध्यधीन रहते हुए वृद्धि की जाएगी कि सरकारी सेवक द्वारा की गई कुल अर्हता सेवा, किसी भी मामले में तैंतीस वर्ष से अधिक नहीं हो जो अधिवार्षिकी की तारीख से परे नहीं हो। [म. प्र. शासन, वित्त विभाग क्र. एफ-9-1-2002/नियम/चार दिनांक 5.4.06 से नियम 42 (क) जोड़ा गया। 5.4.06 से लागू।]

(2) उपनियम (1) के अधीन उसकी अर्हता सेवा में वृद्धि जो पांच वर्ष से अधिक न हो उसे पेंशन तथा उपादन (ग्रेच्युटी) की गणना के प्रयोजनों के लिए वेतन के नोशनल निर्धारण का हकदार बना वेगी।

(3) यह नियम ऐसे सरकारी सेवक को लागू नहीं होगा जो केन्द्रीय सरकार में, किसी स्वशासी निकाय या पब्लिक सेक्टर उपक्रम में, जहां वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति चाहने के समय प्रतिनियुक्ति पर है, स्थायी रूप से आमेलित होने के लिए सरकारी सेवा से निवृत्त होता है।

(4) उपधारा (1) के अधीन अधिमान उन सरकारी सेवकों के मामलों में अनुज्ञेय नहीं होगा, जो नियम 42 (1) (ख) या एफ. आर. 56 (2) के अधीन सरकार द्वारा लोकहित में समय पूर्व सेवानिवृत्त किए गए हों।

शासन आदेश

विषय - शासकीय सेवकों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की सुविधा।

राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति से संबंधित प्रावधानों को और अधिक उदार बनाया जाए।

2. मार्च 2002 में पेंशन नियमों में परिवर्तन लाकर यह व्यवस्था की गई थी कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले शासकीय सेवकों की पेंशन, ग्रेच्युटी इत्यादि इस प्रकार निर्धारित की जाए कि उनकी सेवा 5 साल तक अतिरिक्त मान ली जाए, बशर्त कि इस व्यवस्था से सेवाकाल सामान्य सेवानिवृत्ति के आगे नहीं बढ़ेगा और कुल सेवा 33 साल से ज्यादा से ज्यादा नहीं मानी जाएगी। इस 5 साल की अवधि के दौरान शासकीय सेवक को नोशनल इन्क्रीमेंट दिया जाकर पेंशन और ग्रेच्युटी का निर्धारण होगा।

3. अब राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि 1 अक्टूबर, 2002 या उसके बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले शासकीय सेवकों की बाकी सेवावधि पूरी परे तौर पर पेंशन और ग्रेच्युटी के लिये गणना में लिया जाएगा। यह सेवाकाल 33 साल से अधिक नहीं माना जायेगा। इस अवधि के दौरान काल्पनिक वेतनवृद्धि जोड़ी जाकर पेंशन और ग्रेच्युटी का निर्धारण होगा। काल्पनिक, वेतनवृद्धि सेवक द्वारा धारित पद के वेतनमान से अधिकतम तक ही देय होगी।

4. इस निर्णय से राज्य शासन पर पेंशन का भार बढ़ेगा। वेतन पर होने वाला खर्च कम करने के उद्देश्य से राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि नई व्यवस्था के तहत जो शासकीय सेवक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते हैं, उनके पद खाली होते ही स्वयमेव समाप्त हो जाएंगे। पद समाप्त होने के संबंध में आदेश निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं होगा-

(क) लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (चिकित्सा, सह-चिकित्सा (पैरा मेडिकल) और तकनीकी स्टॉफ)

(ख) चिकित्सा शिक्षा विभाग (अध्यापन स्टॉफ सह-चिकित्सा (पैरा मेडिकल) और तकनीकी स्टॉफ)

(ग) तकनीकी शिक्षा एवं जनशक्ति नियोजन विभाग (अध्यापन स्टॉफ)

(घ) उच्च शिक्षा विभाग (अध्यापन स्टॉफ)

(ड) स्कूल शिक्षा विभाग (अध्यापन स्टॉफ)

(च) आदिम जाति कल्याण विभाग (अध्यापन स्टॉफ)

