सिविल रोजगार के पूर्व की गई सेना सेवा की गणना (Counting of Military service rendered before Civil Employment)
Updated: Feb, 18 2021
Rule 18 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976
नियम 18. सिविल रोजगार के पूर्व की गई सेना सेवा की गणना (Counting of Military service rendered before Civil Employment) - (1) कोई शासकीय सेवक, जो अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने के पूर्व किसी सिविल सेवा अथवा पद पर पुनर्नियुक्त होता है और जिसने पुनर्नियुक्ति के पूर्व अट्टारह वर्ष की आयु पूर्ण करने के पश्चात् नियमित सेना की सेवा की थी तो सिविल सेवा अथवा पद पर नियुक्ति होने पर वह विकल्प दे सकता है कि या तो-
(ए) मिलिटरी पेंशन आहरित करना चालू रखे अथवा मिलिटरी सेवा से सेवामुक्त होने पर प्राप्त उपदान को प्रतिधारित रखे। ऐसे प्रकरण में उसकी पूर्व मिलिटरी सेवा अर्हतादायी सेवा के रूप में संगणित नहीं की जायेगी अथवा
[(बी) वह अपनी पेंशन बंद करना चाहता है अथवा मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपदान, यदि कोई हो, के साथ उपदान वापस करना चाहता है और पूर्व मिलिटरी की सेवा, अर्हतादायी सेवा के रूप में संगणित करना चाहता है। ऐसे प्रकरण में सेवा को इस प्रकार संगणित करने के लिये दी गई अनुमति, भारत में अथवा उसके बाहर अन्य कहीं सेवा की इकाई अथवा विभाग में उसे सेवा से निमित्त की जायेगी जिसका भुगतान संचित कोष से किया जाना है अथवा जिसके लिये भारत शासन द्वारा निवृत्तिमान अंशदान प्राप्त किया जाता है और बीच में प्राप्त की गई पेंशन को वापस लौटाने की आवश्यकता नहीं होगी परंतु पेंशन के सत्वों को, जिन्हें पुनर्नियुक्ति होने पर वेतन निर्धारित के लिये विचार में नहीं लिया गया था, भारत शासन के रक्षा विभाग को वापस लौटाया जावेगा।] [वित्त विभाग क्र. एफ. बी. 6/1/77/नि-2/चार, दिनांक 28-9-1977 द्वारा प्रतिस्थापित। दिनांक 1-6-1976 से प्रभावशील।]
(2) (ए) किसी सेवा अथवा पद पर जैसा कि उपनियम (1) में सन्दर्भित है, नियुक्ति आदेश प्रसारित करने वाला प्राधिकारी, ऐसे आदेश के साथ शासकीय सेवक से, उस उपनियम के अन्तर्गत ऐसा आदेश पारित करने की तिथि से तीन माह के भीतर अथवा यदि वह अवकाश पर है तो उसके अवकाश से लौटाने के तीन माह के भीतर जो भी, बाद में हो, लिखित में विकल्प देने के लिये कहेगा और खण्ड (बी) के प्रावधानों को उसके ध्यान में लायेगा।
टिप्पणी - उन व्यक्तियों के प्रकरणों जो 7-7-69 को पेंशन योग्य सिविल सेवा में थे और जिन्होंने 7-10-69 में पहले सिविल पेंशन के लिये उनकी आर्मी सेवा को संगणित करने के लिये आवेदन किया था, इस नियम के अन्तर्गत विचार किया जायेगा।
(बी) यदि खण्ड (ए) में सन्दर्भित अवधि के भीतर विकल्प नहीं दिया जाता है तो शासकीय सेवक ने उपनियम (1) के खण्ड (ए) का चयन किया है, ऐसा मान लिया जायेगा।
(3) (ए) शासकीय सेवक जिसने उपनियम (1) के खण्ड (बी) के लिये विकल्प किया है उसे पूर्व मिलिटरी सेवा के लिये प्राप्त पेंशन अथवा उपदान, 36 (छत्तीस) से अनधिक मासिक किश्तों में, जिस माह में उसने विकल्प दिया है उस माह के अगले माह से पहली किश्त शुरू करते हए, लौटाने होंगे।
(बी) पूर्व सेना को अर्हतादायी सेवा में संगणित कराने का अधिकार पुनर्जीवित नहीं होगा, जब तक पूर्ण धनराशि लौटाई नहीं जाती।
(4) उस शासकीय सेवक के प्रकरण में जिसने पेंशन अथवा उपदान को लौटाने का चयन किया है, सम्पूर्ण धनराशि लौटाने के पूर्व दिवंगत हो जाता है तो पेंशन अथवा उपदान की न लौटाई गई धनराशि का समायोजन उसके परिवार को भुगतान होने वाले मृत्यु-सेवा-सेवानिवृत्ति उपदान से किया जावेगा।
(5) जहाँ इस नियम के तहत शासन द्वारा मिलिटरी सेवा, सिविल पेंशन के लिये अर्हतादायी सेवा के एक भाग के रूप में संगणित करने के आदेश पारित किया गया हो तो उस आदेश में मिलिटरी सेवा और सिविल सेवा के बीच सेवा का व्यवधान, यदि कोई हो, का दोष-मार्जन होना सम्मिलित माना जावेगा परन्तु व्यवधान की अवधि सिविल पेंशन के लिये अर्हतादायी नहीं होगी।