पुनर्नियोजित शासकीय सेवक के प्रकरण में सेवानिवृत्ति-पूर्व सिविल सेवा की गणना (Counting of Pre-retirement Civil Service in the case of re-employed Government Servants)
Updated: Mar, 04 2021
Rule 17 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976
नियम 17. पुनर्नियोजित शासकीय सेवक के प्रकरण में सेवानिवृत्ति-पूर्व सिविल सेवा की गणना (Counting of Pre-retirement Civil Service in the case of re-employed Government Servants) - (1) शासकीय सेवक जो क्षतिपूरक पेंशन (Compensation Pension) अथवा असमर्थता-पेंशन (Invalid Pension) अथवा क्षतिपूरक पेंशन (Compensation Pension) अथवा असमर्थता उपदान (Invalid Gratuity) पर सेवानिवृत्त होकर पुनर्नियुक्त किया जाता है और उस सेवा अथवा पद पर नियुक्त किया जाता है जिस पर ये नियम लागू होते हैं, तो वह विकल्प दे सकता है कि या तो-
(ए) वह अपनी पूर्व सेवा के लिए स्वीकृत पेंशन का आहरण करना चालू रखेगा अथवा उपदान को प्रतिधारित रखेगा। ऐसे प्रकरण में उसकी पूर्व सेवा की गणना अर्हतादायी सेवा के रूप में नहीं की जावेगी अथवा
(बी) वह अपनी पेंशन का आहरण करना बन्द कर देगा अथवा मृत्यु-सह-सेवा निवृत्ति उपदान सहित, यदि कोई पेंशन जो उसने अन्तरकालीन आहरित की हो, जैसा भी प्रकरण हो, वापस कर देगा और सेवानिवृत्त दिनांक और पुनर्नियुक्ति के बीच की अवधि को सम्मिलित करते हुए, पूर्ववर्ती सेवा की गणना करायेगा।
(सी) भूतपूर्व विन्ध्यप्रदेश और भोपाल राज्यों के आवंटित शासकीय सेवकों के प्रकरणों में जिन्हें 1-11-1956 के पूर्व छंटनी के कारण, पार्ट-सी राज्यों से सेवामुक्त कर दिया गया था और जिन्होंने अपनी पूर्व सेवा की गणना के लिए विकल्प दिया है, उपदान/मृत्यु-सहसेवानिवृत्ति उपदान को वापस करने पर और पेंशन आहरण करना बन्द करने पर (बेरोजगार रहने की अवधि छोड़कर) पुनर्नियुक्ति सेवा के साथ केवल सेवानिवृत्ति के पूर्व की अवधि पेंशन के लिये संगणित की जायेगी। ऐसे प्रकरणों में अन्तःकालीन आहरित की गई पेंशन वापस जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। उपदान की धनराशि भारत शासन को लोटाई जायेगी जो छंटनी के पूर्व की सेवा के लिए आनुपातिक पेंशन सम्बन्धित दायित्व वहन करेगा।
टिप्पणी - खण्ड (सी) केवल उन्हें शासकीय सेवकों के प्रकरणों में लागू होता है जिन्हें 14-7-1970 से पूर्व पुनर्नियुक्त किया गया था और जिन्होंने निवृत्तिमान लाभों को, यदि कोई हों, वापस कर दिया है।
(2) (ए) किसी सेवा में अथवा पद पर, जैसा कि उपनियम (1) में संदर्भित है, नियुक्ति आदेश प्रसारित करने वाला प्राधिकारी ऐसे आदेश के साथ शासकीय सेवक से, उपनियम (1) के अन्तर्गत ऐसा आदेश पारित करने की तिथि से तीन माह के भीतर अथवा यदि वह उस दिन अवकाश पर है तो उसके अवकाश से लौटाने के तीन माह के भीतर, जो भी बाद में हो, लिखित में विकल्प लेने के लिए कहेगा और खण्ड (बी) के प्रावधानों को उसके ध्यान में लायेगा।
(बी) यदि खण्ड (ए) में संदर्भित अवधि के भीतर विकल्प नहीं दिया जाता है तो, शासकीय सेवक ने उपनियम (1) के खण्ड (ए) का चयन का विकल्प दिया है, ऐसा मान लिया जायेगा।
(3) उस शासकीय सेवक के प्रकरण में जो उपनियम (1) के खण्ड (ए) के लिये विकल्प देता है, उसकी अनवर्ती सेवा के लिये पेंशन अथवा उपदान उस सीमा के अधीन कि वह सेवा उपदान अथवा पेंशन का पूंजीगत मूल्य और मृत्यु सह-सेवानिवृत्ति उपदान, यदि कोई हो, जो शासकीय सेवक के अन्तिम सेवा निवृत्ति के समय के समय यदि सेवा की दोनों अवधियों और पूर्व की सेवा के लिये पहले स्वीकृत किये गये निवृत्तिमान लाभों का मूल्य जोड़कर जो उसे देय होती, दोनों के अन्तर से अनधिक न होगी, देय है।
टिप्पणी - पेंशन का पूंजीगत मूल्य "[मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन का कम्प्यूटेशन]" [वि. वि. क्र. बी. -25/10/95/PWC/चार, दिनांक 21.8.96 द्वारा जोड़े गये तथा 6.2.95 से लागू।] नियम, 1996; जो दूसरी अथवा अन्तिम सेवा निवृत्ति के समय लागू हो, के अधीन विहित तालिका के अनुसार संगणित किया जायेगा।
(4) (ए) जो शासकीय सेवक उपनियम (1) के खण्ड (बी) के लिये विकल्प देता है, उसे उसकी पूर्व सेवा के लिये प्राप्त उपदान, 36 (छत्तीस) से अनधिक मासिक किश्तों में, जिस माह में उसने विकल्प दिया है उस माह के अगले माह से पहली किश्त शुरू करते हए लौटाना होगा।
(बी) पूर्व सेवा को अर्हकारी में संगणित करने का अधिकार पुनर्जीवित नहीं होगा जब तक कि पूरी धनराशि लौटा नहीं दी जाती ।
(5) उस शासकीय सेवक के प्रकरण में जिसने उपदान को लौटाने का चयन किया है, सम्पूर्ण धनराशि लौटाने के पूर्व ही दिवंगत हो जाता है तो; उपदान की न लौटाई गई धनराशि का समायोजन, उसके द्वारा नाम निर्देशित कानूनः वारिसों को देय होने वाले मृत्यु-सह-सेवा निवृत्ति उपदान से किया जायेगा।