सेवा निवृत्ति के उपरान्त व्यावसायिक नियोजन (Commercial Employment after retirement)
Updated: Mar, 04 2021
Rule 10 of M.P.Civil Services (Pension) Rules, 1976
नियम 10. सेवा निवृत्ति के उपरान्त व्यावसायिक नियोजन (Commercial Employment after retirement) - (1) यदि कोई पेंशनर जो अपनी सेवा निवृत्ति के तत्काल पूर्व राज्य की प्रथम श्रेणी सेवा में था, अपनी सेवानिवृत्ति की तिथि से दो वर्ष समाप्त होने के पूर्व कोई व्यावसायिक रोजगार करना चाहता है तो वह ऐसी स्वीकारोक्ति के लिये शासन की पूर्वानुमति प्राप्त करेगाः
परन्तु यह कि शासकीय सेवक जिसे सेवानिवृत्ति-पूर्व-अवकाश अथवा अस्वीकृत-अवकाश के दौरान शासन द्वारा किसी विशेष प्रकार के व्यावसायिक रोजगार को ग्रहण करने की अनुमति दी गई थी तो सेवानिवृत्ति के पश्चात् उस रोजगार को चालू रखने के लिए उसे पश्चात्वर्ती अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी।
(2) उपनियम (3) के उपबन्धों के अध्यधीन किसी पेंशनर के आवेदन पर, उन शर्तों के अधीन, यदि कोई हो, शासन जैसा भी उचित समझे, लिखित आदेश द्वारा आवश्यक अनुमति दे सकता है अथवा उस पेंशनर को आवेदन में उल्लिखित व्यावसायिक नौकरी बाबत, आदेश में कारणों को अभिलिखित कर अनुमति देने से इन्कार कर सकता है। [वि. वि. क्र. एफ बी 6/3/77/आर-2/चार दिनांक 25-1-77 से उपनियम 2 से 8 प्रतिस्थापित।]
(3) उपनियम (2) के अधीन पेंशनर को कोई व्यावसायिक रोजगार ग्रहण करने के लिये अनुमति देने अथवा अनुमति देने से इंकार करने के लिये शासन निम्नानुसार तथ्यों को ध्यान में रखेगा, अर्थात –
(ए) प्रस्तावित ग्रहण किये जाने वाले रोजगार का स्वरूप और नियोजक का पूर्ववृत्त (इतिहास);
(बी) क्या उसके द्वारा ग्रहण किया जाने वाला प्रस्तावित रोजगार में उसके कर्त्तव्य ऐसे होंगे जिसमें कि उसका शासन से विवाद उत्पन्न हो;
(सी) क्या सेवा में रहते हुए पेंशनर का उस नियोजक के साथ, जिसके अधीन वह रोजगार प्राप्त करना चाहता है ऐसा कोई संबंध था, जिसके कारण पेंशनर ने ऐसे नियोजक के प्रति रुचि दिखायी है, ऐसी शंका के लिये युक्तियुक्त आधार हो;
(डी) क्या प्रस्तावित व्यवसायिक रोजगार के कर्तव्यों में शासन के विभागों से संपर्क स्थापित करना अथवा संविदा कार्य करना अन्तर्गस्त है;
(ई) क्या उसके व्यावसायिक कर्तव्यों ऐसे होंगे जिससे कि शासन के अधीन उसकी पूर्व पदेन स्थिति अथवा ज्ञान अथवा अनुभव से प्रस्तावित नियोजक को अनुचित लाभ मिले;
(एफ) प्रस्तावित नियोजक द्वारा प्रस्तावित उपलब्धियां; और
(जी) अन्य कोई सुसंगत तथ्य ।
(4) जहां उपनियम (3) के अन्तर्गत आवेदन-पत्र की प्राप्ति के दिनांक से साठ दिनों के भीतर शासन आवेदित अनुमति अस्वीकार नहीं करता है अथवा आवेदक को अस्वीकृती की सूचना नहीं देता है तो यह मान लिया जावेगा कि शासन ने अनुमति प्रदान कर दी है।
(5) जहां शासन आवेदित अनुमति किन्हीं शर्तों के साथ देता है अथवा ऐसी अनुमति से इन्कार करता है तो शासन के तत्सम्बन्धित आदेश की प्राप्ति के तीस दिनों के भीतर, आवेदक ऐसी किसी शर्ते अथवा अस्वीकृति के विरुद्ध अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है और शासन, जैसा कि वह उचित समझे, उस पर आदेश देगाः
परंतु इस अधिनियम के अधीन ऐसी कोई शर्ते निरस्त करने अथवा बगैर किन्हीं शर्तों के अनुमति प्रदान करने के आदेश के अतिरिक्त, अभ्यावेदन करने वाले पेंशनर को, उसे दिये जाने वाले प्रस्तावित आदेश के विरुद्ध कारण बताने का अवसर दिये बगैर कोई आदेश नहीं दिया जावेगा।
