सेवा में व्यवधान का प्रभाव (Effect of interruption in service)
Updated: Feb, 18 2021
Rule 27 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976
नियम 27. सेवा में व्यवधान का प्रभाव (Effect of interruption in service) - (1) निम्न प्रकरणों को छोड़कर, शासकीय सेवक की सेवा में व्यवधान से उसकी पूर्व सेवा का हरण हो जाता है-
(ए) अधिकृत अवकाश के कारण गैर हाजिरी,
(बी) जब तक अनुपस्थित व्यक्ति के पद की पूर्ति नहीं कर दी जाती तब तक अधिकृत अवकाश के अनुक्रम में अनधिकृत अनुपस्थिति,
(सी) निलम्बन, जहाँ बाद में चाहे उसी अथवा किसी भिन्न पद पर पुनःस्थापना कर दी जाती है अथवा निलंबनाधीन रहते हुए, जहाँ शासकीय सेवक की मृत्यु हो जाती है अथवा सेवानिवृत्त होने की अनुमति दे दी जाती है अथवा सेवा निवृत्ति कर दी जाती है,
(डी) सेवा से पदच्युति अथवा पृथक्करण के पश्चात् पेंशन योग्य सेवा में पुनः स्थापना,
[(ई) कार्यालय टूटने अथवा स्थापना में कमी के कारण नियुक्ति न रहने अथवा सक्षम प्राधिकारी के आदेशानुसार गैर-अर्हतादायी सेवा की स्थापना में, जो शासन के नियंत्रणाधीन है, में स्थानान्तरण, [वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/10/81/आर-2/चार, दिनांक 18-6-1981 द्वारा संशोधित तथा दिनांक 1-6-76 से प्रभावशील।]
(एफ) किसी एक पद से दूसरे पद पर स्थानान्तरण के दौरान कार्यभार ग्रहण करने का समय;
(2) उपनियम (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, पेंशन स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी बिना अवकाश अनुपस्थितिकाल को आदेश द्वारा भूतलक्षी प्रभाव से असाधारण अवकाश में परिवर्तित कर सकता है। असाधारण अवकाश की ऐसी अवधि नियम 21 की शर्त के अधीन पेंशन के लिये अर्हतादायी होगी।