(छ) गृह (पुलिस) विभाग (अलिपिकवर्गीय)

(ज) एकल पद

5. इस संबंध में पेंशन नियमों में अलग से संशोधन जारी किया जा रहा है जो 1 अक्टूबर, 2002 से लागू होगा।

[म.प्र.शा.वि.वि. क्र. एफ - 25/25/2001/नियम/चार, दिनांक 12-9-2002]

 

राज्य शासन के अधीनस्थ विभागों/स्थापनाओं में कार्यरत अतिशेष वाहन चालकों के लिये स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना -

राज्य शासन के विभिन्न विभागों/स्थापनाओं में कार्यरत अतिशेष वाहन चालकों के लिये राज्य शासन निम्नानुसार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना लागू करता है:-

(1) योजना का नाम, प्रारंभ तथा प्रयुक्तिः

(1) यह योजना मध्यप्रदेश शासन के अधीनस्थ कार्यरत अतिशेष वाहन चालकों के लिये "स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति, योजना, 2002" कहलाएगी।

(2) यह योजना, इस ज्ञाप के जारी होने की तिथि से लागू होगी।

(3) इस योजना के अन्यथा उपबंधों को छोड़कर, यह योजना राज्य शासन के विभिन्न विभागों/स्थापनाओं में नियुक्त/सेवारत सभी अतिशेष नियमित वाहन चालकों तथा कार्यभारित/आकस्मिक सेवाओं के वाहन चालकों को लागू होगी

(2) स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति की शर्तेः

(1) कोई भी अतिशेष, नियमित वाहन चालक तथा कार्यभारित/आकस्मिकता सेवा के वाहन चालक, बिना किसी आयु तथा अर्हकारी सेवा की सीमा की शर्त के अपनी इच्छा से इस प्रयोजन के लिए आवेदन-पत्र देकर इस योजना का चयन कर सकता है।

(2) ऐसे वाहन चालक को इन नियमों के तहत सेवानिवृत्ति की पात्रता नहीं होगी जो निलम्बित हो अथवा जिसके खिलाफ अभियोजन चल रहा हो। अगर अभियोजन की स्वीकति मांगी गई हो तो अभियोजन के संबंध में निर्णय होने के पश्चात ही सेवानिवृत्ति के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

(3) जिस वाहन चालक के खिलाफ विभागीय जांच चल रही हो या शुरू की जाने वाली हो, उसके मामले में प्राधिकारी गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेगें। अगर आरोप इस तरह के हों कि संबंधित वाहन चालक को सेवा से हटाये या पदच्युत किये जाने की संभावना हो तो सेवानिवृत्ति आवेदन पत्र अस्वीकार किया जावेगा और विभागीय जांच जल्दी पूरी की जावेगी।

(4) योजना का चयन करने वाले वाहन चालकों को उसे लागू सेवा नियमों के अनुसार देय पेंशन, ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण आदि की नियमानुसार पात्रता होगी।

(5) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के समय दी जावे वाली राशि (अंतिम संदाय) निम्नानुसार होगी-

(एक) स्वैछिक सेवानिवृत्ति योजना (व्ही. आर. एस.) की राशि सेवा के प्रत्येक पूरे वर्ष के लिये 45 दिन के कुल वेतन के समतुल्य राशि के बराबर होगी। अधूरे वर्ष के लिये राशि अनुपात के अनुसार निर्धारित की जावेगी।

अथवा

(दो) अधिवार्षिकी के दिनांक तक शेष कालावधि के लिये कुल वेतन।

अथवा

(तीन) रु. 75,000/- (रुपये पचहत्तर हजार)

इनमें से जो भी कम हो। कुल वेतन का तात्पर्य मूल वेतन और मंहगाई भत्ते से है।

(6) ऐसे अतिशेष वाहन चालकों को, जो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का लाभ लेते हैं, राज्य शासन के अन्य विभाग अथवा शासन के नियंत्रित तथा सहायता अनुदान प्राप्त किसी निगम, मंडल, कंपनी, स्वशासी संस्था, स्थानीय प्राधिकारी, स्थानीय बोर्ड तथा स्थानीय निकाय में नियुक्ति की पात्रता नहीं होगी।

