साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए जो तथ्य साबित किया जाना हो, उसे साबित करने का भार (Burden of proving fact to be proved to make evidence admissible)
Updated: Jan, 29 2021
Section 104 of Indian Evidence Act in Hindi and English
104. साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए जो तथ्य साबित किया जाना हो, उसे साबित करने का भार -- ऐसे तथ्य को साबित करने का भार जिसका साबित किया जाना किसी व्यक्ति को किसी अन्य तथ्य का साक्ष्य देने को समर्थ करने के लिए आवश्यक है, उस व्यक्ति पर है जो ऐसा साक्ष्य देना चाहता है।
दृष्टांत
(क) ख द्वारा किए गए मृत्युकालिक कथन को क साबित करना चाहता है। क को ख की मृत्यु साबित करनी होगी।
(ख) क किसी खोई हुई दस्तावेज की अन्तर्वस्तु को द्वितीयक साक्ष्य द्वारा साबित करना चाहता है। क को यह साबित करना होगा कि दस्तावेज खो गई है।
104. Burden of proving fact to be proved to make evidence admissible -- The burden of proving any fact necessary to be proved in order to enable any person to give evidence of any other fact is on the person who wishes to give such evidence.
Illustrations
(a) A wishes to prove a dying declaration by B. A must prove B's death.
(b) A wishes to prove, by secondary evidence, the contents of a lost document. A must prove that the document has been lost.