विवाहित स्थिति के दौरान में जन्म होना धर्मजत्व का निश्चायक सबूत है (Birth during marriage, conclusive proof of legitimacy)
Updated: Jan, 29 2021
Section 112 of Indian Evidence Act in Hindi and English
112. विवाहित स्थिति के दौरान में जन्म होना धर्मजत्व का निश्चायक सबूत है -- यह तथ्य कि किसी व्यक्ति का जन्म उसकी माता और किसी पुरुष के बीच विधिमान्य विवाह के कायम रहते हुए, या उसका विघटन होने के उपरान्त माता के अविवाहित रहते हुए दो सौ अस्सी दिन के भीतर हुआ था, इस बात का निश्चायक सबूत होगा कि वह उस पुरुष का धर्मज पुत्र है, जब तक कि यह दर्शित न किया जा सके कि विवाह के पक्षकारों की परस्पर पहुंच ऐसे किसी समय नहीं थी जब उसका गर्भाधान किया जा सकता था।
112. Birth during marriage, conclusive proof of legitimacy -- The fact that any person was born during the continuance of a valid marriage between his mother and any man, or within two hundred and eighty days after its dissolution, the mother remaining unmarried, shall be conclusive proof that he is the legitimate son of that man, unless it can be shown that the parties to the marriage had no access to each other at any time when he could have been begotten.