(7) प्रत्येक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आदेश में यह स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा कि अतिशेष कर्मचारी द्वारा धारित पद संबंधित की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिनांक से समाप्त हो जाएगा।

(8) इस योजना के अंतर्गत स्वीकृति प्रदान करने के लिए नियुक्तिकर्ता अधिकारी सक्षम होंगे।

(9) देय राशि का एकमुश्त भुगतान किया जाएगा।

(10) स्वैच्छिक सेवानियुक्ति मान्य हो जाने के पश्चात् कर्मचारी को अपना आवेदन वापस मावा लेने का अधिकार नहीं होगा।

(11) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु किसी पूर्व सूचना की आवश्यकता नहीं होगी अर्थात् कर्मचारी द्वारा आवेदन देने पर तत्काल प्रभाव से भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी जा सकेगी।

(12) किसी वाहन चालक का आवेदन इस आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जाएगा कि उस स्थापना में वाहन चालकों की कमी है।

2. कृपया उपर्युक्त बिन्दुओं से अपने अधीनस्थ समस्त कार्यालयों को भी अवगत करवाएं ।

3. यह आदेश वित्त विभाग के पृष्ठांकन क्रमांक 623/1365/2002/नियम/चार, दिनांक 5-8-2002 द्वारा महालेखाकार, मध्यप्रदेश ग्वालियर को पृष्ठांकित किया गया है।

[म.प्र. शासन, सामान्य प्रशासन विभाग क्र. एफ. 5-3/2002/1/वे.आ.प्र.दि.2/5 अगस्त, 2002]

राज्य शासन के विभिन्न विभागों/स्थापनाओं के लिए दिनांक 31-12-1988 अथवा उसके पूर्व से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के लिए 'स्वैच्छिक सेवामुक्ति' योजना -

शासन के विभिन्न विभागों/स्थापनाओं में दिनांक 31.12.1988 अथवा उसके पूर्व से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के लिए राज्य शासन निम्नानुसार 'स्वैच्छिक सेवामुक्ति' योजना लागू करता है

1. योजना का नाम, प्रारम्भ तथा प्रयुक्ति :

1. यह योजना ‘मध्यप्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के लिए स्वैच्छिक सेवामुक्ति योजना 2002' कहलाएगी।

2. यह योजना इस ज्ञाप के जारी होने की तारीख से लागू होगी।

3. इस योजना के अन्यथा उपबंधों को छोड़कर, यह योजना राज्य शासन के विभिन्न विभागों/स्थापनाओं में दिनांक 31-12-1988 अथवा उसके पूर्व से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को लागू होगी।

2. स्वैच्छिक सेवा मुक्ति योजना की शर्तेः

(1) दिनांक 31-12-1988 अथवा उसके पूर्व से सेवारत कोई भी दैनिक वेतन भोगी कर्मी बिना किसी आयु तथा अर्हकारी सेवा की सीमा को शर्त के स्वेच्छा से इस योजना का चयन कर सकता है।

(2) योजना का चयन करने वाले कर्मी को उसके द्वारा इस प्रयोजन के लिये आवेदन देने पर प्रत्येक पूर्ण वर्ष की सेवा पर 45 दिन की मजदूरी देय होगी, जिसकी अधिकतम सीमा प्रत्येक कर्मी के लिये रुपये 75,000/- होगी।

(3) इन नियमों के अंतर्गत स्वीकृति प्रदान करने के लिये नियुक्तिकर्ता अधिकारी सक्षम होंगे।

(4) नियुक्तिकर्ता अधिकारी को यह अधिकार होगा कि जो कर्मी ऐसे आवश्यक कार्य में लागे हो, जिसकी निरन्तरता आवश्यक है, उस कर्मी को स्वैच्छिक सेवामुक्ति देने से माना कर सके।

(5) स्वैच्छिक सेवा मुक्ति बाबत किसी दैनिक वेतन भोगी का आवेदन इस आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जा सकेगा कि उस स्थापना में दैनिक वेतन भोगी की आवश्यकता है।