(6) यदि कोई पेंशनर शासन की पूर्वानुमति के बिना, किसी भी समय, उसकी सेवानिवृत्ति की तिथि से दो वर्ष की समाप्ति के पूर्व, कोई व्यावसायिक रोजगार ग्रहण करता है अथवा किन्हीं शर्तों का, जिसके अधीन इस नियम के अधीन व्यावसायिक रोजगार ग्रहण करने की अनुमति दी गई है उल्लंघन करता है तो शासन लिखित आदेश के द्वारा और उसमें कारणों को उल्लेखित करते हुए यह घोषित करने के लिये सक्षम होगा कि उसे पूर्ण पेंशन अथवा पेंशन के किसी ऐसे अंश की और ऐसी समयावधि के लिये, जैसा कि आदेश में उल्लिखित हो, पात्रता नहीं होगीः
परन्तु सम्बन्धित पेंशनर को उपर्युक्त घोषणा के विरुद्ध कारण बताने का अवसर दिये बगैर, ऐसा आदेश नहीं दिया जावेगाः
परन्तु यह और भी कि इस उपनियम के अधीन कोई आदेश दिये जाने के लिये शासन निम्नानुसार तथ्यों को ध्यान में रखेगा, अर्थात्
(i) सम्बन्धित पेंशनर की वित्तीय परिस्थितियाँ ।
(ii) सम्बन्धित पेंशनर द्वारा ग्रहण किये जाने वाले व्यावसायिक रोजगार का स्वरूप और उससे उपलब्धियाँ।
(iii) अन्य कोई सुसंगत तथ्य।
(7) इस नियम के अधीन शासन द्वारा पारित किया जाने वाला प्रत्येक आदेश सम्बन्धित पेंशनर को संसूचित किया जायेगा।
[(8) इस विषय में -
(ए) "व्यावसायिक रोजगार" (Commercial employment) से अभिप्रेत है-
(i) किसी भी हैसियत का रोजगार जिसमें व्यापारिक, वाणिज्यिक, औद्योगिक, वित्तीय अथवा व्यावसायिक कारोबार में लगे हुए किसी कम्पनी, सहकारी समिति, फर्म अथवा व्यक्तिगत का, एजेन्ट होना सम्मिलित है परन्तु शासन द्वारा पूर्णतया अथवा सारभूत रूप से धारित अथवा नियंत्रित निगमित निकाय के अधीन रोजगार सम्मिलित नहीं है;
(ii) किसी फर्म का भागीदार, स्वतंत्र रूप में उसके सलाहकार अथवा परामर्शदाता के रूप में व्यवसाय स्थापित करना जिसमें उस सम्बन्ध के प्रकरणों में पेंशनर-
(ए) व्यावसायिक योग्यताएं नहीं रखता है और प्रकरण जिनके सम्बन्ध में व्यवसाय स्थापित करना अथवा चलाना है, उसके कार्यालयीन ज्ञान अथवा अनुभव से सम्बन्धित हैं; अथवा
(ब) व्यावसायिक योग्यताएं रखता है परन्तु प्रकरण जिनके सम्बन्ध में, व्यवसाय स्थापित करना है इस प्रकार के हैं जिससे कि पूर्व की उसकी कार्यालयीन स्थिति के कारण उसके पक्षकार को अनुचित लाभ दिये जाने की सम्भावना है; अथवा
(iii) शासन के कार्यालयों अथवा अधिकारियों के साथ सहकार्य अथवा सम्पर्क से अन्तग्रस्त कोई कार्य करना है। [वि. वि. क्र. एफ. बी. 6/3/1977/आर-2/चार, दिनांक 25-1-1977 द्वारा उपनियम (2) को उपनियम (8) किया गया।]
स्पष्टीकरण - (डी) इस खण्ड के प्रयोजनों के लिये "किसी सहकारी समिति में रोजगार" की अभिव्यक्ति में किसी पद को ग्रहण करना चाहे निर्वाचित अथवा अन्य प्रकार से जैसे-अध्यक्ष, सभापति, मैनेजर, सचिव, कोषाध्यक्ष और इसी तरह के पद जिन्हें उस समिति में जिस किसी भी नाम से कहा जाता हो, सम्मिलित हैं।
(बी) किसी शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति के पश्चात्, शासन के अधीन उसी समान अथवा अन्य प्रथम श्रेणी के पद पर अथवा शासन के अधीन किसी अन्य समतुल्य पद पर बगैर किसी व्यवधान. के पुनर्नियुक्ति के सम्बन्ध में अभिव्यक्ति “सेवानिवृत्ति की तिथि" से अभिप्रेत है वह तिथि जिस पर कि शासकीय सेवक शासकीय सेवा में इस प्रकार पुनर्नियुक्ति से अन्तिम रूप से मुक्त हो जाता है।