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Section 103 of Indian Penal Code (IPC) in Hindi and English
103. कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्युकारित करने तक का होता है -
संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार, धारा 99 में वर्णित निर्बधनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मृत्यु या अन्य अपहानि स्वेच्छया कारित करने तक का है, यदि वह अपराध जिसके किए जाने के, या किए जाने के प्रयत्न के कारण उस अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है एतस्मिन् पश्चात् प्रगणित भांतियों में से किसी भी भांति का है, अर्थात् :-
पहला - लूट;
दूसरा - रात्रि गृह भेदन;
तीसरा - अग्नि द्वारा रिष्टि, जो किसी ऐसे निर्माण, तम्बू या जलयान को की गई है, जो मानव आवास के रूप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रूप में उपयोग में लाया जाता है;
चौथा - चोरी, रिष्टि या गृह अतिचार, जो ऐसी परिस्थितियों में किया गया है, जिनसे युक्तियुक्त रूप से यह आशंका कारित हो कि यदि प्राइवेट प्रतिरक्षा के ऐसे अधिकार का प्रयोग न किया गया तो परिणाम मृत्यु या घोर उपहति होगा।
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राज्य संशोधन
उत्तरप्रदेश - धारा 103 में चौथे खण्ड के पश्चात् अग्रलिखित खण्ड जोड़ा जाएगा, यथा :-
'पाँचवाँ - आग या ज्वलनशील पदार्थ द्वारा -
(क) शासन या किसी स्थानीय प्राधिकारी या शासन के स्वामित्व या नियंत्रण में का कोई निगम के प्रयोजनों के लिए उपयोग की गई या उपयोग के लिए आशयित किसी संपत्ति को, या
(ख) भारतीय रेल अधिनियम, 1880 की धारा 3 के खण्ड (4) में यथा परिभाषित कोई रेलवे या रेलवे स्टोर्स (विधिविरुद्ध कब्जा) अधिनियम, 1955 में यथा परिभाषित स्टोर्स को, या
(ग). मोटर यान अधिनियम, 1939 की धारा 2 के खण्ड (33)* में यथा परिभाषित कोई परिवहन वाहन को, रिष्टि पहुंचाना।''
[यू.पी. अधिनियम संख्या 29 सन् 1970 की धारा 2, दिनांक 17-7-1970 से प्रभावशील]
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103. When the right of private defence of property extends to causing death -
The right of private defence of property extends, under the restrictions mentioned in section 99, to the voluntary causing of death or of any other harm to the wrong-doer, if the offence, the committing of which, or the attempting to commit which, occasions the exercise of the right, be an offence of any of the descriptions hereinafter enumerated, namely :-
First - Robbery;
Secondly – House-breaking by night;
Thirdly – Mischief by fire committed on any building, tent or vessel, which building, tent or vessel is used as a human dwelling, or as a place for the custody of property;
Fourthly — Theft, mischief, or house-trespass, under such circumstances as may reasonably cause apprehension that death or grievous hurt will be the consequence, if such right of private defence is not exercised.
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STATE AMENDMENT
Uttar Pradesh — In section 103, after clause fourthly, add the following clause, namely :—
“Fifthly - Mischief by fire or any explosive substance committed on -
(a) Any property used or intended to be used for the purpose of Government, or any local authority or other corporation owned or controlled by the Government, or
(b) any railway as defined in clause (4) of section 3 of the Indian Railways Act, 1890 or railways stores as defined in the Railways Stores (Unlawful Possession) Act, 1955, or
(c) any transport vehicle as defined in *clause (33) of section 2 of the Motor Vehicles Act, 1939.”
[Vide Uttar Pradesh Act 29 of 1970, sec. 2 (w.e.f. 17-7-1970)].
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