(6) ऐसे कर्मी, जो स्वैच्छिक सेवा मुक्ति का लाभ लेते हैं, उन्हें राज्य शासन के अन्य विभाग अथवा राज्य शासन के नियंत्रित तथा सहायता/अनुदान प्राप्त किसी निगम, मण्डल, कम्पनी अथवा स्वशासी संस्था, स्थानीय प्राधिकारी, स्थानीय बोर्ड तथा निकाय में नियुक्ति की पात्रता नहीं होगी।

(7) देय राशि का एक मुश्त भुगतान किया जाएगा।

(8) स्वैच्छिक सेवा मुक्ति मान्य हो जाने के पश्चात् कर्मी को अपना आवेदन वापस लेने का अधिकार नहीं होगा।

(9) स्वैच्छिक सेवामुक्ति चाही जाने हेतु सूचना पत्र के लिये कोई पूर्व समय-सीमा नहीं है अर्थात् कर्मी द्वारा चाहे जाने पर तत्काल प्रभाव से भी स्वैच्छिक सेवा मुक्ति दी जा सकेगी।

2. कृपया इन निर्देशों से अपने समस्त अधीनस्थ कार्यालयों को भी अवगत कराने का कार्य करें।

3. यह आदेश वित्त विभाग के पृष्ठांकन क्रमांक 622/1356/2002/नियम/चार, दिनांक 5-8-2002 द्वारा लेखाकार, मध्यप्रदेश, ग्वालियर को पृष्ठांकित किया गया है।

[म.प्र. शासन, सामान्य प्रशासन विभाग क्र. एफ. 5-4/2002/1/वे.आ.प्र. दि. 2/5 अगस्त, 2002]

आपराधिक करण/विभागीय जांच लम्बित होने की स्थिति में शासकीय सेवक की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकृत करने बाबत् -

राज्य सरकार के समक्ष यह प्रश्न विचारणीय रहा है कि यदि किसी शासकीय सेवक के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण/विभागीय जांच लम्बित है और वह म.प्र. सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 42 के तहत स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत करता है तो उसकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकृत करनी चाहिए अथवा नहीं।

2. उपरोक्त विषय में विधि विभाग ने यह परामर्श दिया है कि यदि संबंधित शासकीय सेवक को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अनुमति नहीं दी जाती है तो वह शासकीय सेवा में रहेगा और उसे पूर्ण वेतन अथवा निलम्बन की दशा में निलम्बन भत्ता दिया जाना होगा। यदि दोषमुक्त हो जाता है तो उसे निलम्बन अवधि के लाभ भी देने पड़ सकते हैं। अनिच्छा से शासकीय सेवा करने वाला व्यक्ति, अपना कर्त्तव्य भी पूर्ण निष्टा तथा उत्तरदायित्व से नहीं करता। दूसरी ओर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकार कर ली जाने पर उसे अन्तिम पेंशन देय होगी। यह पेंशन आपराधिक प्रकरण/विभागीय जांच में दोषसिद्धि होने पर रोकी जा सकेगी। पेंशन रोकने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि शासन को शासकीय सेवक के आरोपित कृत्य से धन हानि हो । यूनियन ऑफ इण्डिया बी-देव, 1998 एस.सी. डब्ल्य, 2758 में व्यवस्था है कि शासकीय सेवक का कदाचरण यदि गंभीर प्रकृति का है तो उसकी पेंशन रोकने की कार्यवाही की जा सकती है। इस स्थिति में यदि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकार की जाती है तो यह अनुचित नहीं होगा ।इसमें कोई विधिक बाधा भी नहीं होगी। दण्डित किये जाने पर देय पेंशन “मंत्री-परिषद" के आदेश प्राप्त कर रोकी जा सकेगी। प्रकरण लम्बित रहने की अवधि में पेंशन नियमों के नियम 9 (4) के प्रथम परन्तुक के प्रावधानों पर केवल अन्तिम पेंशन निर्धारित की जा सकेगी।

3. अतः राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि यदि भविष्य में किसी ऐसे शासकीय सेवक द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकार करने का आवेदन पत्र दिया जाता है, जिसके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण अथवा विभागीय जांच संस्थित हो, तो ऐसे प्रकरणों में विधि विभाग के उक्त परामर्श के अनुसार अग्रेतर कार्यवाही की जावे।

[म.प्र. सामान्य प्रशासन विभाग क्र. सी. - 68/99/3/1, दिनांक 30-6-1999]